महिलाओं के लिए गंभीर खतरा बन सकता है यूरिन इन्फेक्शन (UTI)! जानें लक्षण और बचाव के जरूरी उपाय
छोटी सी लापरवाही पड़ सकती है भारी, किडनी तक फैलने पर जानलेवा भी हो सकता है संक्रमण; जानें कब डॉक्टर से मिलें
Jun 30, 2025, 09:30 IST
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यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) महिलाओं के लिए एक आम, लेकिन बेहद खतरनाक स्वास्थ्य समस्या है। यह अक्सर मूत्रमार्ग के निचले हिस्से में शुरू होता है, लेकिन अगर इसे नज़रअंदाज़ किया जाए तो बैक्टीरिया तेजी से किडनी और यहां तक कि खून में भी फैल सकते हैं, जिससे जान का भी खतरा हो सकता है। यह जानना ज़रूरी है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को UTI का खतरा कहीं ज़्यादा क्यों होता है और इसके लक्षणों को समय रहते कैसे पहचानें।READ ALSO:-मोबाइल धोखाधड़ी पर DoT का 'सर्जिकल स्ट्राइक': नंबर वेरिफिकेशन पर लगेगा शुल्क, आपकी जेब पर पड़ेगा असर?
महिलाओं में UTI का अधिक खतरा क्यों?
महिलाओं की शारीरिक बनावट ही उन्हें UTI के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। पुरुषों की तुलना में उनकी मूत्रनली (urethra) छोटी होती है। इस वजह से, मल में मौजूद बैक्टीरिया, खासकर ई. कोलाई (E. coli), आसानी से मूत्रनली में प्रवेश कर मूत्राशय (bladder) तक पहुंच जाते हैं और वहां संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं।
महिलाओं की शारीरिक बनावट ही उन्हें UTI के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। पुरुषों की तुलना में उनकी मूत्रनली (urethra) छोटी होती है। इस वजह से, मल में मौजूद बैक्टीरिया, खासकर ई. कोलाई (E. coli), आसानी से मूत्रनली में प्रवेश कर मूत्राशय (bladder) तक पहुंच जाते हैं और वहां संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं।
इसके अलावा, कुछ रोज़मर्रा की आदतें भी इस संक्रमण को न्यौता देती हैं:
- गलत सफाई: शौच के बाद आगे से पीछे की बजाय पीछे से आगे की ओर सफाई करना।
- अस्वच्छता: गंदे या नमी वाले अंडरगारमेंट पहनना।
- पेशाब रोकना: लंबे समय तक पेशाब को रोके रखना।
- पीरियड्स की हाइजीन: मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई का पर्याप्त ध्यान न रखना।
- पब्लिक टॉयलेट: सार्वजनिक शौचालयों का बार-बार और बिना सावधानी के इस्तेमाल करना।
इन लक्षणों को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी!
UTI के लक्षण कई बार हल्के लग सकते हैं, लेकिन इन्हें बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। समय रहते पहचान कर सही इलाज शुरू करने पर यह संक्रमण आसानी से ठीक हो सकता है।
UTI के लक्षण कई बार हल्के लग सकते हैं, लेकिन इन्हें बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। समय रहते पहचान कर सही इलाज शुरू करने पर यह संक्रमण आसानी से ठीक हो सकता है।
प्रमुख लक्षण:
- बार-बार पेशाब आना: सामान्य से ज़्यादा बार पेशाब करने की तेज़ इच्छा होना।
- जलन और दर्द: पेशाब करते समय तेज़ जलन या दर्द महसूस होना।
- अजीब बदबू: यूरिन से तेज़ और असामान्य बदबू आना।
- रंग में बदलाव: पेशाब का रंग गाढ़ा या धुंधला होना, या उसमें खून आना।
- पेट में दबाव: पेट के निचले हिस्से (lower abdomen) में दर्द या भारीपन महसूस होना।
- गंभीर लक्षण (जब इंफेक्शन किडनी तक फैले):
- बुखार और ठंड लगना: हल्का या तेज़ बुखार के साथ कंपकंपी महसूस होना।
- थकावट: अत्यधिक कमज़ोरी और थकावट महसूस होना।
- पीठ दर्द: पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना।
UTI से बचाव के 'सोने पे सुहागा' उपाय
यह संक्रमण जितना घातक हो सकता है, उतना ही आसान है इससे बचाव करना:
यह संक्रमण जितना घातक हो सकता है, उतना ही आसान है इससे बचाव करना:
- खूब पानी पिएं: दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं ताकि शरीर से बैक्टीरिया बाहर निकल सकें।
- सही सफाई: शौचालय के बाद हमेशा आगे से पीछे की ओर साफ करें।
- पेशाब न रोकें: जब भी ज़रूरत महसूस हो, तुरंत पेशाब करें। इसे लंबे समय तक न रोकें।
- साफ अंडरगारमेंट्स: सूती और सूखे अंडरगारमेंट्स पहनें। रोज़ाना इन्हें बदलें।
- व्यक्तिगत स्वच्छता: पीरियड्स के दौरान विशेष रूप से स्वच्छता का ध्यान रखें।
- सार्वजनिक शौचालयों में सावधानी: पब्लिक टॉयलेट का उपयोग करते समय अत्यधिक सावधानी बरतें या उनसे बचें।
कब ज़रूरी है तुरंत डॉक्टर को दिखाना?
अगर ऊपर बताए गए लक्षण एक या दो दिन से ज़्यादा समय तक बने रहें, या आपको पेशाब में खून दिखे, तेज़ बुखार हो, या पीठ में दर्द महसूस हो — तो बिना देर किए तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करें। सही समय पर इलाज न होने पर UTI किडनी तक पहुंच सकता है, जिससे गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। अपनी सेहत को लेकर कोई भी जोखिम न लें, क्योंकि सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।
अगर ऊपर बताए गए लक्षण एक या दो दिन से ज़्यादा समय तक बने रहें, या आपको पेशाब में खून दिखे, तेज़ बुखार हो, या पीठ में दर्द महसूस हो — तो बिना देर किए तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करें। सही समय पर इलाज न होने पर UTI किडनी तक पहुंच सकता है, जिससे गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। अपनी सेहत को लेकर कोई भी जोखिम न लें, क्योंकि सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।
