अहमदाबाद विमान हादसा: मौत के जबड़ों से निकलकर आया 'अकेला बचा' यात्री, बताई खौफनाक दास्तान
टेकऑफ के 30 सेकंड में चीरता विमान, चारों ओर लाशें: "मेरा बचना करिश्मे से कम नहीं" - एकमात्र चश्मदीद की रोंगटे खड़े कर देने वाली आपबीती
Jun 12, 2025, 23:09 IST
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अहमदाबाद में गुरुवार दोपहर को हुए भयावह विमान हादसे ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। एयर इंडिया की उड़ान संख्या AI-171 (बोइंग 787 ड्रीमलाइनर प्लेन) अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरते ही काल का ग्रास बन गई। इस दुर्घटना में कुल 242 लोग - 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर - अपनी जान गंवा बैठे। लेकिन इस भीषण त्रासदी में एक चमत्कारी घटना भी हुई: 243 लोगों में से केवल एक यात्री, रमेश विश्वास कुमार, जिंदा बच गए हैं।READALSO:-मेन्स हेल्थ वीक 2025: पुरुषों का 'घातक दुश्मन' प्रोस्टेट कैंसर, जानें लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
एक सीट, एक जीवन: रमेश का चमत्कारिक बचाव
रमेश विश्वास कुमार विमान की सीट 11A पर बैठे थे। दुर्घटना के बाद का उनका वीडियो सामने आया है, जिसमें वे लंगड़ाते हुए, चेहरे पर चोटों के निशान लिए हुए, घटनास्थल से खुद बाहर निकलते दिखाई दे रहे हैं। रमेश, जो 20 साल से लंदन में रह रहे हैं और अपने परिवार से मिलने भारत आए थे, अपने भाई अजय कुमार रमेश (45) के साथ वापस यूके जा रहे थे।
"आस-पास लाशें ही लाशें थीं, मैं डर गया..."
गंभीर रूप से घायल रमेश ने अस्पताल में अपनी भयावह आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया, "टेकऑफ के ठीक 30 सेकेंड बाद ही प्लेन एक जबरदस्त आवाज के साथ क्रैश हो गया। जब मुझे होश आया, तो मेरे अगल-बगल सिर्फ लाशें ही लाशें थीं। प्लेन के टुकड़े चारों तरफ बिखरे हुए थे। मैं डर गया। मैं खड़ा हुआ और भागा। मेरे चारों ओर विमान के टुकड़े थे। किसी ने मुझे पकड़ा और एम्बुलेंस में डालकर अस्पताल ले गया।" उनका बोर्डिंग पास अभी भी उनके पास था।
भाई की तलाश में दर-दर भटक रहा रमेश
रमेश अपने भाई अजय को ढूंढने के लिए बेताब हैं, जो विमान में अलग पंक्ति में बैठे थे। उन्होंने दर्दभरी आवाज में अपील की, "मेरा भाई भी मेरे साथ प्लेन में सफर कर रहा था। हम दीव गए थे। वह मेरे साथ यात्रा कर रहे थे और अब मैं उन्हें नहीं ढूंढ पा रहा हूं। कृपया उन्हें खोजने में मेरी मदद करें।" अस्पताल में कई अन्य परिवार और दोस्त भी अपने प्रियजनों की तलाश में भटक रहे हैं, जहाँ हर चेहरा एक खोई हुई उम्मीद की कहानी कह रहा है।
इस भयावह अनुभव के बीच भी रमेश को अपने भाई की चिंता सता रही है, जो उनके साथ इसी उड़ान में सफर कर रहा था। उन्होंने भावुक होकर मदद की गुहार लगाई, "मेरा भाई भी मेरे साथ प्लेन में सफर कर रहा था। प्लीज उसे ढूंढने में मेरी मदद कीजिए।" रमेश का बचना वाकई एक करिश्मा है, जैसा कि उन्होंने खुद कहा, "मेरा बचना करिश्मे से कम नहीं।"

हादसे का क्रूर मंजर
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना गुरुवार दोपहर 1.40 बजे हुई। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक सहित कुल 230 यात्री सवार थे। बाकी 12 क्रू मेंबर्स थे। विमान एक बिल्डिंग से टकराया, जहाँ अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स रहते हैं। जानकारी के अनुसार, हादसे के समय इमारत में 50 से 60 डॉक्टर मौजूद थे, जिनमें से 15 से ज्यादा घायल हो गए हैं। दुर्घटनास्थल से मिले ज्यादातर शव पूरी तरह से झुलस चुके थे, जिससे हादसे की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

20 साल से लंदन में रह रहे हैं विश्वाश
रमेश विश्वाश कुमार ने कहा कि वह 20 साल से लंदन में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी और बच्चा भी लंदन में रहते हैं. उन्होंने कहा कि उनके भाई अजय विमान में अलग पंक्ति में बैठे थे. उन्होंने कहा, “हम दीव गए थे. वह मेरे साथ यात्रा कर रहे थे और अब मैं उन्हें नहीं ढूंढ पा रहा हूं. कृपया उन्हें खोजने में मेरी मदद करें.”
यह दुर्घटना एयरलाइन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है और उन परिवारों के लिए एक असहनीय त्रासदी लेकर आई है जिन्होंने इस एकतरफा यात्रा में अपने प्रियजनों को खो दिया। रमेश कुमार का बचना एक चमत्कार है, लेकिन यह उनके लिए एक भयावह स्मृति और अपने भाई को खोजने की अंतहीन पीड़ा छोड़ गया है।

विमान हादसा: उड़ान AI-171 का दुखद अंत
एयर इंडिया की उड़ान संख्या AI-171 (बोइंग 787 ड्रीमलाइनर प्लेन) अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी। गुरुवार दोपहर 1:40 बजे उड़ान भरने के ठीक बाद यह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
इस दुखद उड़ान में कुल 242 लोग सवार थे:
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230 यात्री: जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक शामिल थे।
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12 क्रू मेंबर्स

सिविल अस्पताल के डॉक्टरों पर भी गिरी गाज
प्लेन जिस इमारत से टकराया, वह अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के डॉक्टरों का आवासीय भवन है। जानकारी के मुताबिक, हादसे के समय इमारत में 50 से 60 डॉक्टर मौजूद थे। इस भीषण टक्कर के कारण 15 से ज्यादा डॉक्टर घायल हो गए हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। दुर्घटनास्थल से मिले ज्यादातर शव बुरी तरह से झुलस चुके थे, जिससे बचाव और पहचान के प्रयासों में भारी दिक्कतें आईं।
यह त्रासदी न केवल उन परिवारों के लिए एक असहनीय क्षति है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, बल्कि उन बचाव कर्मियों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए भी एक चुनौती है जो इस भयावह मंजर से जूझ रहे हैं। रमेश कुमार का जीवित बचना एक उम्मीद की किरण है, जो इस त्रासदी के बावजूद जीवन के प्रति हमारी आस्था को बनाए रखती है।
