कश्मीर के हंदवाडा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान कर्नल आशुतोष शर्मा शहीद हो गए। उनके अदम्य साहस और जांबाजी को पूरा हिंदुस्तान पहले से परिचित है। पहले भी कई दफा उन्होंने आतंकियों को धूल चटाई है। एक बार ग्रेनेड छिपाए एक आतंकी जवानों की ओर बढ़ रहा था, जिसे कर्नल आशुतोष शर्मा ने देख लिया और उसके करीब जाकर उसे गोली मारी थी और आने सभी जवानों की जान बचाई थी। उन्हें इस बहादुरी के लिए पिछले साल ही सेना मेडल से नवाजा गया था। इससे पहले भी उन्हें सेना मेडल मिल चुका है।

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले थे
कर्नल आशुतोष उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं, लेकिन उनका परिवार फिलहाल जयपुर में रह रहा है। परिवार में पत्नी और 12 साल की बेटी है। कर्नल आशुतोष पिछले ढाई साल से 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे। राष्ट्रीय राइफल्स कश्मीर में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन्स की अगुआई करती है। इसका हेडक्वार्टर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में है।
इससे पहले वर्ष 2000 में आतंकियों के आईईडी ब्लास्ट में 21 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल रजिंदर चौहान शहीद हो गए थे। उनके साथ ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल और पांच जवान भी शहीद हुए थे।
27 जनवरी 2015 में कश्मीर के त्राल में मुठभेड़ के दौरान 42 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल एमएन राय शहीद हुए थे। कर्नल राय गोरखा रेजिमेंट से थे और उत्तरप्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा 2015 में इसी कुपवाड़ा के हाजी नाका जंगल में आतंकियों से मुठभेड़ में 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर महाराष्ट्र के रहने वाले कर्नल संतोष महाडिक शहीद हुए थे।
