ससुर की संपत्ति पर नहीं है दामाद का कोई हक, भले ही उसने मकान बनवाने में अपना पैसा खर्च किया हो: हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि, दामाद किसी भी सूरत में ससुर की संपत्ति या घर पर दावा नहीं कर सकता, भले ही दामाद ने घर बनाने में अपना पैसा खर्च किया हो, लेकिन वह इस संपत्ति में अपना हक नहीं जता सकता। 

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keral high Court
 

केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि ससुर की संपत्ति में दामाद का कोई कानूनी हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि दामाद किसी भी सूरत में ससुर की संपत्ति या घर पर दावा नहीं कर सकता, भले ही दामाद ने घर बनाने में अपना पैसा खर्च किया हो, लेकिन वह इस संपत्ति में अपना हक नहीं जता सकता। 

ससुर ने दायर की थी याचिका

दरअसल कोर्ट केरल के कन्नूर के रहने वाले हेंड्री थॉमस ने निचली कोर्ट में अपील दायर करते हुए कहा था कि उनका दामाद डेविस राफेल उनकी संपत्ति में दखलअंदाजी करता है और इसपर अपना हक जताता है। हेंड्री ने कोर्ट से कहा था कि वह डेविस के उनकी संपत्ति में दखलअंदाजी करने और वहां आने पर स्थायी रूप से रोक लगाएं और उन्हें शांतिपूर्वक रहने दिया जाए।

चर्च से उपहार में मिली थी संपत्ति

हेंड्री ने कोर्ट को बताया था कि फादर जेम्स नसरथ और सेंटपॉल्स चर्च की ओर से उन्हें तोहफे में यह संपत्ति मिली थी, जिस पर उन्होंने अपना पैसा खर्च कर पक्का मकान बनाया और वे यहां अपने परिवार के साथ रहते हैं, लेकिन दामाद डेविस का उनकी ओस संपत्ति में किसी तरह का कोई हक नहीं है। 

दामाद ने दी यह दलील

वहीं हेंड्री के दामाद डेविस ने अपने पक्ष में दलील देते हुए कहा था कि इस संपत्ति का स्वामित्व सवालों में है, क्योंकि यह चर्च की तरफ से दान पत्र के माध्यम से परिवार को मिली थी। डेविस ने कहा कि उसने हेंड्री की इकलौती बेटी से शादी की है और एक तरह से शादी के बाद उसे परिवार ने गोद लिया है। इसलिए उसका इस मकान व संपत्ति पर हक है। 

कोर्ट ने सुनाया यह फैसला

इन तमाम दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस ए. अनिल कुमार ने लोअर कोर्ट  के फैसलों को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में कहा कि, ''इस न्यायालय को प्रथम अपीलीय न्यायालय के निर्णय और निचली अदालत की डिक्री में कोई त्रुटि नहीं मिली है। इस प्रकार, यह आरएसए जुर्माने के साथ खारिज की जाती है।''


उन्होंने कहा कि कि हेंड्री संपत्ति और बिल्डिंग के लिए टैक्स दे रहा है और उसमें रह भी रहा है। यह भी नहीं कहा जा सकता कि दामाद परिवार का एक सदस्य है। दामाद का यह कहना भी बेहद शर्मनाक है कि हेंड्री की बेटी से शादी के बाद परिवार ने उसे व्यवहारिक तौर पर गोद लिया था। इसीलिए डेविस हेंड्री की संपत्ति में किसी भी तरह का कोई हक नहीं जता सकता है।

कोर्ट ने कहा कि,

जब संपत्ति ससुर के कब्जे में है, तो दामाद यह दलील देकर संपत्ति में हक़ नहीं जता सकता कि ससुर की बेटी के साथ शादी के बाद परिवार ने सदस्य के रूप में उसे अपनाया था। अगर दामाद का कोई निवास, यदि ससुर के घर में है तो वह प्रकृति में केवल अनुज्ञात्मक है। इसलिए, दामाद का अपने ससुर की संपत्ति और भवन पर किसी भी तरह का कोई भी कानूनी अधिकार नहीं है, भले ही उसने घर के निर्माण पर कुछ पैसा ही क्यों ना खर्च किया हो।'

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