किसान आंदोलन : 10वीं बैठक भी बेनतीजा, कृषि मंत्री बोले- हमनें आपकी कुछ मांगे मानी, आप भी तो कुछ मानिए, अब 19 को फिर बैठक

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कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन को शुक्रवार को 51 दिन हो गए। सरकार और किसानों के बीच बीती 9 दौर की वार्ता विफल होने के बाद शुक्रवार को 10वें दौर की वार्ता हुई, लेकिन यह भी बेनतीजा रही। विज्ञान भवन में आयोजित बैठक करीब 4 घंटे चली। बैठक में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल हुए। अब किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बैठक 19 जनवरी को होगी।

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हर बार की तथ इस बार भी बैठक में किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे। इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से विनम्र लहजे में कहा कि "हमने आपकी कुछ मांगें मानी हैं। क्या आपको भी कुछ नरमी नहीं दिखानी चाहिए?" तोमर ने कहा कि "कानून वापसी की एक ही मांग पर अड़े रहने की बजाय आपको भी हमारी कुछ बातें माननी चाहिए।"

कमेटी 19 जनवरी को पहली बैठक कर सकती है
कृषि कानूनों पर किसानों से चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 12 जनवरी को 4 एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई गई थी। 14 जनवरी यानी 2 दिन बाद ही कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस ले लिया। अब कमेटी 19 जनवरी को पहली बैठक कर सकती है।

मोदी और उनके बिजनेसमैन दोस्त सब छीन लेंगे- राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान आंदोलन पर सरकार को घेरते हुए कहा, ‘किसानों को ये बात समझ आ गई है कि उनकी आजादी छिन गई है। नरेंद्र मोदी और 2-3 उद्योगपति मित्र, जो भी आपका है, उसे छीनने जा रहे हैं। मीडिया, IT, रिटेल और पावर सेक्टर में देखिए, 4-5 बिजनेसमैन और नरेंद्र मोदी ही हैं। ये 4-5 लोग ही देश को चला रहे हैं। किसान और आम लोग कहीं नहीं हैं।’

सरकार को भी कैसे रास्ता नहीं सूझ रहा, 2 पॉइंट्स से समझिए
1. किसानों से ही विकल्प मांग रही सरकार
9वें दौर की बातचीत के बाद कृषि मंत्री मीडिया के सामने आए थे। उन्होंने कहा था ‘कानूनों पर चर्चा की कोशिश की गई, पर कोई फैसला नहीं हो पाया। हमने किसानों से कहा कि वे कानून वापसी के अलावा कोई विकल्प हमें दें तो हम विचार को तैयार हैं, लेकिन हमें कोई विकल्प नहीं दिया गया।’

2. कानूनों का समर्थन कर रहे किसानों को शामिल करने में भी हिचक
सरकार अभी किसानों को और नाराज नहीं करना चाहती। कृषि मंत्री से पूछा गया कि क्या वे कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे किसान संगठनों को भी अगली बैठक में शामिल करेंगे? इस पर उन्होंने कहा, ‘अभी ऐसा कोई विचार नहीं है। अभी हम आंदोलन कर रहे पक्ष से बात कर रहे हैं। जरूरत पड़ी, तो दूसरे पक्ष पर विचार करेंगे।’

4 मुद्दों पर मतभेद थे, 2 पर बात अटकी
किसानों के 4 बड़े मुद्दे हैं-

  • पहला- सरकार कृषि कानूनों को वापस ले।
  • दूसरा- सरकार यह लीगल गारंटी दे कि वह मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP जारी रखेगी।
  • तीसरा- बिजली विधेयक वापस लिया जाएगा।
  • चौथा- पराली जलाने पर सजा का प्रावधान वापस लिया जाए।
  • बिजली विधेयक और पराली के मुद्दे पर सरकार 7वें दौर की बातचीत में ही किसानों को भरोसा दे चुकी है, लेकिन MSP और कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग पर गतिरोध बना हुआ है।

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