पीरियड्स में 'खामोशी' पड़ सकती है भारी! महिलाएं भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना भुगतना पड़ेगा गंभीर परिणाम!

हर माह होने वाली ब्लीडिंग के दौरान क्यों जरूरी है स्वच्छता? एक्सपर्ट ने खोली पोल, बताया किन बीमारियों का है सबसे बड़ा खतरा!
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Periods
पीरियड्स, जो हर महिला के जीवन का एक स्वाभाविक और अभिन्न हिस्सा है, अक्सर समाज में 'खामोशी' का विषय बना रहता है। महिलाएं आज भी इससे जुड़ी जानकारियों पर खुलकर बात करने से झिझकती हैं, जिसका खामियाजा उनकी सेहत को भुगतना पड़ता है। विशेषज्ञ चेताते हैं कि पीरियड्स के दौरान अगर साफ-सफाई का ध्यान न रखा जाए, तो यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। तो आइए जानते हैं, आखिर क्यों है पीरियड्स में स्वच्छता इतनी ज़रूरी और किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान।READ ALSO:-कोरोना की 'वापसी': क्या फिर से आ रहा है संकट? एक्सपर्ट बोले- डरें नहीं, पर इन बातों का रखें ध्यान!

 

स्वच्छता में लापरवाही: बीमारियों का खुला निमंत्रण!
प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गुप्ता इस विषय पर प्रकाश डालते हुए बताती हैं कि पीरियड्स के दौरान स्वच्छता का अभाव महिलाओं के लिए कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इन समस्याओं में शामिल हैं:

 

  • यूरिन इन्फेक्शन (UTI): स्वच्छता की कमी से बैक्टीरिया आसानी से यूरिनरी ट्रैक्ट में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे दर्दनाक यूटीआई हो सकता है।
  • रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन (RTI): यह एक गंभीर संक्रमण है जो प्रजनन अंगों को प्रभावित कर सकता है और भविष्य में जटिलताएं पैदा कर सकता है।
  • त्वचा से जुड़ी समस्याएं: लंबे समय तक एक ही पैड का उपयोग करने से नमी और घर्षण के कारण रैशेज, खुजली और त्वचा में जलन (स्किन इरिटेशन) जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • फंगल इन्फेक्शन: नमी और गर्मी फंगल इन्फेक्शन के लिए आदर्श वातावरण बनाती है, जिससे यीस्ट इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
  • सर्वाइकल इन्फेक्शन का जोखिम: बार-बार होने वाले संक्रमण गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) में संक्रमण का जोखिम बढ़ा सकते हैं, जो लंबे समय में गंभीर रूप ले सकता है।

 

डॉ. गुप्ता इस बात पर भी चिंता जताती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों और कम-आय वाले समुदायों में आज भी कई लड़कियां और महिलाएं स्वच्छ शौचालय और सैनिटरी पैड जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं। इसी कारण कई छात्राएं पीरियड्स के दिनों में स्कूल नहीं जा पातीं या बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं, जो उनके भविष्य को भी प्रभावित करता है।

 

पीरियड्स के दौरान इन 'स्वर्ण नियमों' का करें पालन:
अपनी सेहत को सुरक्षित रखने और संक्रमण से बचने के लिए डॉ. मनन गुप्ता निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखने की सलाह देती हैं:

 

  1. सही उत्पाद का चुनाव: अपनी सुविधा और उपलब्धता के अनुसार साफ-सुथरे और आरामदायक सैनिटरी पैड, टैम्पॉन या मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करें। आजकल कई पर्यावरण-अनुकूल विकल्प भी मौजूद हैं।
  2. नियमित बदलाव है ज़रूरी: सैनिटरी पैड को हर 4-6 घंटे पर बदलना चाहिए, भले ही उसमें बहुत अधिक ब्लीडिंग न हुई हो। ऐसा करने से बैक्टीरिया को पनपने का मौका नहीं मिलता।
  3. सही निपटान: इस्तेमाल किए गए पैड को हमेशा कागज़ में लपेटकर या विशेष डिस्पोजल बैग में डालकर ही कूड़ेदान में फेंकें। उन्हें फ्लश न करें, क्योंकि इससे ब्लॉकेज हो सकता है।
  4. दर्द प्रबंधन: यदि पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द हो रहा है, तो बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर की बताई हुई पेनकिलर ही लें।

 

जागरूकता ही बचाव: 'पहला पीरियड' और खुलकर बात करना
डॉ. गुप्ता के अनुसार, सबसे महत्वपूर्ण है जागरूकता फैलाना। वे माताओं से अपील करती हैं कि वे अपनी बेटियों से उनके पहले पीरियड (menarche) के समय से ही खुलकर बात करें। उन्हें यह बताएं कि यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, इसमें शर्मिंदगी महसूस करने की कोई बात नहीं है। बेटियों को स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित करें और पीरियड्स से जुड़ी गलत धारणाओं और मिथकों को दूर करें।

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इस तरह की खुली बातचीत से न केवल लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि वे भविष्य में कई गंभीर बीमारियों के खतरे से भी बच सकेंगी। महिला स्वास्थ्य कोई वर्जित विषय नहीं है, और इस पर खुलकर बात करना ही एक स्वस्थ और जागरूक समाज की नींव है।
SONU

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