केंद्र सरकार का फैसला, ‘पीएम पोषण’ के नाम से जानी जाएगी मिड डे मील योजना

mid day meal : केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
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mid day meal

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अब सरकारी सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील (mid day meal) का नाम बदल दिया गया है। अब यह योजना पीएम पोषण (PM Poshan) के नाम से जानी जाएगी। इसमें बाल वाटिका से लेकर प्राथमिक विद्यालय के स्तर के विद्यार्थियों को कवर किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हरसंभव काम करने को प्रतिबद्ध हैं। पीएम-पोषण को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय बहुत अहम है और इससे भारत के युवाओं का फायदा होगा।’’

 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Education Minister Dharmendra Pradhan) के मुताबिक यह योजना पंचवर्षीय रहेगी। जिसका काल 2021-22 से 2025-26 तक के लिये है। जानकारी के मुताबिक 54,061.73 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों तथा केन्‍द्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से 31,733.17 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल की अवधि के लिए ‘स्कूलों में राष्‍ट्रीय पीएम पोषण योजना’ को जारी रखने की मंजूरी दी गई है। योजना पांच वर्षों जिस पर 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च आयेगा। उन्होंने बताया कि इसके तहत मंत्री ने बताया कि केन्‍द्र सरकार खाद्यान्न पर करीब 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत भी वहन करेगी। इस प्रकार योजना पर कुल खर्च 1,30,794.90 करोड़ रुपये आयेगा। पढ़ें - Family Pension: बदल गए फैमिली पेंशन के नियम, जानिए किन लोगों को मिलेगा फायदा।

 

सरकारी, सहकारी स्कूल के कक्षा एक से आठ तक के छात्र

सीसीईए ने इसे पीएम पोषण योजना के रूप में मंजूरी दी है। प्रधान ने कहा कि पीएम पोषण योजना के दायरे में बाल वाटिका (प्री स्कूल) के बच्चे भी आएंगे। इस केंद्र प्रायोजित योजना के दायरे में सरकारी, सरकारी सहायता-प्राप्त स्कूलों की पहली कक्षा से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले सभी स्कूली बच्चे आएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि रसोइयों, खाना पकाने वाले सहायकों का मानदेय प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से दिया जाए। स्कूलों को भी डीबीटी के माध्यम से राशि उपलब्ध करायी जाए। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक इस योजना से 11.20 लाख स्कूलों के 11.80 करोड़ बच्चों को लाभ मिलेगा।  Read Also : Flipkart Big Billion Days Sale: Smart Phone, TV समेत अन्य Products पर मिलेगी Rs 4 हजार तक की छूट!

 

1995 में शुरू की गई थी मध्याह्न योजना

जानकारी हो कि  मध्याह्न योजना 1995 में शुरू की गई थी जिसका लक्ष्य प्राथमिक स्कूल के छात्रों को कम से कम एक बार पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना था। यह बाद में स्कूलों में दाखिले में सुधार करने में सहायक बन गई। मंत्रालय के के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक नई योजना के तहत अगर राज्य अपनी स्थानीय सब्जी या कोई अन्य पौष्टिक भोजन या दूध या फल जैसी कोई चीज शामिल करना चाहते हैं तो वे केंद्र की मंजूरी से ऐसा कर सकते हैं। अधिकारी ने कहा, “ यह आवंटित बजट में होना चाहिए। इससे पहले, राज्यों को कोई अतिरिक्त वस्तु शामिल करने पर लागत खुद वहन करनी पड़ती थी।”

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