आंखों का दुश्मन 'मोतियाबिंद': सिर्फ थकान नहीं, ये 5 संकेत छीन सकते हैं आपकी रोशनी!
बुज़ुर्गों के साथ अब युवाओं को भी डरा रहा यह रोग; जानें क्यों नज़रअंदाज़ करना है ख़तरनाक और कैसे करें अपनी आंखों को सुरक्षित!
Jun 26, 2025, 07:25 IST
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क्या आपको भी लगातार धुंधला दिखाई देता है? या रात में गाड़ी चलाते वक़्त हेडलाइट्स के चारों ओर चमक दिखती है? अगर हाँ, तो इसे सिर्फ नींद की कमी या मोबाइल की थकान समझकर हल्के में न लें। यह मोतियाबिंद (Cataract) का संकेत हो सकता है, जो अब सिर्फ बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि युवा पीढ़ी भी तेज़ी से इसकी चपेट में आ रही है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह आपकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए छीन सकता है।READ ALSO:-देवभूमि की दबंग IPS: देहरादून की बेटी रचिता जुयाल, भ्रष्टाचार के दुश्मनों के लिए बनीं काल! इस्तीफे से अचानक चर्चा में
मोतियाबिंद: क्यों बढ़ रही है युवाओं में यह समस्या?
आंखों की बीमारियां आजकल आम हो गई हैं, और मोतियाबिंद उनमें से एक है। पहले यह बीमारी ज़्यादातर 50-60 की उम्र के बाद होती थी, लेकिन अब घंटों मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप स्क्रीन पर समय बिताने के कारण युवाओं में भी मोतियाबिंद के मामले बढ़ रहे हैं। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी और आंखों पर लगातार पड़ने वाले तनाव को इसका एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
आंखों की बीमारियां आजकल आम हो गई हैं, और मोतियाबिंद उनमें से एक है। पहले यह बीमारी ज़्यादातर 50-60 की उम्र के बाद होती थी, लेकिन अब घंटों मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप स्क्रीन पर समय बिताने के कारण युवाओं में भी मोतियाबिंद के मामले बढ़ रहे हैं। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी और आंखों पर लगातार पड़ने वाले तनाव को इसका एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
डॉ. मंदीप सिंह बासु, डायरेक्टर, जगत फार्मा, बताते हैं कि ज़्यादातर मोतियाबिंद के मामलों में यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और देर से नज़र पर असर डालती है। लेकिन अगर शुरुआती चरण में सही इलाज मिल जाए, तो इसे बढ़ने से रोका और अच्छे से नियंत्रित भी किया जा सकता है।
इन 5 संकेतों को पहचानें: कहीं आपको भी तो नहीं मोतियाबिंद?
- लगातार धुंधली नज़र मोतियाबिंद का सबसे आम लक्षण है, लेकिन इसके साथ कुछ और बारीक संकेत भी हैं, जिन्हें समझना बेहद ज़रूरी है:
- धुंधली या बादलों जैसी नज़र: ऐसा महसूस होना जैसे आप किसी धुंधले शीशे से देख रहे हों।
- तेज़ रोशनी से परेशानी: सूरज की रोशनी या तेज़ बल्ब की लाइट का आंखों में चुभना।
- रोशनी के चारों ओर चमक या घेरे: रात में गाड़ियों की हेडलाइट्स या स्ट्रीट लाइट के चारों ओर घेरे (Halos) दिखना।
- बार-बार चश्मे का नंबर बदलना: अगर आपके चश्मे का नंबर अक्सर बदल रहा है, खासकर नज़दीक की चीज़ों के लिए।
- रंगों का फीका दिखना: रंगों का पहले जैसा चटकीला या चमकदार न दिखना।
क्या सर्जरी ही है एकमात्र रास्ता? एक्सपर्ट की राय
डॉ. विशाल अरोड़ा, हेड, ऑपथैल्मोलॉजी विभाग, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम, स्पष्ट करते हैं कि मोतियाबिंद के लिए सर्जरी ही एकमात्र और स्थायी समाधान है। वे बताते हैं कि घरेलू उपचार या आयुर्वेदिक तरीके केवल लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन आंखों के धुंधले हो चुके प्राकृतिक लेंस को पूरी तरह हटाकर उसकी जगह कृत्रिम (Artificial) लेंस लगाना ही मोतियाबिंद से छुटकारा पाने का एक मात्र तरीका है। अगर मोतियाबिंद का इलाज जल्दी न किया जाए, तो यह पूरी तरह से आंखों की रोशनी भी छीन सकता है। हालांकि, मोतियाबिंद की सर्जरी अब काफी सरल हो गई है, लेकिन समस्या ज़्यादा बढ़ने पर थोड़ी परेशानी हो सकती है, इसलिए समय रहते सर्जरी कराना ही बेहतर है।
डॉ. विशाल अरोड़ा, हेड, ऑपथैल्मोलॉजी विभाग, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम, स्पष्ट करते हैं कि मोतियाबिंद के लिए सर्जरी ही एकमात्र और स्थायी समाधान है। वे बताते हैं कि घरेलू उपचार या आयुर्वेदिक तरीके केवल लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन आंखों के धुंधले हो चुके प्राकृतिक लेंस को पूरी तरह हटाकर उसकी जगह कृत्रिम (Artificial) लेंस लगाना ही मोतियाबिंद से छुटकारा पाने का एक मात्र तरीका है। अगर मोतियाबिंद का इलाज जल्दी न किया जाए, तो यह पूरी तरह से आंखों की रोशनी भी छीन सकता है। हालांकि, मोतियाबिंद की सर्जरी अब काफी सरल हो गई है, लेकिन समस्या ज़्यादा बढ़ने पर थोड़ी परेशानी हो सकती है, इसलिए समय रहते सर्जरी कराना ही बेहतर है।
जागरूकता की कमी: भारत में क्यों बढ़ रही है यह बीमारी?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मोतियाबिंद दुनिया भर में अंधेपन और नज़र की कमजोरी का एक बड़ा कारण है। भारत में भी लाखों लोग इससे प्रभावित हैं, और कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि महिलाओं में यह पुरुषों की तुलना में ज़्यादा देखने को मिलता है। इसके बावजूद, बहुत से लोगों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मोतियाबिंद दुनिया भर में अंधेपन और नज़र की कमजोरी का एक बड़ा कारण है। भारत में भी लाखों लोग इससे प्रभावित हैं, और कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि महिलाओं में यह पुरुषों की तुलना में ज़्यादा देखने को मिलता है। इसके बावजूद, बहुत से लोगों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता।
डॉ. बासु का कहना है कि भारत में मोतियाबिंद के मामले बढ़ने का एक बड़ा कारण बीमारी और इसके आधुनिक इलाज के बारे में कम जानकारी होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अक्सर इलाज के ऊंचे खर्च से डरते हैं या उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती। इसलिए, मोतियाबिंद के प्रति जागरूकता फैलाना और सही समय पर जांच व इलाज के लिए प्रोत्साहित करना बेहद ज़रूरी है।
अपनी आंखों को मोतियाबिंद से कैसे बचाएं?
अपनी आंखों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ आसान कदम उठा सकते हैं:
- धूप से बचाव: जब भी धूप में निकलें, अच्छी क्वालिटी के UV-प्रोटेक्टेड धूप के चश्मे ज़रूर पहनें।
- स्वस्थ आहार: अपनी डाइट में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल और सब्ज़ियां शामिल करें, जैसे आंवला, हल्दी और हरी पत्तेदार सब्ज़ियां।
- आंखों पर चोट से बचाव: खेलते समय या किसी ऐसे काम में जहां आंखों में चोट लगने का ख़तरा हो, सुरक्षा वाले चश्मे पहनें।
- नियमित नेत्र जांच: साल में कम से कम 2-3 बार अपनी आंखों की जांच किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से ज़रूर करवाएं।
- धूम्रपान और शराब से बचें: सिगरेट और शराब का अत्यधिक सेवन आंखों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।