उत्तर प्रदेश रोडवेज का बढ़ता निजीकरण: डिपो इंचार्ज भी अब प्राइवेट हाथों में

 अधिकारियों की कमी के चलते परिवहन निगम का बड़ा फैसला, 68 डिपो इंचार्ज और 6 विधि अधिकारी निजी फर्म से भर्ती।
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UPSRTC
लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) में निजीकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। अब तक ड्राइवर, कंडक्टर और वर्कशॉप जैसे कार्यों को निजी हाथों में सौंपने के बाद, निगम ने पहली बार डिपो इंचार्ज की भर्ती भी निजी फर्म के माध्यम से की है। परिवहन निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।READ ALSO:-बिजनौर: नजीबाबाद में शराब की दुकान के खिलाफ महिलाओं का फूटा गुस्सा, किया जोरदार विरोध प्रदर्शन

 

दरअसल, UPSRTC लंबे समय से कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। सीधी भर्ती पर कई सालों से रोक लगी हुई है, जिसके कारण डिपो और बस स्टेशनों का सुचारू संचालन मुश्किल हो रहा है। बसों के संचालन के लिए जहां चालकों की कमी है, वहीं वर्कशॉप और बस स्टेशनों पर अधिकारियों के पद भी खाली पड़े हैं। ऐसे में निगम प्रशासन के सामने बाहरी स्रोतों से अधिकारियों और कर्मचारियों की भर्ती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

 

इसी क्रम में, निगम प्रशासन ने वंशिका नामक एक निजी फर्म के साथ मिलकर 68 डिपो इंचार्ज और छह विधि अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की है। साक्षात्कार के माध्यम से इन पदों पर नियुक्तियां की गई हैं। नवनियुक्त 68 डिपो इंचार्जों में 26 सामान्य वर्ग, 16 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 12 अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति और तीन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के उम्मीदवार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, छह विधि अधिकारियों को भी आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त किया गया है।

 

यह निजीकरण की दिशा में निगम का पहला बड़ा कदम नहीं है। इससे पहले भी UPSRTC ने अपने 19 महत्वपूर्ण कार्यशालाओं को निजी फर्मों के हवाले कर दिया था। इनमें मेरठ का सोहराब गेट डिपो, सहारनपुर क्षेत्र का छुटमलपुर डिपो, अलीगढ़ क्षेत्र का एटा डिपो, कानपुर क्षेत्र का विकास नगर डिपो और नजीराबाद डिपो जैसे प्रमुख डिपो शामिल हैं। इन कार्यशालाओं को निजी हाथों में सौंपने का उद्देश्य इनकी कार्यक्षमता और रखरखाव को बेहतर बनाना बताया गया था।

 

इसके अलावा, परिवहन निगम ने अपने 23 बस स्टेशनों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर विकसित करने का भी निर्णय लिया है। इस मॉडल के तहत निजी कंपनियां इन बस स्टेशनों का निर्माण करेंगी और अगले 90 वर्षों तक इनका संचालन और रखरखाव करेंगी। इस सूची में चारबाग (लखनऊ), सोहराबगेट (मेरठ), जीरो रोड (प्रयागराज), अमौसी (लखनऊ), अयोध्याधाम, रायबरेली, कौशाम्बी (गाजियाबाद), बुलंदशहर और नोएडा जैसे महत्वपूर्ण बस स्टेशन शामिल हैं।

 

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक और प्रवक्ता अमरनाथ सहाय ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि निगम में अधिकारियों की कमी को पूरा करने के लिए डिपो इंचार्ज और विधि अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। उन्होंने कहा कि साक्षात्कार के आधार पर योग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया है और परिणाम भी घोषित कर दिए गए हैं। श्री सहाय ने उम्मीद जताई कि इन अधिकारियों के आने से निगम की व्यवस्थाएं और बेहतर तरीके से संचालित हो सकेंगी और यात्रियों को सुगम परिवहन सेवाएं मिल सकेंगी।

 OMEGA

हालांकि, परिवहन निगम में बढ़ते निजीकरण को लेकर कर्मचारियों के बीच कुछ चिंताएं भी हैं। कुछ कर्मचारी संगठनों का मानना है कि इससे निगम के स्थायी कर्मचारियों के हितों पर असर पड़ सकता है। बहरहाल, निगम प्रशासन अधिकारियों की कमी को दूर करने और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
SONU

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