उत्तर प्रदेश में 2 लाख से ज्यादा आवेदकों के ड्राइविंग लाइसेंस लंबित, जानिए क्यों और कब होंगे जारी?
राजधानी लखनऊ के आशियाना क्षेत्र के रेजिडेंट अजिताभ गुप्ता ने 20 जनवरी को बेरोजगारनगर में स्थायी डीएल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। डील नंबर से पता चला कि हरहाल में एक सप्ताह के भीतर डीएल हाउसगागा। 31 जनवरी को जब एवेन्यू ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट मुख्यालय मुख्यालय को बताया गया कि सिलिकॉन चिप खत्म हो गई है, जिससे देरी हुई है। डीएल प्रिंट करने वाली कंपनी का अनुबंध भी समाप्त हो चुका है।
Feb 6, 2025, 11:00 IST
|

राजधानी लखनऊ के आशियाना क्षेत्र निवासी अजिताभ गुप्ता ने 20 जनवरी को बेरोजगारनगर में परमानेंट डीएल बनवाया था। डील नंबर से पता चला कि हर हाल में एक सप्ताह के अंदर डीएल मिल जाएगा। 31 जनवरी को जब एवेन्यू परिवहन विभाग मुख्यालय को सूचना दी गई कि सिलिकॉन चिप खत्म हो गई है, जिसके कारण देरी हो रही है। डीएल प्रिंट करने वाली कंपनी का ठेका भी खत्म हो गया है। इसलिए इंतजार करना पड़ेगा।READ ALSO:- मेरठ : UP-STF ने पकड़ा 'मेड इन इटली' कारतूसों का बड़ा भंडार, पद्मश्री से सम्मानित शूटर के भाई का नाम आया सामने
इसी तरह प्रदेश भर के लाखों आवेदकों के डीएल अभी भी फंसे हुए हैं। परिवहन विभाग मुख्यालय से इन्हें डिस्पैच नहीं किया जा सका है। इसमें परिवहन विभाग मुख्यालय में की मैनेजमेंट सिस्टम (केएमएस) में तैनात कर्मियों की लापरवाही मानी जा रही है। साथ ही परेशान आवेदकों को गलत जानकारी दी जा रही है।
बता दें कि परिवहन विभाग में आरटीओ से परमानेंट लाइसेंस की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रिंटिंग के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय आता है। यहां से प्रदेश भर से परमानेंट लाइसेंस प्रिंट होने के बाद डाक के जरिए सीधे आवेदकों के घर पहुंचते हैं। पूरे प्रदेश का काम एक जगह आने के बाद काम का बोझ तो बढ़ ही गया है, साथ ही कर्मचारियों की लापरवाही भी बढ़ गई है।
लखनऊ में आवेदकों तक डीएल पहुंचने का इंतजार करीब एक महीने तक पहुंच गया है। जबकि अन्य जिलों में करीब दो से ढाई महीने बाद डीएल पहुंच रहे हैं। नियमानुसार एक सप्ताह में पहुंच जाना चाहिए। प्रदेश भर के आवेदक परेशान होकर अपने आरटीओ दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल रही है। मुख्यालय पहुंचने वालों को गलत जानकारी दी जा रही है।
लखनऊ में हर महीने करीब 15 हजार स्थायी डीएल बनते हैं। इसमें नवीनीकरण आदि शामिल हैं। यही हाल यूपी के सभी बड़े शहरों का है। परिवहन विभाग के छोटे जिलों में आवेदकों तक प्रिंटेड ड्राइविंग लाइसेंस पहुंचाने में पसीने छूट रहे हैं। डीएल डिस्पैच की जिम्मेदारी पहले आरटीओ को दी गई थी। इसे केंद्रीकृत कर मुख्यालय से किया गया। पूरे प्रदेश का बोझ एक जगह आने से दिक्कतें बढ़ गई हैं। इसे एक बार फिर पुरानी व्यवस्था के तहत लागू करने की योजना है। ताकि आवेदकों को चक्कर लगाने से राहत मिले।
परिवहन आयुक्त बीएन सिंह डीएल डिस्पैच से जुड़ी समस्याओं की शिकायतों पर नजर रखे हुए हैं। कर्मचारियों की लापरवाही और गलत जानकारी देने की शिकायतें भी लगातार मिल रही हैं। उन्होंने वेटिंग खत्म करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि गलत जानकारी देने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। परिवहन आयुक्त ने बताया कि डीएल प्रिंटिंग के लिए नई कंपनी से बातचीत चल रही है। जल्द ही करार हो जाएगा और डीएल डिस्पैच शुरू कर दिया जाएगा।