लखनऊ-मेरठ और नोएडा से आगरा तक सर्किल रेट बढ़ेगा, महंगे होंगी रजिस्ट्री और मकान, उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला
उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों और महानगरों में सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी चल रही है। करीब 38 जिलों में सर्किल रेट की समीक्षा हो सकती है, जिससे वहां प्रॉपर्टी की कीमतों में उछाल आ सकता है।
Mar 11, 2025, 08:30 IST
|

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के करीब 38 जिलों में सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसमें राजधानी लखनऊ, नोएडा से लेकर अलीगढ़ आगरा जैसे बड़े शहर शामिल हैं। सर्किल रेट बढ़ने से जमीन या फ्लैट आदि खरीदना महंगा हो जाएगा। READ ALSO:- मेरठ को जाम से मुक्ति दिलवाने के लिए क्या है योजना? मेरठ में मुख्यमंत्री योगी ने किए कई बड़े ऐलान
दरअसल, उत्तर प्रदेश के तमाम बड़े जिलों में कई सालों से सर्किल रेट की समीक्षा नहीं हुई है. इससे जमीन के बाजार मूल्य और सरकारी मूल्य में काफी अंतर आ गया है। इससे सरकार को रजिस्ट्री, खरीद-फरोख्त में राजस्व का नुकसान हो रहा है। साथ ही खरीद-फरोख्त में कालाबाजारी भी बढ़ रही है।
उत्तर प्रदेश के 38 जिलों में सर्किल रेट बढ़ने की तैयारी
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के लगभग 38 जिलों में सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस पहल का उद्देश्य जमीन और प्रॉपर्टी के सरकारी मूल्य को बाजार मूल्य के करीब लाना है, क्योंकि कई जिलों में सर्किल रेट काफी समय से संशोधित नहीं किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के लगभग 38 जिलों में सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस पहल का उद्देश्य जमीन और प्रॉपर्टी के सरकारी मूल्य को बाजार मूल्य के करीब लाना है, क्योंकि कई जिलों में सर्किल रेट काफी समय से संशोधित नहीं किए गए हैं।
मुख्य बातें:
- दायरा: लगभग 38 जिले, जिनमें प्रमुख शहर जैसे लखनऊ, नोएडा, अलीगढ़, और आगरा शामिल हैं।
कारण:
- समीक्षा का अभाव: कई जिलों में सर्किल रेट की लंबे समय से समीक्षा नहीं हुई है, जिसके कारण बाजार मूल्य और सरकारी मूल्य में बड़ा अंतर आ गया है।
- राजस्व का नुकसान: कम सर्किल रेट के कारण सरकार को रजिस्ट्री और प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त से होने वाले राजस्व में कमी आ रही है।
- कालाबाजारी में वृद्धि: कम सरकारी मूल्य के कारण प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में कालाबाजारी बढ़ रही है।
- समीक्षा कब से: जनवरी 2024 से उत्तर प्रदेश के 37 जिलों में जमीन के सर्किल रेट की समीक्षा की गई है।
लाभ:
- किसानों को फायदा: सर्किल रेट बढ़ने से भूमि अधिग्रहण में किसानों को उनकी जमीन का उचित और बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजा मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
- सरकारी राजस्व में वृद्धि: सर्किल रेट बढ़ने से सरकार को रजिस्ट्री और खरीद-फरोख्त से अधिक राजस्व प्राप्त होगा।
- न्यूनतम मूल्य निर्धारण:
- उत्तर प्रदेश स्टाम्प (प्रॉपर्टी वैल्यूएशन) नियमावली के तहत, प्रत्येक जिले के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) कृषि और गैर-कृषि भूमि का न्यूनतम मूल्य प्रति हेक्टेयर/प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से हर साल अगस्त में निर्धारित करते हैं।
- डीएम साल के बीच में भी सर्किल रेट सूची में बदलाव कर सकते हैं।
समीक्षा किए गए और विचाराधीन जिले:
हाल ही में समीक्षा बैठक में पहचाने गए जिले (जहाँ सर्किल रेट संशोधन नहीं हुआ है):
- कन्नौज
- हापुड़
- बुलंदशहर
- लखनऊ
- वाराणसी
- गोरखपुर
- बागपत
- इटावा
- मेरठ
- महाराजगंज
- एटा
- कासगंज
- मुजफ्फरनगर
- कुशीनगर
- अयोध्या
- अंबेडकरनगर
- बदायूं
- संत कबीरनगर
- झांसी
- जालौन
- ललितपुर
- कौशांबी
- प्रयागराज
- सर्किल रेट की समीक्षा चल रही है जिन जिलों में:
- गौतमबुद्धनगर
- मीरजापुर
- अलीगढ़
- बांदा
- हमीरपुर
- आगरा
- शामली
- सहारनपुर
- सुलतानपुर
- अमेठी

प्रभाव:
खरीदारी महंगी: सर्किल रेट बढ़ने से जमीन, फ्लैट और अन्य प्रॉपर्टी खरीदना महंगा हो जाएगा, क्योंकि रजिस्ट्री और स्टाम्प ड्यूटी सर्किल रेट के आधार पर तय होती है।
किसानों को उचित मुआवजा: भूमि अधिग्रहण में किसानों को उनकी जमीन का सही दाम मिल सकेगा।
खरीदारी महंगी: सर्किल रेट बढ़ने से जमीन, फ्लैट और अन्य प्रॉपर्टी खरीदना महंगा हो जाएगा, क्योंकि रजिस्ट्री और स्टाम्प ड्यूटी सर्किल रेट के आधार पर तय होती है।
किसानों को उचित मुआवजा: भूमि अधिग्रहण में किसानों को उनकी जमीन का सही दाम मिल सकेगा।
संक्षेप में, उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम लंबे समय से लंबित सर्किल रेट संशोधन को लागू करने और प्रॉपर्टी बाजार को अधिक पारदर्शी और राजस्व-उत्पादक बनाने की दिशा में एक प्रयास है। इससे आम आदमी पर प्रॉपर्टी की खरीदारी का बोझ थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन किसानों और सरकारी राजस्व के लिए इसके सकारात्मक परिणाम होने की संभावना है।
