उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के संविदा कर्मियों पर गिरी गाज, 1200 हटाए गए, 20 हजार पर लटकी तलवार...मेरठ समेत हुआ इन शहरों में हुआ विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग में इस समय अफरातफरी मची हुई है। 55 साल की उम्र पूरी कर चुके 1200 संविदा कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। वहीं, 20 हजार अन्य पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। सरकार के इस फैसले को लेकर संघर्ष समिति के नेता राजीव सिंह ने कहा कि यह निजीकरण के लिए किया जा रहा है।
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उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बिजली कर्मचारियों ने जिलों और परियोजना मुख्यालयों पर अपना विरोध दर्ज कराया। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के लिए बड़े पैमाने पर मनमाने तरीके से संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है, जिससे प्रदेश भर के बिजली कर्मचारियों में भारी रोष है।READ ALSO:- गाजियाबाद : कपड़े उतरवा कर बनाया वीडियो, गे डेटिंग ऐप के चक्कर में युवक को 1.4 लाख का चूना

 

संघर्ष समिति के नेता राजीव सिंह ने कहा कि वर्ष 2019 के एक शासनादेश का हवाला देते हुए 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है। यह पूरी तरह गलत है और निजीकरण से पहले भय का माहौल बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके संविदा कर्मी पिछले छह वर्षों से काम कर रहे हैं। 

 

ऐसे में अब अचानक उन्हें हटाना पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि बहुत कम वेतन पाने वाले कई संविदा कर्मी ऐसे हैं, जो विभाग और उपभोक्ताओं की सेवा करते-करते विकलांग हो गए हैं। अब उन्हें हटाकर पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन उन्हें भीख मांगने पर मजबूर कर रहा है। यह बेहद निंदनीय कृत्य है। 

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55 वर्ष की आयु वाले संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है संघर्ष समिति ने कहा कि हटाए गए 1200 संविदा कर्मियों में सभी 55 वर्ष की आयु वाले नहीं हैं। यह बात सामने आई है कि निजीकरण के बाद निजी घरानों की सुविधा के लिए 25 प्रतिशत संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है। इस प्रकार पूरे प्रदेश में करीब 20 हजार संविदा कर्मियों पर नौकरी जाने की तलवार लटक रही है। 

 

प्रबंधन छंटनी के नाम पर भय का माहौल बनाकर निजीकरण थोपना चाहता है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारी समझते हैं कि अभी संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है। कुछ समय बाद नियमित कर्मचारियों को भी हटाया जाएगा। यह सब निजी घरानों की सुविधा के लिए किया जा रहा है। 

 

इन शहरों में हुआ विरोध प्रदर्शन? 
मेरठ वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, मिर्ज़ापुर, आज़मगढ़, बस्ती, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, बरेली, सहारनपुर, मुज़फ़्फ़रनगर, बुलन्दशहर, ग़ाज़ियाबाद, मुरादाबाद, अलीगढ़, मथुरा, एटा, हरदुआगंज, कानपुर, पनकी, पारीछा, झाँसी, बांदा, ओबरा, अनपरा में बड़ी विरोध सभाएँ हुईं। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने राजधानी लखनऊ में लेसा और मध्यांचल मुख्यालय पर बड़ी बैठकों को संबोधित किया. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पूरे सप्ताह विरोध सभाओं का सिलसिला जारी रहेगा।

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