बुलंदशहर: टमाटर के गिरते दामों ने किसानों की तोड़ी कमर! मंडी में मुफ्त बांटे और फेंके टमाटर, भाड़ा निकालना भी हुआ मुश्किल
1 रुपये किलो टमाटर, लागत नहीं निकली तो खेत से मंडी तक ढुलाई का खर्च भी जेब से दे रहे किसान, बुलंदशहर मंडी में फ्री में बांटे गए टमाटर
Apr 20, 2025, 14:01 IST
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बुलंदशहर: जो टमाटर कभी किसानों को मालामाल कर देता है, वही अब उनके लिए घाटे का सौदा बन गया है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में टमाटर के बेहद कम भाव मिलने से किसान भारी नुकसान उठा रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि उन्हें मंडी तक टमाटर ले जाने का भाड़ा निकालना भी मुश्किल हो गया है। मंडियों में कीमतों में आई भारी गिरावट से किसान मायूस हैं और बेबसी का आलम यह है कि वे अपने खून-पसीने से सींचे गए टमाटर को या तो मुफ्त में बांट रहे हैं या फेंकने को मजबूर हैं।READ ALSO:-उत्तर प्रदेश: स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थान खोलना होगा आसान, नए नियमों से घटी भूखंड और सड़क की चौड़ाई की अनिवार्यता
मंडी में टमाटर फेंकने को मजबूर किसान
बुलंदशहर की नवीन फल एवं सब्जी मंडी में आज किसानों और आढ़तियों की मायूसी साफ दिखी। मंडी में उचित भाव नहीं मिलने पर उन्होंने बड़ी मात्रा में टमाटर फेंक दिए। क्रेट खाली करने और नए माल के लिए जगह बनाने के वास्ते किसानों ने 25 किलो वाली क्रेट्स को मंडी परिसर में ही जमीन पर पलट दिया। यह देख मंडी में मौजूद आम लोगों का जमावड़ा लग गया, जो मुफ्त में टमाटर ले जाने लगे। इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें किसानों की बेबसी कैद है।
कीमतों की चौंकाने वाली सच्चाई
किसानों का कहना है कि पिछले लगभग एक महीने से मंडी में टमाटर की कीमतें पाताल में पहुंच गई हैं। वर्तमान में एक क्रेट (लगभग 25 किलो) टमाटर की कीमत उन्हें महज 20 से 30 रुपये मिल रही है। इसका सीधा मतलब है कि किसानों को उनके उगाए हुए टमाटर का भाव मंडी में सिर्फ 80 पैसे से लेकर सवा रुपये प्रति किलो ही मिल पा रहा है।
उत्पादन और ढुलाई का गणित बनाम मंडी का भाव
किसान बताते हैं कि एक बीघा में टमाटर उत्पादन की लागत जुताई, बुवाई, सिंचाई, निराई, गुड़ाई, बीज, खाद और कीटनाशक मिलाकर कम से कम 15 से 20 हजार रुपये आती है। लेकिन, मौजूदा भाव में तो उत्पादन लागत की बात ही छोड़ दें, उन्हें खेत से मंडी तक टमाटर लाने का खर्च निकालना भी दूभर हो गया है। खेत से मंडी तक एक क्रेट (25 किलो) लाने का औसतन भाड़ा ही करीब 15 रुपये बैठता है। इसके अलावा, मंडी में क्रेट को वाहन से आढ़ती की दुकान पर रखने की पल्लेदारी भी लगभग 2 रुपये प्रति क्रेट है। यानी, मंडी तक लाने और रखने का कुल खर्च ही औसतन 16-17 रुपये प्रति क्रेट आ रहा है, जबकि क्रेट बिक रही है 20 से 30 रुपये में।
आढ़तियों का कहना है कि कम भाव के बावजूद ग्राहक सीमित हैं और नए टमाटर की खेप आने पर पिछले दिन का पुराना टमाटर फेंकना पड़ता है। ऐसे में, किसानों को अपनी मेहनत की कमाई का नुकसान तो हो ही रहा है, मंडी तक लाने-ले जाने का भाड़ा भी अपनी जेब से देना पड़ रहा है।
टमाटर के भाव में आई इस अप्रत्याशित गिरावट ने किसानों की आर्थिक स्थिति पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाला है। उनकी बेबसी और नुकसान को देखते हुए सरकार और संबंधित विभागों से इस समस्या पर ध्यान देने और किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए कदम उठाने की मांग की जा रही है।
