UP में 'ईको-टूरिज्म' का नया अध्याय: 22 जिलों में लगेंगे डिजिटल साइनेज, 15 भाषाओं में 'अपनी' कहानी सुनाएगा उत्तर प्रदेश!
योगी सरकार की ऐतिहासिक पहल: 9.72 करोड़ से ईको-टूरिज्म को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय दर्जा, जानें कैसे बदल जाएगा आपका टूरिज़्म अनुभव
Jun 1, 2025, 13:20 IST
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उत्तर प्रदेश: अब उत्तर प्रदेश सिर्फ अपनी संस्कृति और इतिहास के लिए ही नहीं, बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ईको-टूरिज्म के लिए भी जाना जाएगा! योगी सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को नया आयाम देने के लिए एक बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। पर्यटन विभाग ने इसके लिए कमर कस ली है, जिसके तहत 22 जिलों में हाईवे पर आधुनिक डिजिटल साइनेज लगाए जाएंगे। सबसे खास बात यह है कि पर्यटकों को उनकी सुविधा के लिए 10 भारतीय और 5 विदेशी भाषाओं में QR कोड आधारित ऑडियो टूर मैटेरियल मिलेगा, जो ऑनलाइन पोर्टल पर भी उपलब्ध होगा।READ ALSO:-🗓️जून का धमाका: एलपीजी सिलेंडर सस्ता, हवाई यात्रा सस्ती और आपकी जेब से लेकर PF तक, अब सब कुछ बदलने वाला है!
प्रकृति के साथ पर्यटन का संगम: यूपी बनेगा अंतरराष्ट्रीय हब!
उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड का लक्ष्य राज्य के प्राकृतिक पर्यटन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। इस सपने को साकार करने के लिए 9.72 करोड़ रुपये की लागत से इन 22 जिलों में साइनेज स्थापित किए जाएंगे। ये साइनेज न केवल आपको नज़दीकी टूरिज्म स्पॉट की दूरी बताएंगे, बल्कि वहां के प्रमुख आकर्षणों को भी दर्शाएंगे, जिससे आपकी यात्रा और भी आसान और जानकारीपूर्ण हो जाएगी।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि यूपी में प्रकृति और उससे जुड़े कई आकर्षक स्थल हैं, और इन स्थानों के आसपास पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "यहां के नैसर्गिक सौंदर्य को देश-दुनिया तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है।"
मंत्री जी ने बताया कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व, दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी जैसे प्रमुख स्थलों तक पहुंचने के लिए लखनऊ और दिल्ली मुख्य केंद्र हैं। इन्हीं शहरों से इन पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों पर ये डिजिटल साइनेज लगाए जाएंगे।
दूसरे राज्यों से भी जुड़ेगा यूपी, एडवेंचर टूरिज्म को नई उड़ान
क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में चित्रकूट और प्रयागराज में भी शानदार एडवेंचर टूरिज्म के विकल्प मौजूद हैं? अक्सर लोग इसके लिए उत्तराखंड चले जाते हैं। इसी तरह, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में मौजूद जंगल सफारी के बेहतरीन विकल्प यूपी में कहां-कहां हैं, इसकी जानकारी भी बहुत कम लोगों को है।
इसी कमी को दूर करने के लिए, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश से जुड़े अन्य राज्यों के टूरिज्म बोर्ड और विभागों के साथ विशेष 'टाइअप' किया गया है। इसके तहत उन राज्यों में भी ऐसे साइनबोर्ड्स लगेंगे, जो यूपी के टूरिज्म स्पॉट की दूरी और यहां मौजूद आकर्षणों की जानकारी देंगे। इस पहल से दिल्ली और आसपास के राज्यों से पर्यटकों की संख्या में ज़बरदस्त उछाल आने की उम्मीद है।
15 भाषाओं में 'अपनी' कहानी सुनाएगा उत्तर प्रदेश: QR कोड आधारित ऑडियो टूर
यह परियोजना यूपी के पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली है! उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग 100 प्रमुख पर्यटन स्थलों पर क्यूआर कोड आधारित ऑडियो टूर पोर्टल और सामग्री विकसित कर रहा है। यह देशी और विदेशी पर्यटकों को एक अनूठा, जानकारीपूर्ण और बेहद आकर्षक अनुभव प्रदान करेगा।
यह ऑडियो टूर कुल 15 भाषाओं में उपलब्ध होगा! इसमें 10 भारतीय भाषाएं (हिंदी, बंगला, तमिल, तेलुगू, मराठी, गुजराती, अंग्रेजी, कन्नड़, ओडिया और मलयालम) और 5 अंतरराष्ट्रीय भाषाएं (फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, जापानी और मंदारिन) शामिल हैं। ये 5 से 7 मिनट की आकर्षक ऑडियो कहानियाँ प्रोफेशनल वॉयस ओवर कलाकारों द्वारा रिकॉर्ड की जाएंगी, जिनमें बैकग्राउंड म्यूजिक और परिवेश ध्वनियाँ भी होंगी, जो इतिहास और संस्कृति को जीवंत करेंगी। सबसे खास बात, सुनने में अक्षम पर्यटकों के लिए बहुभाषी सबटाइटल और उच्च-कंट्रास्ट टेक्स्ट जैसी विशेष सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
ऐतिहासिक स्थलों से लेकर वन्यजीव अभ्यारण्यों तक, अब हर कहानी अपनी भाषा में!
यह परियोजना उत्तर प्रदेश के 100 चुनिंदा पर्यटन स्थलों को कवर करेगी। इनमें प्रयागराज का त्रिवेणी संगम और आनंद भवन, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और कनक भवन, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा आरती, आगरा में ताजमहल, मथुरा-वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और बांके बिहारी मंदिर, लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा जैसे प्रतिष्ठित स्थान शामिल हैं। इन स्थानों पर मौसम-प्रतिरोधी, स्टेनलेस स्टील पर उकेरे गए क्यूआर कोड लगाए जाएंगे, जिन्हें स्कैन कर पर्यटक अपनी पसंदीदा भाषा में ऑडियो टूर का आनंद ले सकेंगे।
यह पहल उत्तर प्रदेश पर्यटन की वेबसाइट और मोबाइल ऐप (एंड्रॉइड और iOS) के साथ भी जुड़ेगी। कम नेटवर्क वाले क्षेत्रों में भी जानकारी मिल सके, इसके लिए ऑफलाइन पहुंच का भी प्रावधान होगा। सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और सांस्कृतिक विशेषज्ञों की टीम स्क्रिप्ट की समीक्षा करेगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सामग्री ऐतिहासिक रूप से सटीक, सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक और पर्यटकों के लिए आकर्षक हो।
उत्तर प्रदेश की यह पहल निश्चित रूप से राज्य को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक नई और मज़बूत पहचान दिलाएगी। आपको क्या लगता है, यह डिजिटल क्रांति यूपी में पर्यटन को कितना बदल देगी?
