Be Careful! क्या आप भी पी रहे हैं नकली चायपत्ती से बनी जहरीली चाय? इस तरह पहचानें और यहां कर सकते हैं शिकायत

 राजधानी समेत उत्तर प्रदेश के 8 जिलों में नकली चाय की पत्ती और सॉस बिक ​​रहा है। करीब 30 हजार ठेलों पर ये बिक रहा है। पिछले दिनों खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी में इसका खुलासा हुआ।
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Fake tea leaves and sauce
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत 8 जिलों में नकली चायपत्ती और सॉस बिक ​​रहा है। करीब 30 हजार ठेलों पर इसकी बिक्री हो रही है। पिछले दिनों खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी में इसका खुलासा हुआ। नकली चायपत्ती और सॉस भी बरामद किया गया। ये सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। इनसे जानलेवा बीमारियों का भी खतरा है। READ ALSO:-मेरठ : 7 साल की मासूम गैंगरेप करने वाले दरिंदे अभी तक गिरफ्तार नहीं, ICU में गंभीर हालत में भर्ती है बच्ची, हो चुका है ऑपरेशन

 

गंदे बदबूदार कमरे में सिंथेटिक रंग से तैयार हो रही थी सॉस 
24 जनवरी को खाद्य सुरक्षा टीम राजधानी के काकोरी इलाके में सॉस बनाने वाली फैक्ट्री पहुंची। वहां का नजारा देख अफसर हैरान रह गए। बदबूदार और गंदे कमरे में सोया, लाल, हरा सॉस तैयार किया जा रहा था। ये सॉस फलों और सब्जियों से नहीं बल्कि अरारोट और केमिकल रंगों से तैयार किया जा रहा था। इस फैक्ट्री में तैयार हो रहे 5-5 किलो सॉस लखनऊ की करीब 15 हजार दुकानों पर सप्लाई किए जा रहे थे। इन्हें उन्नाव, बाराबंकी, रायबरेली, हरदोई और सीतापुर भी भेजा जा रहा था। 

 

मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी जेपी सिंह ने बताया कि आमतौर पर हरी मिर्च की सॉस और लाल सॉस फलों और सब्जियों से तैयार की जाती है। हालांकि काकोरी और अलीगंज में जिन दो फैक्ट्रियों पर छापा मारा गया, वे न सिर्फ गंदी थीं, बल्कि अरारोट और केमिकल रंगों का भी इस्तेमाल किया जा रहा था। यह मीठे जहर की तरह काम करता है। दोनों फैक्ट्रियों से कुल 3900 किलो सॉस बरामद किया गया। 

 

सिंथेटिक रंगों के दुष्परिणामों को जानें 
सिंथेटिक रंग रासायनिक पदार्थ होते हैं। इनका इस्तेमाल खाने की चीजों का रंग और रंग निखारने के लिए किया जाता है। इससे एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर), एलर्जी या कैंसर हो सकता है। बच्चों और बुजुर्गों को एलर्जी और कैंसर हो सकता है। 

 

पत्थर और जहरीले रंगों से बनाई जा रही थी चायपत्ती 
15 जनवरी को लखनऊ के मड़ियांव इलाके में खाद्य सुरक्षा टीम और यूपी एसटीएफ ने एक फैक्ट्री पर छापा मारकर 11 हजार किलो नकली चायपत्ती, सिंथेटिक रंग और बलुआ पत्थर बरामद किया था। सहायक खाद्य आयुक्त विजय प्रताप सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले हमने लखनऊ विश्वविद्यालय के पास एक चाय की दुकान पर बिक रही चायपत्ती का सैंपल लिया था। इसमें हमें सिंथेटिक रंग और बलुआ पत्थर मिला था। इसके बाद सप्लाई करने वाले डीलर की जांच करने के बाद हम फैक्ट्री पहुंचे। 

 

सहायक खाद्य आयुक्त के अनुसार चाय की पत्तियों को रंगने के लिए प्रतिबंधित सिंथेटिक रंग और बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा था। ये दोनों ही ऐसे पदार्थ हैं जो किसी को भी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी दे सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि सस्ती होने के कारण राजधानी और आसपास के जिलों में मौजूद अधिकांश चाय की दुकानों पर इसी चाय की पत्ती का इस्तेमाल किया जाता है।

 

चाय की पत्तियों में मिले आयरन के कण 
सहायक खाद्य आयुक्त विजय प्रताप सिंह ने बताया कि इससे पहले खाद्य सुरक्षा टीम ने राजधानी के कैंट में चाय की पत्तियों की जांच की थी। इस जांच के दौरान पाया गया कि चाय की पत्तियों में आयरन के कण मौजूद हैं। वैसे तो चाय की पत्तियों को बागान से लाने के बाद प्रोसेसिंग के दौरान आयरन के कण मिलना सामान्य बात है, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है। इस चाय की पत्ती में आयरन की मात्रा अधिक थी।

 

आयरन कणों के दुष्परिणाम 
चिकित्सक डॉ. मनीष अवस्थी के अनुसार अगर चाय की पत्तियों में आयरन के कण पाए जाते हैं तो यह खतरनाक हो सकता है। ऐसी चाय की पत्तियों से बनी चाय पीने से हीमोक्रोमैटोसिस का खतरा हो सकता है। इसके कारण व्यक्ति अधिक मात्रा में आयरन सोखने लगता है। इसके कारण हृदय, लीवर और अग्नाशय में अधिक मात्रा में आयरन जमा हो जाता है। इससे लीवर और हृदय संबंधी बीमारियों और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।

 

ऐसे कर सकतें हैं नकली चायपत्ती की पहचान 
चायपत्ती में चुंबक लगाकर लोहे का पता लगाया जा सकता है। अगर लोहा होगा तो चुंबक से चिपक जाएगा। फिल्टर पेपर को पानी से गीला करें। उस पर चायपत्ती रखें। कुछ देर बाद कागज पर लगे दागों को देखें। असली चायपत्ती से कोई दाग नहीं लगेगा। जबकि मिलावटी चायपत्ती से कागज पर काले-भूरे रंग के दाग दिखेंगे। मिलावटी चायपत्ती में बाहर से रंग मिलाया जाता है। अगर चायपत्ती को पानी में डालने पर रंग निकल रहा है तो इसका मतलब है कि चायपत्ती नकली है।

 

कांच के बर्तन में नींबू का रस डालें। उसमें चायपत्ती डालें। अगर रस काला-पीला और हरा हो जाए तो असली है। अगर रंग नारंगी हो जाए तो नकली है।

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ऐसे कर सकतें हैं नकली सॉस की पहचान 
एक गिलास पानी में एक चम्मच टमाटर या अन्य सॉस डालें। अगर सॉस पानी में घुल जाए और रंग छोड़ने लगे तो इसका मतलब है कि सॉस में रंग मिलाया गया है। बेहतर क्वालिटी का सॉस पानी में तैरता रहता है। इसका रंग भी नहीं बदलता। इसके अलावा यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि असली सॉस गाढ़ा होता है। यह चिपचिपा भी नहीं होता। अरारोट या कॉर्न स्टार्च की मिलावट के कारण यह गाढ़ा होने के साथ चिपचिपा भी हो जाता है। असली सॉस थोड़ा मीठा लेकिन खट्टा होता है। नकली सॉस का स्वाद इससे अलग हो सकता है।

 

मिलावट की शिकायत यहां पर करें 
खाद्य पदार्थों में मिलावट पाए जाने पर आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं। compliance@fssai.gov.in पर मेल के जरिए शिकायत की जा सकती है। इस नंबर 9868686868 पर व्हाट्सएप पर शिकायत की जा सकती है। इसके अलावा टोल फ्री नंबर 1800112100 पर भी शिकायत की जा सकती है। जिले के खाद्य सुरक्षा अधिकारी को फोन करके भी शिकायत की जा सकती है।

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