रिकॉर्ड तोड़ मानसून ने दी दस्तक! 16 साल में सबसे तेज एंट्री, जून में 108% बारिश का अनुमान!
देश के लिए बंपर बारिश का संकेत, खेती-किसानी को संजीवनी; पर मुंबई-केरल में झमाझम बारिश ने मचाई तबाही, जनजीवन अस्त-व्यस्त
May 27, 2025, 21:16 IST
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भारत में इस साल मानसून ने अपने आगमन के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं! भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक बड़ी खुशखबरी देते हुए कहा है कि जून 2025 में सामान्य से अधिक वर्षा होने की प्रबल संभावना है, जो दीर्घकालिक औसत का 108 प्रतिशत तक पहुँच सकती है। यह पिछले 16 वर्षों में मानसून की सबसे पहली शुरुआत है, जिसने देश के कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के लिए बंपर बारिश का संकेत दिया है। हालांकि, मानसून की इस रिकॉर्डतोड़ एंट्री ने केरल और मुंबई जैसे तटीय इलाकों में भारी तबाही मचाई है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
ऐतिहासिक आगमन: 16 दिन पहले मुंबई, केरल में 2009 के बाद सबसे तेज!
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अपनी सामान्य तारीख से पूरे 16 दिन पहले मुंबई पहुँच गया है। यह 1950 के बाद पहली बार हुआ है कि मानसून इतनी जल्दी मायानगरी में दस्तक दे रहा है। इससे पहले, मानसून ने शनिवार को केरल में एंट्री की थी, जो 2009 के बाद (जब यह 23 मई को पहुँचा था) भारत की मुख्य भूमि पर सबसे जल्दी आगमन है।
सामान्यतः दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून तक केरल में प्रवेश करता है, 11 जून तक मुंबई पहुँचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। इस बार का इतनी तेजी से सक्रिय होना एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण मौसमी घटना है।
पूरे सीजन के लिए 'बंपर' बारिश का पूर्वानुमान: कृषि के लिए शुभ संकेत
IMD ने पूरे मानसून सीजन (जून से सितंबर) के लिए भी शानदार खबर दी है। विभाग ने कहा है कि देश में 87 सेमी की दीर्घकालिक औसत बारिश का 106 प्रतिशत बारिश हो सकती है, जिसे 'सामान्य से अधिक' माना जाता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने विशेष रूप से बताया कि इस मौसम में मानसून कोर जोन (जिसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आसपास के इलाके शामिल हैं) में तो सामान्य से भी अधिक (लंबी अवधि के औसत का 106 प्रतिशत से अधिक) बारिश होने की संभावना है। यह क्षेत्र अपनी खेती के लिए पूरी तरह से मानसून पर निर्भर करता है, इसलिए यह खबर किसानों के लिए संजीवनी से कम नहीं है।
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मध्य और दक्षिण भारत: यहाँ सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है।
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उत्तर-पश्चिम भारत: इस क्षेत्र में सामान्य बारिश होने का अनुमान है।
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पूर्वोत्तर भारत: दुर्भाग्यवश, पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
क्यों है दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत के लिए 'जीवन रेखा'?
दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत के लिए किसी जीवन रेखा से कम नहीं है, और इसके कई कारण हैं:
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पानी की 70% जरूरतें: जून से सितंबर तक की ये मानसूनी बारिश देश की सालाना बारिश का लगभग 70% है। यही बारिश देश की पानी की जरूरतों को सबसे ज्यादा पूरा करती है।
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कृषि की रीढ़: भारत में खेती की लगभग 60% जमीन सिंचाई के लिए मानसून के ही भरोसे है। धान, मक्का, बाजरा, रागी और अरहर जैसी खरीफ की फसलें सीधे तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून से जुड़ी हुई हैं। अच्छी बारिश का मतलब बेहतर कृषि उत्पादन, किसानों की समृद्धि और देश की खाद्य सुरक्षा है।
समय से पहले बारिश की 'तबाही': मुंबई-केरल बेहाल!
एक ओर जहां ये अनुमान देश के लिए शुभ हैं, वहीं मानसून के इस रिकॉर्डतोड़ और समय से पहले आगमन ने कुछ इलाकों में मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं। मौसम विभाग ने आगामी कुछ दिनों में केरल, कर्नाटक, तटीय महाराष्ट्र और गोवा के कुछ इलाकों में बहुत से बहुत भारी बारिश होने की संभावना जताई है।
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मुंबई में हाहाकार: मायानगरी मुंबई में झमाझम बारिश ने कहर बरपाया हुआ है। शहर में जगह-जगह पानी भर गया है, सड़कें, नालियां और नाले सब पानी से लबालब हैं। बारिश के चलते लोगों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। मेट्रो और रेलवे स्टेशनों के अंदर भी पानी घुसने की खबरें हैं, जिससे दैनिक यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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केरल में भी स्थिति गंभीर: केरल में भी समय से पहले आई इस जोरदार बारिश ने भारी तबाही मचाई है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है।
यह रिकॉर्ड-तोड़ मानसून जहाँ एक ओर देश की प्यास बुझाने और खेतों को हरा-भरा करने का वादा लेकर आया है, वहीं शुरुआती दिनों में इसकी तीव्रता ने शहरी क्षेत्रों में जलभराव और अस्त-व्यस्तता जैसी नई चुनौतियां भी पेश की हैं।
