जुलाई से बढ़ेगा बिजली बिल: हर उपभोक्ता से वसूले जाएंगे 1.97% अतिरिक्त शुल्क, उपभोक्ता परिषद बोली – "33,122 करोड़ सरप्लस है तो अधिभार क्यों?"
उपभोक्ताओं पर फिर बिजली कंपनियों का बोझ, हर महीने ईंधन अधिभार वसूली पर उठे सवाल
Jun 30, 2025, 16:07 IST
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लखनऊ, [30 June 2025]: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जुलाई के महीने में मिलने वाले बिजली के बिलों में एक और झटका लगने वाला है। बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से इस बार 1.97 प्रतिशत ईंधन अधिभार (फ्यूल सरचार्ज) वसूलेंगी, जिससे राज्य भर के उपभोक्ताओं से कुल 187 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली की जाएगी। यह अधिभार अप्रैल महीने के ईंधन की लागत पर आधारित है।Read also:-मेरठ में दर्दनाक हादसा: मेडा की लापरवाही से क्रेन में उतरा करंट, ड्राइवर की मौत; बेटा चीखता रहा ‘मेरे पापा…मेरे पापा…’ तीन झुलसे, अधिकारी मौके से फरार
उपभोक्ताओं का ₹33,122 करोड़ सरप्लस, फिर भी वसूली जारी
उपभोक्ता परिषद ने इस अतिरिक्त वसूली पर कड़ी आपत्ति जताई है। परिषद का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं से यह ईंधन अधिभार शुल्क वसूलना पूरी तरह से गलत है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मांग की है कि इस ईंधन अधिभार को उपभोक्ताओं की निकल रही सरप्लस धनराशि में से ही घटाया जाना चाहिए।
उपभोक्ता परिषद ने इस अतिरिक्त वसूली पर कड़ी आपत्ति जताई है। परिषद का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं से यह ईंधन अधिभार शुल्क वसूलना पूरी तरह से गलत है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मांग की है कि इस ईंधन अधिभार को उपभोक्ताओं की निकल रही सरप्लस धनराशि में से ही घटाया जाना चाहिए।
वर्मा ने बताया कि जून महीने में भी बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं के बिल पर 4.27 प्रतिशत ईंधन अधिभार शुल्क लगाया था, जिससे करीब 390 करोड़ रुपये की वसूली की गई थी।
निजीकरण को लुभाने का खेल? हर महीने वसूली पर सवाल
अवधेश कुमार वर्मा ने इस हर महीने होने वाली ईंधन अधिभार शुल्क की वसूली को 'गलत' करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह सब यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण में रुचि दिखा रहे निजी घरानों को खुश करने के लिए किया जा रहा है। उनका कहना है कि कंपनियां ऐसा करके यह बताना चाहती हैं कि उन्होंने अब हर महीने ईंधन अधिभार शुल्क लिए जाने का प्रबंध कर दिया है, जिससे निजीकरण के लिए निवेशक आकर्षित हों।
अवधेश कुमार वर्मा ने इस हर महीने होने वाली ईंधन अधिभार शुल्क की वसूली को 'गलत' करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह सब यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण में रुचि दिखा रहे निजी घरानों को खुश करने के लिए किया जा रहा है। उनका कहना है कि कंपनियां ऐसा करके यह बताना चाहती हैं कि उन्होंने अब हर महीने ईंधन अधिभार शुल्क लिए जाने का प्रबंध कर दिया है, जिससे निजीकरण के लिए निवेशक आकर्षित हों।
वर्मा ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि उपभोक्ताओं का करोड़ों रुपये बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकलने के बावजूद, विद्युत नियामक आयोग से एक रेगुलेशन बनवाकर लगातार ईंधन अधिभार शुल्क की वसूली की जा रही है। उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से बार-बार अनुरोध किया है कि इस ईंधन अधिभार शुल्क को उपभोक्ताओं की सरप्लस निकल रही धनराशि से घटाया जाए।
क्या उपभोक्ताओं का हक मारा जा रहा है या यह वसूली आवश्यक है? यह सवाल अब भी बना हुआ है।
