टोल प्लाजा पर हेरा फेरी! फर्जी सॉफ्टवेयर से सरकार को लगाया जा रहा था चूना

लोकसभा में नितिन गडकरी ने बताया, एसटीएफ जांच में हुआ खुलासा, एजेंसी पर लगा बैन
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TOLL PLAZA
"चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए" वाली कहावत उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एक टोल प्लाजा पर सच होती दिखी, जहां फर्जी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से सरकार को लाखों का चूना लगाया जा रहा था। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब लोकसभा में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से इस बारे में सवाल पूछा गया।READ ALSO:-1 अप्रैल से बदल जाएंगे ये नियम! इनकम टैक्स में मिलेगी राहत, TDS-TCS के नियमों में भी बदलाव

 

संसद में पूछा गया सवाल:
लोकसभा में नितिन गडकरी से सवाल किया गया कि क्या सरकार को एनएचएआई के तहत राजमार्गों पर टोल बूथों पर फर्जी सॉफ्टवेयर से किए गए घोटाले की जानकारी है? यदि हां, तो उसका विवरण क्या है? क्या सरकार देश के सभी टोल बूथों की जांच कराने पर विचार कर रही है? अब तक कितने का घोटाला हुआ है और इस पर क्या कार्रवाई की गई है?

 

सरकार का जवाब और मिर्जापुर का मामला:
सरकार ने अपने जवाब में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एसटीएफ द्वारा दर्ज एफआईआर का हवाला दिया। बताया गया कि अत्रैला शिव गुलाम यूजर फीस प्लाजा में लगे टोल मैनेजमेंट सिस्टम (TMS) सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी करके गैर-फास्टैग और ब्लैक लिस्टेड फास्टैग वाहनों से अलग हैंडहेल्ड मशीनों के जरिए पैसे लिए जा रहे थे। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) सिस्टम में कोई उल्लंघन नहीं पाया गया।

 

सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार, जब अवैध फास्टैग वाले वाहन टोल प्लाजा में प्रवेश करते हैं, तो बूम बैरियर नहीं खुलता, जिसके कारण नकद लेनदेन होता है। ऐसे में वाहन चालक को लागू शुल्क का दोगुना भुगतान करना पड़ता है। टोल ऑपरेटर इस लेनदेन को छूट या उल्लंघन की श्रेणी में दिखाकर अवैध पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) मशीनों का उपयोग करके भुगतान रसीद बना सकता है।

 

जांच में यह भी पाया गया कि ओवरलोड वाहनों से अतिरिक्त नकद भुगतान वसूलने की संभावना थी, जिसका ईटीसी/टीएमएस सिस्टम में कोई रिकॉर्ड नहीं था। घटना से पहले और बाद के नकद लेनदेन के प्रतिशत में वृद्धि देखी गई, जिससे संकेत मिलता है कि टोल ऑपरेटर उन वाहनों से नकद ले रहे थे जिनके पास फास्टैग नहीं था या जिनके फास्टैग अमान्य थे।

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कार्रवाई और भविष्य की योजना:
इस घोटाले के सामने आने के बाद एनएचएआई ने यूजर फीस एजेंसी के साथ अनुबंध समाप्त कर दिया है और एजेंसी पर एक साल का प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा, एसटीएफ द्वारा आपराधिक कार्रवाई भी की जा रही है। एफआईआर के आधार पर 13 अन्य यूजर फीस संग्रह करने वाली एजेंसियों को भी दो साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।

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भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एनएचएआई टोल प्लाजा पर ऑडिट कैमरे लगाने पर विचार कर रहा है। इन कैमरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे सटीक आंकड़े प्राप्त किए जा सकेंगे और किसी भी तरह की हेराफेरी को पकड़ा जा सकेगा।

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