UP में 'बिजली' जंग! निजीकरण के खिलाफ 5000 इंजीनियर्स को 'हड़ताल' का नोटिस, 29 मई से ठप हो सकती है आपूर्ति
पूर्वांचल-दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण पर भड़के कर्मचारी, पावर कॉर्पोरेशन की खुली चेतावनी; आंदोलन हुआ तो होगी 'कठोरतम कार्रवाई'
Updated: May 26, 2025, 18:44 IST
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लखनऊ, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है। राज्य के पूर्वांचल और दक्षिणांचल इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार का आह्वान किया है। इस घोषणा ने राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) में हड़कंप मचा दिया है। स्थिति को संभालने और संभावित बिजली संकट से बचने के लिए, UPPCL ने 5000 से भी ज़्यादा इंजीनियर्स को नोटिस भेजकर इस आंदोलन में शामिल न होने की कड़ी चेतावनी दी है।READ ALSO:-साइबर फ्रॉड के खिलाफ Airtel का 'महागठबंधन': Jio और Vi से मांगी मदद, 11,000 करोड़ की ठगी पर लगाम लगाने का प्लान
इंजीनियर्स को सीधी चेतावनी:
'हड़ताल' मानी जाएगी कार्रवाई पावर कॉर्पोरेशन द्वारा जारी किए गए नोटिस में साफ शब्दों में कहा गया है कि 29 मई से शुरू होने वाला अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार एक तरह की "हड़ताल" ही है। चेतावनी दी गई है कि यदि कोई भी इंजीनियर इसमें शामिल होता है, या किसी को शामिल होने के लिए उकसाता है, जिससे बिजली आपूर्ति में व्यवधान आता है, तो इसे "समाज विरोधी कार्य" मानते हुए "कठोरतम डिपार्टमेंटल और कानूनी कार्रवाई" की जाएगी। कॉर्पोरेशन ने यह भी कहा है कि 20 और 21 मई को शक्ति भवन पर हुए आंदोलन में कई अभियंताओं की मौजूदगी की पुष्टि वीडियोग्राफी से हुई है।
निजीकरण के खिलाफ मुखर विरोध:
बिजली कर्मचारियों का यह विरोध प्रदर्शन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ है। कर्मचारी संघों का तर्क है कि निजीकरण से बिजली सेवाएं महंगी होंगी और कर्मचारियों के रोजगार पर खतरा मंडराएगा। पावर कॉर्पोरेशन ने निजीकरण के विरोध में दिए जा रहे बयानों को "अनर्गल" करार देते हुए इसे कॉर्पोरेशन और सरकार की नीतियों के खिलाफ माना है।
संघर्ष समिति भी तैयार:
एक तरफ जहां कॉर्पोरेशन सख्त रुख अपनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर बिजली कर्मचारियों की संघर्ष समिति भी अपने आंदोलन की तैयारियों में जुटी है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि जिन अभियंताओं ने बीते छह महीने में एक बार भी शक्ति भवन का दौरा नहीं किया, उन्हें भी इस मुद्दे पर नोटिस दिया गया है।
यह टकराव उत्तर प्रदेश की बिजली आपूर्ति के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है। सरकार और बिजली कर्मचारी दोनों अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं, जिससे आने वाले दिनों में राज्य में बिजली की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
