कृषि कानून : सरकार तारीख पर तारीख दे रही है, लिखकर किसान ने लगा ली फांसी

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किसान कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर 2 महीने से ज्यादा समय से आंदोलन पर बैठे है, लेकिन सरकार सख्त रुख दिखाते हुए तारीख पर तारीख दे रही है। इससे आहत हरियाणा के एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान की पहचान जींद के सिंघवाल गांव के कर्मबीर के रूप में हुई है। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल भिजवा दिया है। परिजनों के आने के बाद उनके बयान दर्ज होंगे।

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बताया जा रहा है कर्मवीर का शव बहादुरगढ़ जिले के सेक्टर 9 बाईपास स्थित एक पार्क के पेड़ पर लटका मिला। मृतक कर्मबीर के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट पर लिखा है कि सरकार तारीख पर तारीख दे रही है। पता नहीं कब ये काले कानून रद्द होंगे। जब तक काले कानून रदद् नही होंगे तब तक यहां से नहीं जाएंगे।

आपको बता दें कि कर्मबीर (52) हरियाणा के जींद जिला के सिंघवाल गांव का रहने वाला थे। बीती रात ही वह अपने गांव से टिकरी बॉर्डर पहुंचे थे। कर्मबीर की तीन बेटियां हैं और एक बेटी की शादी हो चुकी है। बहरहाल, किसान का शव फंदे से निकाल कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही टिकरी बॉर्डर पर किसान जय भगवान ने जहर खा लिया था। किसान को गंभीर हालत में संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया था जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जय भगवान ने जहर खाने से पहले देशवासियों के नाम एक पत्र लिखा था।

दो और किसानों की मौत
टीकरी बॉर्डर पर ही पंजाब के संगरूर और मोगा जिले के रहने वाले दो और किसानों की मौत की खबर है। हालांकि अभी मौत की वजह की पुष्टि नहीं हुई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि हार्ट अटैक से दोनों की जान गई है। मृतकों में एक की आयु 60 और दूसरे की 70 साल थी।

मानसा और जींद के किसान की गई जान
पंजाब के रहने वाले एक किसान की मौत नया गांव चौक के नजदीक बस की चपेट में आने से हुई तो वहीं जींद जिले के रहने वाले एक किसान के हृदयाघात से मौत होने की आशंका जताई गई है। पुलिस ने दोनों के शव परिजनों को सौंप दिए हैं। 

पंजाब के मानसा जिले के गांव बाघड़ा के रहने वाले किसान बबली सिंह टीकरी बार्डर पर चल रहे आंदोलन में शामिल थे। वह बहादुरगढ़ बाईपास पर नयागांव चौक के नजदीक किसानों के जत्थे में ठहरे थे। दो फरवरी को आंदोलन में हिस्सा लेने बहादुरगढ़ आए थे।

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