हार्ट अटैक का बढ़ता खतरा: अब उम्र की कोई सीमा नहीं! जानें जोखिम, लक्षण, इमरजेंसी स्टेप्स और बचाव के कारगर उपाय
जानें इसके पीछे के बड़े कारण, खतरे वाले लोग, शुरुआती लक्षण, इमरजेंसी में क्या करें और जिंदगी बचाने के कारगर उपाय
May 8, 2025, 09:35 IST
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आजकल यह एक चिंताजनक सच्चाई बन गई है कि हार्ट अटैक अब केवल उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं रहा। युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोग भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। कभी बुढ़ापे की बीमारी मानी जाने वाली यह समस्या अब किसी भी उम्र में दस्तक दे सकती है। इस खतरनाक बदलाव के पीछे मुख्य रूप से हमारी बदलती जीवनशैली, अत्यधिक तनाव, और अनियमित व अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें जिम्मेदार हैं। अच्छी बात यह है कि इस गंभीर खतरे को अगर समय रहते पहचान लिया जाए और कुछ जरूरी सावधानियां बरती जाएं, तो इसके जोखिम को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ खास तरह के लोग होते हैं जिन्हें हार्ट अटैक का खतरा सबसे ज़्यादा होता है, और कुछ ऐसे संकेत हैं जिन्हें कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।Read also:-🔥कानपुर अग्निकांड: आवासीय बिल्डिंग में चल रही जूता फैक्ट्री बनी मौत का तांडव, एक ही परिवार के 5 लोग जिंदा जले
आइए इस जानलेवा खतरे को विस्तार से समझते हैं, इसके जोखिम कारकों, लक्षणों, आपातकालीन प्रबंधन और सबसे महत्वपूर्ण, इससे बचाव के उपायों पर गौर करते हैं:
किन लोगों को है हार्ट अटैक का सबसे ज़्यादा खतरा?
कुछ विशिष्ट स्थितियां और आदतें ऐसी हैं जो हमारे हृदय को कमजोर बनाती हैं और हार्ट अटैक के प्रति हमें अधिक संवेदनशील बनाती हैं। यदि आप इनमें से किसी भी श्रेणी में आते हैं, तो आपको अपनी सेहत के प्रति अतिरिक्त सचेत रहने की आवश्यकता है:
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उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) के मरीज़: बढ़ा हुआ रक्तचाप हृदय और रक्त वाहिकाओं पर लगातार दबाव डालता है। समय के साथ, यह दबाव रक्त ले जाने वाली धमनियों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे वे सख्त या संकीर्ण हो सकती हैं। यह स्थिति धमनियों में प्लाक (वसा, कोलेस्ट्रॉल आदि) जमने को बढ़ावा देती है, जिससे ब्लॉकेज यानी रुकावटें पैदा हो सकती हैं। इन रुकावटों के कारण हृदय तक खून का बहाव कम हो जाता है, जो हार्ट अटैक का प्रमुख कारण बनता है।
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मधुमेह (Diabetes) के रोगी: अनियंत्रित मधुमेह रक्त वाहिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। खून में शुगर की अधिक मात्रा नसों की अंदरूनी परत को क्षति पहुंचाती है और उनमें सूजन पैदा कर सकती है। इससे नसें संकरी हो जाती हैं और उनमें थक्के बनने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। रक्त बहाव में यह बाधा हृदय की मांसपेशियों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति कम कर देती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है। मधुमेह को अक्सर हृदय रोग का एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है।
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धूम्रपान और नशा करने वाले लोग: सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, शराब और किसी भी तरह के नशे का सेवन हृदय स्वास्थ्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। ये पदार्थ रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ देते हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ता है और हृदय को अधिक पंप करना पड़ता है। ये धमनियों की दीवारों को भी नुकसान पहुंचाते हैं और उनमें प्लाक जमने की प्रक्रिया को तेज करते हैं। धूम्रपान विशेष रूप से हार्ट अटैक के जोखिम को नाटकीय रूप से बढ़ा देता है।
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मोटापे (Obesity) से ग्रस्त व्यक्ति: शरीर में अत्यधिक वसा का जमाव हृदय पर अतिरिक्त बोझ डालता है। मोटापे के कारण अक्सर उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसी समस्याएं भी होती हैं, जो सभी हृदय रोग के जोखिम कारक हैं। शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी रक्त वाहिकाओं के आसपास भी जमा हो सकती है, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है। मोटे लोगों के हृदय को शरीर के सभी हिस्सों तक खून पहुंचाने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।
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शारीरिक रूप से निष्क्रिय व्यक्ति: जो लोग नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि या व्यायाम नहीं करते हैं, उनका हृदय और रक्त संचार प्रणाली कमजोर हो जाती है। व्यायाम की कमी से वजन बढ़ सकता है, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है और रक्तचाप अनियंत्रित हो सकता है – ये सभी हार्ट अटैक के प्रमुख जोखिम कारक हैं। सक्रिय जीवनशैली अपनाने वाले लोगों का हृदय मजबूत होता है और रक्त संचार बेहतर रहता है।
हार्ट अटैक या दिल की बीमारी के प्रमुख लक्षण: इन संकेतों को न करें नज़रअंदाज़!
हमारा शरीर अक्सर हमें बताता है कि अंदर कुछ गड़बड़ है। दिल से जुड़ी समस्याओं के कुछ ऐसे शुरुआती लक्षण होते हैं जिन्हें पहचानना और उन पर तुरंत ध्यान देना बहुत ज़रूरी है:
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छाती में दर्द या बेचैनी: यह सबसे आम लक्षण है और इसे अक्सर सीने के बीच या बाईं ओर दबाव, जकड़न, भारीपन या जलन के रूप में महसूस किया जाता है। यह दर्द कुछ मिनट तक रह सकता है या रुक-रुक कर हो सकता है। यह दर्द बाएं हाथ, गर्दन, जबड़े, पीठ या पेट के ऊपरी हिस्से तक फैल सकता है। इसे कभी भी गैस या acidity समझकर हल्के में नहीं लेना चाहिए।
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सांस फूलना (Shortness of Breath): अगर थोड़ी सी सीढ़ियां चढ़ने या हल्का-फुल्का काम करने पर भी आपकी सांस फूलने लगती है, तो यह दिल की कमजोरी का संकेत हो सकता है। जब दिल कुशलता से खून पंप नहीं कर पाता, तो फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।
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धड़कन का तेज़ होना या अनियमित होना: दिल की धड़कन का अचानक तेज हो जाना (पैल्पिटेशन) या धड़कन का असामान्य लय में चलना (एरिथमिया), जैसे कि धड़कन का रुक-रुक कर या skipping beat होना, चिंता का विषय हो सकता है। इसके साथ बेचैनी, घबराहट या चक्कर आ सकते हैं।
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पैरों, टखनों या पंजों में सूजन: जब दिल शरीर के निचले हिस्सों से खून को ठीक से पंप करके ऊपर नहीं खींच पाता, तो गुरुत्वाकर्षण के कारण तरल पदार्थ पैरों और टखनों में जमा होने लगता है, जिससे सूजन आ जाती है। यह दिल की विफलता (heart failure) का एक लक्षण हो सकता है।
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चक्कर आना, सिर हल्का महसूस होना या बेहोशी: अगर आपको बार-बार चक्कर आते हैं, बिना किसी वजह के कमजोरी महसूस होती है, या आप अचानक बेहोश हो जाते हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि दिल दिमाग तक पर्याप्त खून और ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पा रहा है। यह एक गंभीर स्थिति है और तुरंत मेडिकल जांच की आवश्यकता होती है।
दिल की सेहत जानने के लिए कौन से टेस्ट कराएं?
लक्षण दिखने पर या जोखिम कारक होने पर डॉक्टर दिल की सेहत का आकलन करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं:
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ECG (Electrocardiogram): यह दिल की electrical activity को रिकॉर्ड करता है और धड़कनों की गति व लय को दिखाता है। यह दिल की रिदम में किसी भी असामान्यता या पिछले अटैक के संकेतों का पता लगाने में मदद कर सकता है।
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Echo (Echocardiography): यह दिल का अल्ट्रासाउंड है जो दिल की संरचना, उसके चैंबर्स के आकार और आकार, वाल्वों की कार्यप्रणाली और दिल की पंपिंग क्षमता की तस्वीरें प्रदान करता है। यह दिल की मांसपेशियों की कमजोरी या क्षति का पता लगा सकता है।
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TMT (Treadmill Test) या स्ट्रेस टेस्ट: इस टेस्ट में मरीज को एक ट्रेडमिल पर एक नियंत्रित गति से चलने या दौड़ने के लिए कहा जाता है, जबकि ECG और ब्लड प्रेशर की लगातार निगरानी की जाती है। यह देखता है कि शारीरिक तनाव के दौरान दिल कैसा प्रदर्शन करता है और क्या रक्त प्रवाह में कोई रुकावट है जो तनाव में दिखाई देती है।
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Angiography (एंजियोग्राफी): यह कोरोनरी धमनियों (जो दिल को खून पहुंचाती हैं) में रुकावट (ब्लॉकेज) का पता लगाने के लिए किया जाने वाला एक विशिष्ट टेस्ट है। इसमें एक खास डाई नसों में इंजेक्ट करके एक्स-रे द्वारा देखा जाता है कि रक्त प्रवाह कैसा है और कहां रुकावट है। 70% या उससे अधिक की रुकावट को आमतौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है और आगे के इलाज की आवश्यकता हो सकती है।
हार्ट अटैक आने पर क्या करें? (आपातकालीन प्रबंधन)
हार्ट अटैक एक जानलेवा आपात स्थिति है। ऐसे में तुरंत कार्रवाई करना जीवन बचाने के लिए critical है:
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तत्काल मदद बुलाएं: बिना एक भी पल गंवाए, तुरंत इमरजेंसी मेडिकल सेवाओं (जैसे एम्बुलेंस) को कॉल करें या मरीज को नजदीकी ऐसे अस्पताल ले जाएं जहाँ कार्डियोलॉजी विभाग और इमरजेंसी केयर उपलब्ध हो।
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मरीज को आराम से लिटाएं: मरीज को शांत और आरामदायक स्थिति में लिटा दें। उन्हें गहरी सांस लेने के लिए कहें और घबराहट कम करने में मदद करें।
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एस्पिरिन दें (अगर संभव हो): अगर मरीज होश में है, उसे एस्पिरिन से एलर्जी नहीं है, और आपके पास एस्पिरिन उपलब्ध है (जैसे chewable एस्पिरिन), तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार या दिशानिर्देशों के तहत उसे चबाने के लिए दें। एस्पिरिन रक्त के थक्के को बनने से रोकने में मदद कर सकती है।
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अस्पताल पहुंचने पर इलाज: अस्पताल में डॉक्टर सबसे पहले ECG करेंगे और मरीज की स्थिति का आकलन करेंगे। अगर ब्लॉकेज खून के थक्के के कारण है, तो नस खोलने के लिए थक्का घोलने वाली दवा (थ्रॉम्बोलाइटिक) दी जा सकती है। अगर यह प्रभावी नहीं है या ब्लॉकेज गंभीर है, तो तत्काल एंजियोप्लास्टी की जा सकती है, जिसमें नस में स्टेंट डालकर उसे खोला जाता है। गंभीर या multiple ब्लॉकेज की स्थिति में बायपास सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।
हार्ट अटैक से बचने के उपाय: अपनाएं ये कारगर तरीके
खुशखबरी यह है कि हार्ट अटैक एक रोकी जा सकने वाली बीमारी है। अपनी जीवनशैली और आदतों में कुछ सकारात्मक बदलाव लाकर आप इस खतरे को काफी हद तक टाल सकते हैं:
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नियमित व्यायाम करें: अपने दिनचर्या में कम से कम 30-45 मिनट की शारीरिक गतिविधि शामिल करें। तेज चलना, दौड़ना, योग, साइकिल चलाना, या कोई भी ऐसा व्यायाम करें जिससे आपकी हृदय गति बढ़े। नियमित व्यायाम हृदय को मजबूत बनाता है।
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वजन कंट्रोल में रखें: अपने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को स्वस्थ सीमा (18.5–24.9) में रखने का प्रयास करें। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से आप स्वस्थ वजन बनाए रख सकते हैं।
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धूम्रपान और शराब से पूरी तरह दूर रहें: यदि आप धूम्रपान करते हैं या शराब का सेवन करते हैं, तो इसे तुरंत बंद कर दें। ये आदतें हृदय के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।
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संतुलित और पौष्टिक भोजन लें: अपने आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्वस्थ वसा (जैसे नट्स, बीज, जैतून का तेल) को प्राथमिकता दें। तले-भुने, मीठे, नमकीन और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम से कम करें।
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तनाव का प्रबंधन करें: तनाव हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। तनाव कम करने के लिए ध्यान, योग, गहरी सांस लेने के व्यायाम, हॉबी अपनाना, पर्याप्त नींद लेना और प्रियजनों के साथ समय बिताना सीखें।
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ब्लड प्रेशर और शुगर की नियमित जांच कराएं: नियमित अंतराल पर (जैसे हर 6 महीने या साल में एक बार) अपने ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर स्तर की जांच कराएं। यदि ये अनियंत्रित हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर उचित दवाइयां लें और जीवनशैली में बदलाव करें।
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कोलेस्ट्रॉल स्तर की निगरानी: अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर की भी नियमित जांच कराते रहें। यदि आवश्यक हो तो आहार और दवाइयों से इसे नियंत्रित करें।
निष्कर्ष रूप में, हार्ट अटैक का खतरा वास्तविक है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है। हालांकि, सही जानकारी, शरीर के संकेतों को समझना, जोखिम कारकों को नियंत्रित करना और सबसे महत्वपूर्ण, एक सक्रिय व स्वस्थ जीवनशैली अपनाना ही इस गंभीर बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है। अपनी और अपने परिवार की हृदय सेहत को प्राथमिकता दें।
