गर्मी में आइसक्रीम: यह शरीर को ठंडक देती है या यह सिर्फ एक धोखा है? जानिए विज्ञान की राय

चिलचिलाती धूप में एक स्कूप ठंडी-ठंडी आइसक्रीम से ज़्यादा राहत देने वाला कुछ नहीं लगता। लेकिन क्या यह ठंडक का एहसास असली है या सिर्फ हमारे मन का वहम? आइए हेल्थ एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिक तथ्यों की मदद से इस ठंडे रहस्य से पर्दा उठाते हैं।
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नई दिल्ली। जैसे ही पारा चढ़ता है, फ्रीज़र में रखी आइसक्रीम की तलब बढ़ जाती है। बच्चे हों या बड़े, हर कोई गर्मी से राहत पाने के लिए आइसक्रीम का सहारा लेता है। इसे खाते ही एक ठंडी और मीठी सी लहर पूरे शरीर में दौड़ जाती है, जिससे तुरंत तसल्ली मिलती है। लेकिन सवाल यह है कि जो आइसक्रीम हमें बाहरी तौर पर इतनी ठंडक देती है, क्या वह शरीर के अंदर भी यही काम करती है? या फिर कहानी कुछ और है?READ ALSO:-🟥बच्चों और शिक्षकों की सेहत पर मंडराया हीटवेव का खतरा: शिक्षक संघ ने की ग्रीष्मावकाश 30 जून तक बढ़ाने की मांग

 

पहली बाइट का जादू: क्यों लगता है 'ठंडा-ठंडा, कूल-कूल'?
जब हम आइसक्रीम का पहला चम्मच मुंह में रखते हैं, तो इसका बर्फीला तापमान हमारी जीभ और मुंह की नसों को तुरंत ठंडक पहुंचाता है। यह सिग्नल हमारे दिमाग तक पहुंचता है, जो इस ठंडक के एहसास को पूरे शरीर के लिए मान लेता है। इसी मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रक्रिया के कारण हमें आइसक्रीम खाते ही तुरंत राहत और ठंडक महसूस होती है। इसे मनोवैज्ञानिक डॉ. ए.के. कुमार 'सेंसरी रिलीफ' (Sensory Relief) यानी 'संवेदी राहत' कहते हैं। यह दिमाग को मिलने वाली एक तसल्ली है, जो हमें अच्छा महसूस कराती है।

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शरीर के अंदर का सच: ठंडक के बाद शुरू होता है गर्मी का खेल
मुंह तक ठंडक पहुंचाने वाली आइसक्रीम जब पेट में पहुंचती है, तो शरीर का नज़रिया बदल जाता है। माउंट सेंट विंसेट यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, आइसक्रीम का असर सिर्फ मुंह और गले तक ही सीमित रहता है। शरीर के अंदर इसका प्रभाव उल्टा हो सकता है।

 

दरअसल, आइसक्रीम में फैट (वसा), प्रोटीन और शुगर की मात्रा काफी ज़्यादा होती है। इन जटिल पोषक तत्वों को पचाने के लिए हमारे पाचन तंत्र यानी मेटाबॉलिज्म को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में शरीर ऊर्जा का उपयोग करता है, जिससे गर्मी पैदा होती है। तो, भले ही आपको 15-20 मिनट तक ठंडक का एहसास हो, लेकिन उसके बाद पाचन क्रिया के कारण शरीर का आंतरिक तापमान असल में बढ़ सकता है।

 

क्या ज़्यादा आइसक्रीम खाना है नुकसानदेह?
स्वाद और मन की तसल्ली के लिए खाई जाने वाली आइसक्रीम अगर हद से ज़्यादा खाई जाए तो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग के डॉ. अजीत कुमार के अनुसार:

 

  • शुगर लेवल: आइसक्रीम में चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो रक्त में शुगर लेवल को बढ़ा सकती है।
  • वजन बढ़ना: हाई फैट और शुगर के कारण नियमित रूप से आइसक्रीम खाने से वजन बढ़ने का खतरा रहता है।
  • गले में इंफेक्शन: ज़्यादा ठंडी चीज़ें खाने से गले में खराश, टॉन्सिल या ज़ुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं, खासकर उन लोगों को जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है।

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तो गर्मी से राहत के लिए क्या हैं हेल्दी विकल्प?
अगर आपका मन कुछ ठंडा खाने का कर ही रहा है और आप सेहत से समझौता भी नहीं करना चाहते, तो बाज़ार की बनी-बनाई आइसक्रीम की जगह इन विकल्पों पर गौर कर सकते हैं:

 

  • फ्रूट कुल्फी या सॉर्बे: ताज़े फलों के रस से बनी कुल्फी या सॉर्बे (एक प्रकार की फ्रूट आइस) एक बेहतरीन विकल्प है। इनमें प्राकृतिक मिठास होती है और फलों के पोषक तत्व भी मिलते हैं।
  • होममेड आइसक्रीम: घर पर दूध, दही और फलों का उपयोग करके आप कम चीनी वाली हेल्दी आइसक्रीम तैयार कर सकते हैं।
  • ठंडे फल: तरबूज, खरबूजा, खीरा जैसे पानी से भरपूर फलों को ठंडा करके खाना भी गर्मी में बेहतरीन राहत देता है।

 

संक्षेप में, आइसक्रीम गर्मी में मानसिक और संवेदी राहत ज़रूर देती है, लेकिन शरीर को अंदर से ठंडा करने का काम नहीं करती, बल्कि पाचन के बाद गर्मी बढ़ा सकती है। इसलिए, इसका आनंद सीमित मात्रा में ही लेना समझदारी है।
SONU

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