ख़तरा अभी टला नहीं! कोरोना का नया साइड इफेक्ट: सुनने की क्षमता पर 'साइलेंट' अटैक!

चौंकाने वाली रिसर्च: 80% कोविड रिकवर मरीजों में सुनने की दिक्कत! दिल्ली के अस्पताल का बड़ा खुलासा
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COVID-19
कोरोना वायरस, जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था, अब भले ही कमजोर पड़ गया हो, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अब भी सामने आ रहे हैं। एक नई और चौंकाने वाली रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 से ठीक हुए बड़ी संख्या में मरीजों को सुनने की क्षमता से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अस्पताल के ईएनटी (कान, नाक और गला) विभाग के अध्ययन ने इस छिपे हुए खतरे की ओर इशारा किया है, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया है।READ ALSO:-देश में फिर बढ़ रहा कोरोना का खतरा! 10 दिन में 15 गुना उछाल, 34 मौतें, 3976 एक्टिव केस, सबसे ज्यादा 1435 केरल में; नए वैरिएंट्स की दस्तक

 

'खामोश' हमला! कोरोना के बाद 80% लोगों को सुनने में परेशानी!
बाबा साहेब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, रोहिणी (दिल्ली) के ईएनटी विभाग द्वारा किए गए गहन अध्ययन में यह सनसनीखेज तथ्य सामने आया है कि 80% कोविड-19 से स्वस्थ हुए मरीजों में हियरिंग लॉस (सुनने की क्षमता में कमी) की समस्या देखी गई है। यह रिसर्च, जो वर्ल्ड वाइड जर्नल ऑफ मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट में प्रकाशित हुई है, बताती है कि कोरोना वायरस न केवल श्वसन प्रणाली बल्कि हमारे संवेदी अंगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।

 

इस अध्ययन के अनुसार, 40% मरीजों में एक कान से सुनने की क्षमता कम पाई गई, जबकि चिंताजनक रूप से 60% मरीजों में दोनों कानों से सुनने की क्षमता प्रभावित हुई है। यह आंकड़े बताते हैं कि कोरोना का असर हमारी श्रवण शक्ति पर कितना व्यापक हो सकता है।

 

एक्सपर्ट्स भी हैरान! क्यों हो रहा है सुनने की क्षमता पर असर?
अस्पताल के ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉक्टर पंकज कुमार ने इस रिसर्च के निष्कर्षों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद ईएनटी विभाग में ऐसे मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी गई जो सुनने की क्षमता खो रहे थे। इसी बढ़ते रुझान को देखते हुए उनकी टीम ने एक विस्तृत रिसर्च प्लान तैयार किया, जिसमें कोविड से ठीक हो चुके 15 मरीजों को शामिल किया गया। इन मरीजों में 9 महिलाएं और 6 पुरुष थे, जिनकी कोरोना रिपोर्ट दो बार नेगेटिव आ चुकी थी, लेकिन उन्हें सुनने में नई समस्याएं महसूस हो रही थीं।

 

डॉक्टर कुमार ने कहा कि इस अचानक वृद्धि ने उन्हें और उनकी टीम को भी आश्चर्यचकित कर दिया है और इस बात की गहराई से पड़ताल करने की आवश्यकता है कि कोरोना वायरस किस तरह से श्रवण प्रणाली को प्रभावित कर रहा है।

 

30 से 60 वर्ष के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित! युवा भी खतरे में
रिसर्च के चौंकाने वाले निष्कर्षों में यह भी सामने आया है कि 30 से 60 वर्ष की आयु के लोग कोरोना के इस घातक प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील पाए गए, जिनकी सुनने की क्षमता में उल्लेखनीय कमी आई, जबकि कोरोना से पहले उन्हें सुनने में कोई भी समस्या नहीं थी। इसके अलावा, यह भी चिंताजनक है कि 30 साल से कम उम्र के युवाओं में भी हियरिंग प्रॉब्लम के मामले सामने आए हैं, जो यह दर्शाता है कि यह समस्या किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकती है।

 

आँखों देखी रिपोर्ट: रिसर्च के मुख्य निष्कर्ष
इस महत्वपूर्ण स्टडी में निम्नलिखित बातें सामने आईं:
  • हल्की परेशानी: 30 से 60 साल के 26.6% लोगों को सुनने में हल्की परेशानी महसूस हुई।
  • मामूली इश्यू: इसी आयु वर्ग के 43.3% लोगों को मामूली हियरिंग इश्यू का सामना करना पड़ा।
  • मध्यम समस्या: 6.6% लोगों को सुनने में मध्यम स्तर की दिक्कत हुई।
  • गंभीर हियरिंग लॉस: 3.3% लोगों को गंभीर हियरिंग लॉस हुआ, जिससे दोनों कानों से सुनाई देने में परेशानी आई।
  • एक कान में दिक्कत: 40% मरीजों ने बताया कि उन्हें एक कान से सुनने में समस्या हो रही है।
  • दोनों कानों में दिक्कत: सबसे ज्यादा, 60% मरीजों ने दोनों कानों से सुनने में कठिनाई महसूस की।

 

उम्मीद की किरण! मल्टीविटामिन से मिला सुधार
हालांकि यह रिसर्च चिंताजनक है, लेकिन इसमें एक उम्मीद की किरण भी दिखाई दी। डॉक्टर पंकज कुमार ने बताया कि इस खतरे को भांपते हुए उन्होंने मरीजों को पारंपरिक रूप से इस्तेमाल होने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉयड देने के बजाय मल्टीविटामिन टैबलेट्स या इंजेक्शन दिए। आश्चर्यजनक रूप से, इस साधारण उपचार से मरीजों में एक महीने के भीतर सुनने की क्षमता में सुधार दिखने लगा। यह निष्कर्ष आगे के इलाज और अनुसंधान के लिए नए रास्ते खोल सकता है।

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यह नई रिसर्च एक बार फिर यह याद दिलाती है कि कोरोना वायरस के प्रभाव हमारी सोच से कहीं ज्यादा व्यापक और दीर्घकालिक हो सकते हैं। सुनने की क्षमता में कमी जैसे 'साइलेंट' साइड इफेक्ट्स पर ध्यान देना और इस दिशा में और अधिक शोध करना अब अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है ताकि प्रभावित लोगों को उचित चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके।
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए कृपया योग्य विशेषज्ञ से सलाह लें। 'Khabreelal Media' किसी भी जानकारी की सटीकता का दावा नहीं करता है।
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