ज्ञानवापी केस: कोर्ट ने केस को सुनने योग्य माना, जानें ज्ञानवापी के बारें में विशेष जानकारी

• कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वाराणसी में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई थी।
• सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस और अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया।

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पिछले कई समय से ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद चल रहा है। कोर्ट ने फैसला किया है की ज्ञानवापि का मुद्दा सुनवाई के लायक है। इस पर पूरे देश में चर्चा शुरू हो गयी है। आज जानते है ज्ञानवापि के बारें में 

 ज्ञानवापी मस्जिद जिसे कभी कभी आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है, यह वाराणसी मे स्थित एक विवादित मस्जिद है। यह मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। आमतौर पर यह माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था और वहां एक मस्जिद का निर्माण किया गया था। 

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सालों से इस मस्जिद पर विवाद चलता रहा है। 1991 से इस मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई चल रही है। 17 अगस्त 2021 मे शहर की 5 महिलाओं ने वाराणसी सत्र न्यायलय में याचिका दायर की थी और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का उन्हें नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी जिसके बाद मस्जिद मे सर्वे कराने की मांग हुई।

इतिहास में ज्ञानवापी 

635 ईसा पूर्व में, प्रसिद्ध चीनी यात्री हुआन त्सांग ने अपने लेखन में मंदिर और वाराणसी का वर्णन किया। ईसा पूर्व 1194 से 1197 तक, मोहम्मद गोरी के आदेश से मंदिर को काफी हद तक नष्ट कर दिया गया था, और पूरे इतिहास में मंदिरों के विध्वंस और पुनर्निर्माण की एक श्रृंखला शुरू हुई। कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया और उनका पुनर्निर्माण किया गया। सन‌् 1669 में, मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश से, मंदिर को अंततः ध्वस्त कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया। 1776 और 1978 के बीच, इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने ज्ञानवापी मस्जिद के पास वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया।

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2022 मे सर्वे होने बाद ये ज्यादा चर्चों मे है। दावा किया जा रहा की मस्जिद के वाजुखाने मे 12.8 व्यास का शिवलिंग प्राप्त हुआ है जिसे आक्रमण से बचाने के लिए तत्कालीन मुख्य पुजारी ने ज्ञानवापी कूप मे छुपा दिया गया था।

हिंदुओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ज्ञानवापी

माना जाता है की प्राचीन मंदिर परिसर में भगवान गणेश, मां श्रृंगार गौरी, हनुमान जी, नंदी जी के अलावा दृश्य और अदृश्य देवता हैं। दशाश्वमेध घाट के पास आदिशेश्वर ज्योतिर्लिंग का भव्य मंदिर था, जिसकी स्थापना त्रेता युग में भगवान शिव ने की थी। कई बार मुस्लिम आक्रमणकारियों ने प्राचीन मंदिर को नुकसान पहुंचाया।भगवान आदि विशेश्वर के प्राचीन मंदिर को उस दौरान आंशिक रूप से तोड़ा गया, जिसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद नामक एक नया निर्माण किया गया। जिससे कई बार हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाया गया। 

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