BoycottCampa: धार्मिक भावनाओं पर भारी पड़ी 'कैंपा' की मार्केटिंग! जगन्नाथ रथ यात्रा के विज्ञापन से भड़का सोशल मीडिया, बॉयकॉट की आंधी

पुरी में रथ यात्रा से पहले शुरू हुआ विवाद, कंपनी पर लगा 'भगवान की ब्रांडिंग' का आरोप; रिलायंस के अधिग्रहण के बाद पहली बड़ी मुसीबत

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CAMPA COLL
सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड कैंपा कोला एक बड़े विवाद में घिर गया है। ओडिशा के पुरी में होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा से ठीक पहले, कंपनी के एक विज्ञापन ने सोशल मीडिया पर भारी बवाल मचा दिया है। X (पहले ट्विटर) पर #BoycottCampa हैशटैग टॉप ट्रेंड कर रहा है, जहां यूज़र्स कंपनी पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और आस्था का व्यवसायीकरण करने का आरोप लगा रहे हैं।READ ALSO:-पिन की छुट्टी! अब सिर्फ 'टैप' करो और पेमेंट करो: UPI Lite से ₹1000 तक का भुगतान सुपरफास्ट!

 

आखिर 'कैंपा' ने ऐसा क्या कर दिया?
विवाद की जड़ कैंपा कोला द्वारा जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा के मौके पर ओडिशा के कई हिस्सों में लगाए गए होर्डिंग्स हैं। इन होर्डिंग्स पर उड़िया भाषा में लिखा था - 'रथ का मार्ग, कैंपा के साथ' (Ratha Ra Marga, Campa Saagare)। इस टैगलाइन के साथ मंदिर की तस्वीर भी इस्तेमाल की गई थी।

 


जैसे ही इन विज्ञापनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं, लोगों का गुस्सा भड़क उठा। यूज़र्स ने कंपनी पर आरोप लगाया कि वह सस्ते प्रचार के लिए भगवान जगन्नाथ जैसे पूज्य स्वरूप का अपमान कर रही है। यह सिर्फ एक मार्केटिंग रणनीति नहीं, बल्कि धार्मिक संवेदनशीलता की अनदेखी है। एक यूज़र ने लिखा, "कैंपा कोला से महाप्रभु का अभिषेक? यह न सिर्फ़ अशोभनीय है, बल्कि अस्वीकार्य भी है!"

 


सोशल मीडिया पर 'बायकॉट कैंपा' की सुनामी
विज्ञापन के वायरल होते ही, सोशल मीडिया पर कैंपा कोला के खिलाफ माहौल गरमा गया। X पर #BoycottCampa तेज़ी से ट्रेंड होने लगा, जिसमें यूज़र्स ने अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं दीं:

 

  • "भगवान आशीर्वाद देते हैं, ब्रांडिंग नहीं। कैंपा को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।"
  • "यह सिर्फ असंवेदनशीलता नहीं, यह आत्माहीनता है। हिंदू आस्था को व्यापार के लिए इस्तेमाल करना बंद करो।"
  • "हर बार हिंदू धर्म ही क्यों निशाने पर? इनके उत्पादों का बहिष्कार करें और तत्काल माफ़ी की मांग करें।"

 

यह विरोध इसलिए भी अहम है क्योंकि कैंपा कोला ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान या स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है, जिससे लोगों का गुस्सा और बढ़ रहा है।

 


कैंपा कोला का इतिहास: गुमनामी से रिलायंस की वापसी तक
कैंपा कोला का भारतीय बाज़ार में एक लंबा और उतार-चढ़ाव भरा इतिहास रहा है। 1977 में प्योर ड्रिंक्स ग्रुप द्वारा लॉन्च किया गया यह ब्रांड कभी 'द ग्रेट इंडियन टेस्ट' के नारे के साथ कोका-कोला के विकल्प के रूप में उभरा था। लेकिन 2000 के दशक में विदेशी ब्रांड्स की वापसी के साथ, कैंपा धीरे-धीरे बाजार से गायब हो गई, और 2000 में इसके दिल्ली स्थित प्लांट भी बंद हो गए।

 


हालांकि, 2022 में कैंपा कोला ने तब सुर्खियां बटोरीं जब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इसे ₹22 करोड़ में अधिग्रहित कर लिया। रिलायंस इसे एक 'स्वदेशी' ब्रांड के तौर पर फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह नया विवाद उसकी वापसी की राह में एक बड़ी चुनौती बन गया है।

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जब धर्म और ब्रांडिंग का टकराव बना मुसीबत: पहले भी हो चुके हैं ऐसे विवाद
यह पहली बार नहीं है जब किसी ब्रांड को धार्मिक या सामाजिक भावनाओं को आहत करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है:

 

  • OYO विवाद (फरवरी 2025): ऑनलाइन होटल बुकिंग प्लेटफॉर्म OYO ने अपने एक विज्ञापन में लिखा था, 'भगवान हर जगह हैं, और OYO भी'। इस पर भी सोशल मीडिया पर भारी विरोध हुआ था, जिसके बाद कंपनी को सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी थी।
  • डाबर फेम करवाचौथ विवाद (2021): डाबर कंपनी तब विवादों में घिर गई थी जब उसने करवाचौथ पर एक समलैंगिक जोड़े को त्योहार मनाते हुए दिखाया था। इस विज्ञापन पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं आईं थीं, और कंपनी को इसे वापस लेना पड़ा था।

 

ये घटनाएं दर्शाती हैं कि आज के दौर में ब्रांड्स को अपनी मार्केटिंग रणनीतियों में सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलता का विशेष ध्यान रखना होगा। एक छोटी सी चूक सोशल मीडिया पर बड़े 'बायकॉट' अभियान का रूप ले सकती है और ब्रांड की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।
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