UP समेत अन्य राज्यों में संचालित हजारों मदरसों को बंद करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, NCPCR के आदेश पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में मदरसा बोर्ड को भंग करने और उन्हें मिलने वाली सरकारी फंडिंग रोकने की याचिका पर दिया है।
Oct 21, 2024, 13:42 IST
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उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों में चल रहे मदरसा बोर्ड को भंग करने और उनके सरकारी अनुदान को रोकने की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा बोर्ड में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की गाइडलाइन पर भी रोक लगा दी है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी। READ ALSO:-बिजनौर : नूरपुर में ढाबे पर देर रात खाना खाने को लेकर जमकर मारपीट और कुर्सियां फेंकी गईं, वीडियो हो रहा वायरल
दरअसल आयोग ने मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को औपचारिक शिक्षा देने और इसके लिए उन्हें सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने का बड़ा आदेश दिया था। इस फैसले के दायरे में उत्तर प्रदेश के हजारों सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसे भी आते थे। लेकिन शुरुआती सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिशों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।
Supreme Court stays the NCPCR recommendations to stop state funding to Madrassas and Madrassa boards for not complying with Right to Education Act and children attending Madrasas be enrolled in formal schools. pic.twitter.com/sowzxbbvkE
— ANI (@ANI) October 21, 2024
कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को NCPCR की सिफारिशों पर अमल रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दाखिल याचिका पर सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है। कुछ समय पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सभी मदरसों को मिलने वाली सरकारी फंडिंग रोकने और मदरसा बोर्ड को भंग करने की सिफारिश की थी।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसा छोड़कर शिक्षा के अधिकार के तहत अनिवार्य शिक्षा के लिए दूसरे स्कूलों में दाखिला लेने को कहा था। साथ ही मदरसों में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों को औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाने के निर्देश दिए थे।
