अयोध्या के राम मंदिर शिखर पर स्थापित हुआ धर्म का प्रतीक: 42 फीट ऊंचे ध्वजदंड ने बढ़ाई शोभा
मंदिर की कुल ऊंचाई अब होगी 203 फीट; प्रथम तल पर राम दरबार की मूर्तियां होंगी साढ़े चार फीट ऊंची, 70 एकड़ परिसर में 18 मंदिर निर्माणाधीन
Apr 29, 2025, 13:48 IST
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अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि पर निर्मित हो रहे भव्य मंदिर के निर्माण में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। मंदिर के मुख्य शिखर पर मंगलवार को 42 फीट ऊंचे धर्म ध्वजदंड को पूरे विधि-विधान और भक्तिभाव के साथ स्थापित कर दिया गया। यह महत्वपूर्ण स्थापना मंदिर के स्वरूप को और भी विराट बना देगी।READ ALSO:-मेरठ: सिवालखास में पुलिस चौकी से चंद कदमों की दूरी पर ऐलानिया कत्ल, भाई की हत्या का बदला लेने को 1 लाख में दी सुपारी
राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, यह विशिष्ट ध्वजदंड पीतल (ब्रास) से निर्मित है और इसका वजन लगभग 5.5 टन है। इसे 60 कुशल कारीगरों ने पूरे समर्पण के साथ 7 महीने की अवधि में तैयार किया है। इसकी अनुमानित आयु लगभग 100 वर्ष बताई गई है, जो इसे मंदिर के गौरव का दीर्घकालिक प्रतीक बनाती है।
वर्तमान में मंदिर का शिखर 161 फीट ऊंचा है। धर्म ध्वजदंड की स्थापना और इसके सबसे ऊपरी सिरे पर लगने वाले ध्वज के बाद, श्रीराम मंदिर की कुल ऊंचाई बढ़कर 203 फीट हो जाएगी, जिससे यह और भी अधिक प्रभावशाली दिखेगा।
ध्वजदंड को स्थापित करने की प्रक्रिया मंगलवार सुबह करीब साढ़े 6 बजे शुरू हुई। इस कार्य के लिए 20 से अधिक मजदूरों और दो शक्तिशाली क्रेनों का उपयोग किया गया। इंजीनियर शिखर पर 160 फीट की ऊंचाई पर मौजूद रहे और उनकी निगरानी में ध्वजदंड को ट्रॉली से उठाकर धीरे-धीरे सीधा खड़ा किया गया। इसके बाद क्रेनों की सहायता से इसे मुख्य शिखर पर बने स्थान पर कुशलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया। यह संपूर्ण प्रक्रिया लगभग डेढ़ घंटे में, सुबह 8 बजे तक पूरी हो गई। इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने के लिए ध्वजदंड के निर्माता गुजरात के भरत भाई भी उपस्थित रहे। स्थापना के उपरांत, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने विधिवत हवन-पूजन कर इस कार्य को पूर्णता प्रदान की।
राम मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, यह गौरवशाली धर्म ध्वजदंड गुजरात के अहमदाबाद की एक प्रतिष्ठित कंपनी द्वारा तैयार किया गया है। इसे जनवरी 2024 में ही विशेष ट्रक के माध्यम से अयोध्या लाया गया था। हालांकि, उस समय मंदिर का शिखर अपने अंतिम स्वरूप में नहीं था, जिसके कारण ध्वजदंड को राम मंदिर परिसर में ही सुरक्षित रख दिया गया था। अब शिखर का निर्माण पूरा होने के बाद, शुभ मुहूर्त देखकर इसे स्थापित किया गया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि इस ध्वजदंड स्थापना से पहले, 14 अप्रैल (संभवतः 2024) को भी राम मंदिर के मुख्य शिखर पर वैदिक मंत्रोच्चार और हवन-पूजन के साथ कलश स्थापित किया गया था, जो शिखर निर्माण श्रृंखला का एक अहम चरण था।
मंदिर के मुख्य परिसर के चारों ओर 800 मीटर लंबे परकोटे का निर्माण कार्य भी तेज़ी से पूर्णता की ओर है। परकोटे में कुल 6 मंदिर बनाए गए हैं और इन सभी का निर्माण पूरा हो चुका है। इन मंदिरों में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्थापित करने का कार्य 30 अप्रैल, अक्षय तृतीया के अत्यंत शुभ दिन से प्रारंभ होगा। इन मंदिरों के लिए सफेद संगमरमर से बने 2 फीट ऊंचे सिंहासन भी तैयार कर लिए गए हैं।
श्रद्धालुओं की सुविधा और सहजता के लिए राम मंदिर परिसर में कई महत्वपूर्ण ढांचों का निर्माण प्रस्तावित है। लगभग 10 एकड़ की भूमि एक बड़े शू रैक के लिए समर्पित होगी, जिसमें भक्तों के सामान रखने के लिए करीब 62 काउंटर बनाए जाएंगे। इसी 10 एकड़ के क्षेत्र में एक विशाल और शांत साधना स्थल भी विकसित किया जाएगा, जहाँ भक्त एकांत में बैठकर पूजा-पाठ और ध्यान कर सकेंगे। कुबेर टीला क्षेत्र और साधना स्थल के आसपास व्यापक स्तर पर हरियाली विकसित करने की योजना है।
मंदिर के प्रथम तल पर बन रहे भव्य राम दरबार में स्थापित होने वाली मूर्तियों का आकार भी निश्चित कर दिया गया है। यहाँ मुख्य विग्रह के रूप में भगवान राम और माता सीता की मूर्ति की ऊंचाई साढ़े चार फीट होगी, जबकि उनके तीनों भाइयों (लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न) की मूर्ति की ऊंचाई साढ़े तीन फीट होगी। भगवान हनुमान जी को माता सीता और भगवान राम के चरणों में बैठी हुई मुद्रा में दर्शाया जाएगा, जिनकी मूर्ति की ऊंचाई लगभग डेढ़ से दो फीट के बीच होगी।
राम दरबार की सज्जा अत्यंत भव्य होगी। इसके लिए सफेद संगमरमर का एक बेहद सुंदर और बारीक नक्काशीदार सिंहासन तैयार किया गया है। सिंहासन के सामने एक आकर्षक मंडपम बनाया गया है, जिसके खंभों पर की गई नक्काशी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी। यह मंडपम विशेष रूप से जयपुर के प्रसिद्ध पिंक सैंड स्टोन से निर्मित किया गया है।
कुल मिलाकर, 70 एकड़ के विशाल राम मंदिर परिसर में विभिन्न प्रकार के कुल 18 मंदिरों का निर्माण कार्य तीव्र गति से जारी है। इन मंदिरों में परकोटा के भीतर बने 6 मंदिर (विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित), सप्त मंडल के 7 मंदिर (ऋषियों-मुनियों को समर्पित), मुख्य रामलला का मंदिर (भूतल और प्रथम तल दोनों), राम दरबार मंदिर, शेषावतार मंदिर, कुबरेश्वर महादेव का मंदिर और गोस्वामी तुलसीदास का मंदिर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, परकोटे की दीवारों पर कांस्य के कुल 90 भित्तिचित्र लगाए जाने की योजना है, जिनमें से 11 पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं। ये सभी निर्माण कार्य अयोध्या के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिदृश्य को और भी समृद्ध बना रहे हैं।
