महाप्रभु के द्वार पर महा-त्रासदी: पुरी में आस्था के सैलाब में भगदड़, 3 भक्तों की दर्दनाक मौत

 भोर के अंधेरे में दर्शन की होड़ बनी काल, गुंडिचा मंदिर के सामने नंदीघोष रथ के पास मची चीख-पुकार; प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
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PURI
पुरी, ओडिशा: जहाँ लाखों आँखें महाप्रभु जगन्नाथ की एक झलक पाने को तरस रही थीं, जहाँ हवा में सिर्फ 'जय जगन्नाथ' का जयघोष था, वहीं रविवार की भोर एक अमिट त्रासदी लेकर आई। विश्व प्रसिद्ध पुरी रथयात्रा के उत्सव का माहौल उस वक्त मातम में बदल गया, जब गुंडिचा मंदिर के ठीक सामने भगवान जगन्नाथ के 'नंदीघोष' रथ के पास दर्शन के लिए मची होड़ ने भगदड़ का रूप ले लिया। इस दर्दनाक हादसे में तीन श्रद्धालुओं की भीड़ के नीचे कुचलकर मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं।READ ALSO:-टोल प्लाजा पर अब 'नो टेंशन': ₹3000 में पूरे साल का फास्टैग पास, 15 अगस्त से शुरू!

 भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु पुरी पहुंचे हैं।

क्या हुआ था उस भयावह सुबह?
शनिवार को दिन भर की यात्रा के बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ अपनी मौसी के घर, यानी गुंडिचा मंदिर पहुंच चुके थे। रात भर श्रद्धालुओं का सैलाब अपने आराध्य के दर्शन के लिए उमड़ रहा था। रविवार तड़के करीब 4 बजे, जब अँधेरा छँटा भी नहीं था, 'नंदीघोष' रथ के पास भक्तों का हुजूम बेकाबू हो गया। हर कोई सबसे पहले, सबसे करीब से महाप्रभु के दर्शन कर लेना चाहता था। इसी आपाधापी और धक्का-मुक्की ने एक भयावह भगदड़ को जन्म दिया। देखते ही देखते लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और पल भर में उत्सव की ध्वनि चीख-पुकार में बदल गई।

 पुरी में रविवार तड़के करीब 4 बजे गुंडिचा मंदिर के सामने, भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के पास भीड़ में भगदड़ मच गई।

आस्था पर भारी पड़ी अव्यवस्था? सुरक्षा में चूक के आरोप
हादसे में जान गंवाने वालों की पहचान बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास के रूप में हुई है। इस घटना ने सीधे तौर पर स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि जिस स्थान पर लाखों की भीड़ जुटने की उम्मीद थी, वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस या सुरक्षा बल मौजूद नहीं थे। अगर समय पर उचित बैरिकेडिंग और भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था होती, तो शायद यह दुखद हादसा टाला जा सकता था।

 


त्रासदी में बुझ गए 3 जीवनदीप
  • बसंती साहू (36)
  • प्रेमकांति महांति (78)
  • प्रभाती दास (आयु अज्ञात)
इनकी मौत मौके पर ही हो गई, शवों को पुरी मेडिकल कॉलेज में भेजा गया। परिवारों पर टूटा दुख का पहाड़, कई अब भी अपनों की तलाश में हैं।

 


दो दिन पहले ही मिला था चेतावनी का संकेत
यह घटना और भी गंभीर इसलिए हो जाती है क्योंकि प्रशासन के लिए यह कोई पहली चेतावनी नहीं थी। अभी शुक्रवार (27 जून) को ही, देवी सुभद्रा के रथ के पास अत्यधिक भीड़ और उमस के कारण 600 से अधिक श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई थी, जिनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस घटना के बावजूद भीड़ प्रबंधन को लेकर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए, यह एक बड़ा सवाल है।

 


यह हादसा इस बात की दर्दनाक याद दिलाता है कि आस्था और भक्ति के महापर्वों में सुरक्षा और व्यवस्था का कितना अधिक महत्व होता है। फिलहाल, इस घटना ने पुरी के उत्सव के रंग को फीका कर दिया है और हर तरफ एक शोक की लहर है।
OMEGA

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