उत्तर प्रदेश में चेक मीटर से कही खुल न जाए विभाग की पोल, 1% भी नहीं लग रहे चेक मीटर

भारत सरकार ने नियम बनाया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ पांच प्रतिशत चेक मीटर भी लगाए जाने चाहिए। ये वही मीटर होंगे जो उपभोक्ता के परिसर में पहले से लगे हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि पुराने मीटरों को ही चेक मीटर के तौर पर इस्तेमाल किया जाए, ताकि यह पता चल सके कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर वाकई तेजी से काम करता है या नहीं? इससे उपभोक्ताओं का भ्रम भी दूर होगा और विभाग को भी इसका फायदा होगा।
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SMART METER
भारत सरकार ने नियम बनाया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ पांच फीसदी चेक मीटर भी लगाए जाएं। ये वही मीटर होंगे जो उपभोक्ता के परिसर में पहले से लगे हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि पुराने मीटरों को ही चेक मीटर के तौर पर इस्तेमाल किया जाए, ताकि पता चल सके कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर वाकई तेजी से काम करता है या नहीं? इससे उपभोक्ताओं का भ्रम भी दूर होगा और विभाग को भी इसका फायदा होगा। ऊर्जा विभाग की छवि खराब नहीं होगी, लेकिन उत्तर प्रदेश में मीटर लगाने वाली कंपनियां भारत सरकार के इन आदेशों का खुला उल्लंघन कर रही हैं। READ ALSO:-उत्तर प्रदेश में सर्वोदय विद्यालयों की संख्या बढ़कर 100 हुई, NEET-JEE की तैयारी के लिए मिलेगी मुफ्त कोचिंग

 

हालात ये हैं कि प्रदेश के विभिन्न वितरण मंडलों में डेढ़ लाख से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं, लेकिन चेक मीटरों की संख्या बमुश्किल 100 तक पहुंच पाई है। ऐसे में कंपनियां केंद्र सरकार के आदेशों का खुलेआम मजाक उड़ा रही हैं और ऊर्जा विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान तक नहीं दे रहे हैं। READ ALSO:-UP : रोटी-जूस के बाद दूध में थूकने का वीडियो वायरल, मुरादाबाद में कैमरे में कैद हुई दूधवाले की करतूत

 

स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर कई राज्यों में हंगामा भी हुआ था। इसके बाद भारत सरकार ने आदेश पारित किया कि उपभोक्ताओं की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जिस परिसर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं, उसके बगल में पुराना मीटर लगाकर उसे चेक मीटर के रूप में प्रयोग किया जाए। लगाए गए चेक मीटरों की संख्या कुल स्मार्ट प्रीपेड मीटरों का पांच प्रतिशत होनी चाहिए। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के बाद चेक मीटर की रीडिंग की तुलना उससे करें, ताकि उपभोक्ता भी अपने घर पर लगे पुराने मीटर और वर्तमान में लगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर की रीडिंग में अंतर समझ सके। 

 

इससे उसके मन में यह भ्रम दूर हो जाएगा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर ज्यादा तेज काम करता है। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल में एक लाख से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। दक्षिणांचल और मध्यांचल में भी 10 से 20 हजार स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में भी करीब 34,836 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं, लेकिन स्मार्ट प्रीपेड मीटर कंपनियां पांच प्रतिशत की सीमा तक पुराने मीटर को चेक मीटर के रूप में लगाने में कोई रुचि नहीं ले रही हैं। 

 

इसका मुख्य कारण यह है कि उनके घटिया क्वालिटी के स्मार्ट प्रीपेड मीटर की पोल खुल जाएगी। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पूरे मामले से मध्यांचल विद्युत वितरण निगम, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पावर कॉरपोरेशन के निदेशक (वाणिज्य) निधि कुमार नारंग को अवगत कराया। 

 

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सभी बिजली कंपनियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का काम संभाल रहे अधिकारियों से बात की तो उन्होंने माना कि पांच फीसदी की सीमा के अंदर चेक मीटर नहीं लगाए गए हैं। मीटर सिर्फ नाम के लिए लगाए गए हैं। अगर पूरे प्रदेश की बात करें तो सभी बिजली कंपनियों में बमुश्किल 100 स्मार्ट प्रीपेड मीटर ही चेक मीटर के तौर पर लगाए गए हैं। 

 KINATIC

अवधेश कुमार वर्मा ने इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों ने लिखित रूप से स्वीकार किया है और इन टैली स्मार्ट कंपनियों को पत्र लिखकर कहा है कि 23 अक्टूबर तक 34,836 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं, लेकिन उसके मुकाबले सिर्फ 36 चेक मीटर ही लगाए गए। यानी कुल पांच फीसदी का सिर्फ 0.1 फीसदी। 

 

इसी तरह मध्यांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों से जब हमने बात की तो उन्होंने भी ऐसे 30 से 35 चेक मीटर लगाने की बात स्वीकार की। बिजली कंपनियां स्मार्ट प्रीपेड मीटर बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही हैं और उनके साथ खड़ी नजर आ रही हैं, इस पर उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
SONU

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