जनरेशन Z की नई महामारी: पीठ दर्द! युवा क्यों बन रहे हैं 'बूढ़ों' की बीमारी का शिकार?

चौंकाने वाले खुलासे: स्क्रीन टाइम, खराब पोस्चर और स्ट्रेस कैसे बन रहे हैं युवाओं के पीठ दर्द का कारण!
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Generation Z's backache
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके युवा दोस्त या रिश्तेदार भी पीठ दर्द की शिकायत क्यों करने लगे हैं? जी हाँ, जहाँ कभी पीठ दर्द को बुढ़ापे की निशानी माना जाता था, वहीं अब Gen Z (जनरेशन Z) भी इसका तेजी से शिकार हो रहा है। छात्रों से लेकर युवा पेशेवरों तक, कई लोग पीठ के निचले हिस्से, कंधों और गर्दन में लगातार दर्द से जूझ रहे हैं। यह सिर्फ एक मामूली तकलीफ नहीं, बल्कि एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसके पीछे हमारी आधुनिक जीवनशैली के कुछ छिपे हुए दुश्मन हैं। मणिपाल हॉस्पिटल बैंगलोर, वरथुर रोड के स्पाइन केयर कंसल्टेंट डॉ. अजय कुमार एसपी ने इस बढ़ती समस्या के पीछे के चौंकाने वाले कारणों का खुलासा किया है।READ ALSO:-भारत की बुलेट ट्रेन का सपना साकार: जापान में शुरू हुआ 'शिंकांसेन' का ट्रायल, 2026 तक दौड़ेगी पटरियों पर!

 

स्क्रीन का जाल: जब लाइफ स्टाइल बन जाती है 'पीठ' का काल!
आज की Gen Z पीढ़ी का अधिकांश समय स्क्रीन के सामने बीतता है—चाहे वह सोशल मीडिया के लिए हो, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए, या घंटों काम करने के लिए। डॉ. अजय कुमार एसपी बताते हैं कि यही असीमित स्क्रीन टाइम Gen Z में पीठ दर्द का सबसे बड़ा कारण है।

 

  • कमजोर कोर मांसपेशियां: घंटों तक बैठे रहने और शारीरिक गतिविधियों की कमी से शरीर की कोर मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। ये मांसपेशियां रीढ़ को सहारा देती हैं, और इनके कमजोर होने से पीठ पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
  • गलत एक्सरसाइज: जब युवा एक्सरसाइज करते भी हैं, तो अक्सर या तो वे बहुत कम करते हैं, बहुत देर से शुरू करते हैं, या फिर गलत तरीके से करते हैं। इससे फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है, जिससे दर्द और बढ़ सकता है।

 

मुद्रा का खेल बिगाड़ रहा है 'टेक्स्ट नेक' और रीढ़ की हड्डी!
हमारी खराब मुद्रा (पोस्चर) भी पीठ दर्द को न्योता दे रही है। डॉ. कुमार बताते हैं:

 

  • "टेक्स्ट नेक" का बढ़ता चलन: घंटों तक अपने स्मार्टफोन या लैपटॉप पर नीचे झुककर देखने की आदत ने "टेक्स्ट नेक" जैसी समस्या को जन्म दिया है। इसमें गर्दन पर अतिरिक्त खिंचाव पड़ता है, जिससे गर्दन अकड़ जाती है और दर्द होता है।
  • लापरवाही भरा भार उठाना: शारीरिक गतिविधियों के दौरान बिना सोचे-समझे गलत तरीके से भारी सामान उठाना भी रीढ़ की हड्डी पर अनुचित दबाव डालता है, जिससे गंभीर पीठ दर्द हो सकता है।

 

तनाव का अदृश्य हाथ: जब मन का बोझ पीठ को भी थका देता है!
यह जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है, लेकिन तनाव और मानसिक स्वास्थ्य भी Gen Z में पीठ दर्द का एक बड़ा कारण है। डॉ. अजय कुमार एसपी के अनुसार:

 

  • चिंता और डिप्रेशन का शारीरिक प्रभाव: Gen Z में चिंता (एंजाइटी) और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ आम हैं।
  • मांसपेशियों पर तनाव का असर: जब तनाव लंबे समय तक रहता है, तो यह मांसपेशियों को प्रभावित करता है, खासकर गर्दन और पीठ की मांसपेशियों को। इससे उनमें खिंचाव और असुविधा पैदा होती है, जो अंततः दर्द का रूप ले लेती है।

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पीठ दर्द से बचाव: अपनाएं ये स्मार्ट उपाय और रहें टेंशन फ्री!
डॉक्टरों का कहना है कि Gen Z को समय रहते इस समस्या को पहचान लेना चाहिए, ताकि यह और गंभीर न हो। इस समस्या से छुटकारा पाने और स्वस्थ रहने के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं:

 

  • तनाव से राहत: ध्यान, योग और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों का अभ्यास करें। ये तनाव को कम करने और मांसपेशियों को आराम देने में मदद करती हैं।
  • नियमित व्यायाम: अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से व्यायाम को शामिल करें। कोर स्ट्रेंथिंग एक्सरसाइज पर विशेष ध्यान दें। किसी विशेषज्ञ की देखरेख में सही तरीके से एक्सरसाइज करना सीखें।
  • सही मुद्रा अपनाएं: बैठते समय, खड़े होते समय और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते समय अपनी मुद्रा का ध्यान रखें। अपनी कुर्सी को एर्गोनॉमिकली एडजस्ट करें और स्क्रीन को आंखों के स्तर पर रखें।
  • स्वस्थ जीवनशैली: संतुलित और पौष्टिक आहार लें। रात में पर्याप्त और अच्छी नींद लें।
  • चिकित्सकीय सलाह: यदि आपको लगातार या गंभीर पीठ दर्द का अनुभव होता है, तो बिना देर किए किसी स्पाइन केयर कंसल्टेंट या डॉक्टर से सलाह लें। समय पर निदान और उपचार आपको बड़ी समस्या से बचा सकता है।

 

Gen Z को समझना होगा कि उनका स्वास्थ्य उनका सबसे बड़ा धन है। इस बढ़ती समस्या के प्रति जागरूक होकर और सही कदम उठाकर वे एक दर्द-मुक्त और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
SONU

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