साइबर फ्रॉड पर अब लगेगी लगाम: नया 'FRI' सिस्टम बना बैंकों का सबसे बड़ा हथियार!
मई 2025 में लॉन्च हुआ फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर, पलक झपकते ही पकड़ेगा धोखेबाजों को; ऐसे होगा काम
Jul 4, 2025, 02:05 IST
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अगर आपके मोबाइल पर कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज आता है, तो अब आपके बैंक आपको तुरंत अलर्ट कर सकते हैं! साइबर फ्रॉड के लगातार बढ़ते मामलों पर लगाम कसने के लिए दूरसंचार मंत्रालय के डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। मई 2025 में लॉन्च किया गया नया सिस्टम, 'फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर' (FRI), अब बैंकों, NBFCs और पेमेंट बैंकों का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। यह सिस्टम उन मोबाइल नंबरों की पहचान करेगा जो धोखाधड़ी में लिप्त हैं, जिससे आम लोगों को ठगी से बचाया जा सके।READ ALSO:-सपनों की उड़ान: मेरठ कॉलेज में JEE-NEET की निःशुल्क कोचिंग का आगाज, अब हर मेधावी बनेगा डॉक्टर-इंजीनियर!
कैसे काम करता है यह 'FRI' सुरक्षा कवच?
FRI सिस्टम साइबर अपराध में शामिल मोबाइल नंबरों की लगातार निगरानी करता है और उन्हें उनकी जोखिम के स्तर के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटता है: मीडियम, हाई और वेरी हाई रिस्क। यह 'रिस्क स्कोर' कई गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी को जोड़कर तैयार किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
FRI सिस्टम साइबर अपराध में शामिल मोबाइल नंबरों की लगातार निगरानी करता है और उन्हें उनकी जोखिम के स्तर के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटता है: मीडियम, हाई और वेरी हाई रिस्क। यह 'रिस्क स्कोर' कई गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी को जोड़कर तैयार किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP): यहां दर्ज सभी धोखाधड़ी की शिकायतों का डेटा।
- DoT का 'चक्षु' प्लेटफॉर्म: संदिग्ध कॉल्स और मैसेजेस से जुड़ी खुफिया जानकारी।
- बैंकों और वित्तीय संस्थानों की खुफिया रिपोर्ट: वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े आंतरिक इनपुट।
जैसे ही कोई मोबाइल नंबर "हाई" या "वेरी हाई रिस्क" श्रेणी में आता है, तो संबंधित बैंकों और वित्तीय संस्थानों को तुरंत अलर्ट भेजा जाता है। इसके बाद ये संस्थान अपने ग्राहकों को चेतावनी दे सकते हैं कि फलां मोबाइल नंबर से जुड़ा खाता साइबर अपराध में इस्तेमाल हो रहा है, चाहे वह आपके खाते में पैसे भेज रहा हो या ले रहा हो।
इसके अलावा, DIU एक 'मोबाइल नंबर निरस्तीकरण सूची' (MNRL) भी तैयार करती है। इस सूची में उन सभी मोबाइल नंबरों की जानकारी होती है जिन्हें साइबर क्राइम, फर्जीवाड़े या गलत इस्तेमाल के कारण बंद किया गया है। यह लिस्ट सभी वित्तीय संस्थाओं के साथ साझा की जाती है ताकि वे ऐसे नंबरों से जुड़े लेनदेन पर विशेष सतर्कता बरत सकें।
क्यों थी इसकी सख्त जरूरत? बढ़ता साइबर क्राइम ग्राफ
भारत में डिजिटल फ्रॉड का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 सालों में जैसे-जैसे ऑनलाइन पेमेंट बढ़ा है, वैसे-वैसे डिजिटल क्राइम करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। साल 2014-15 में डिजिटल फ्रॉड से ₹18.46 करोड़ का नुकसान हुआ था, और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
भारत में डिजिटल फ्रॉड का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 सालों में जैसे-जैसे ऑनलाइन पेमेंट बढ़ा है, वैसे-वैसे डिजिटल क्राइम करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। साल 2014-15 में डिजिटल फ्रॉड से ₹18.46 करोड़ का नुकसान हुआ था, और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
साइबर ठग आए दिन नए-नए पैंतरे आजमाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। एक छोटे से लिंक पर क्लिक करवाते ही ये आपकी मेहनत की कमाई उड़ा लेते हैं। सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रही है, जिसमें FRI जैसे तकनीकी समाधान एक मजबूत कदम हैं। यह सिस्टम वित्तीय संस्थानों को ताकत देगा और साइबर अपराधियों के नापाक इरादों को नाकाम करने में मदद करेगा।
