कोरोना की 'वापसी': क्या फिर से आ रहा है संकट? एक्सपर्ट बोले- डरें नहीं, पर इन बातों का रखें ध्यान!
WHO की रिपोर्ट ने बढ़ाई हलचल, 20+ देशों में नए केस; डॉक्टरों ने कहा- 'कमजोर इम्यूनिटी' और मौसम का बदलाव है वजह, नहीं है 2020 जैसा खतरा
May 28, 2025, 18:20 IST
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एक बार फिर से कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस समय भारत सहित 20 से अधिक देशों में कोरोना के नए केस सामने आ चुके हैं, और प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ऐसे में आम जनमानस में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कोविड-19 का खतरा फिर से 2020-21 जैसा विकराल रूप ले रहा है, या वायरस में कोई खतरनाक म्यूटेशन हुआ है?READ ALSO:-BS7 नॉर्म्स की दस्तक: क्या भारत से 'खत्म' हो जाएगी डीजल गाड़ियां? जानिए पूरा सच और आपकी जेब पर क्या होगा असर!
हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
क्यों बढ़ रहे हैं मामले? नए वेरिएंट्स कितने खतरनाक?
इस बार कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे JN.1 और BA.2.86 जैसे वेरिएंट्स मुख्य रूप से जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। ये वेरिएंट्स अपनी तेजी से फैलने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग के डॉ. अजीत कुमार बताते हैं कि "अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन या ICMR की तरफ से ऐसी कोई पुष्टि नहीं हुई है कि ये वेरिएंट्स पहले वाले स्ट्रेन की तुलना में अधिक खतरनाक या जानलेवा हैं।" तो फिर, केस क्यों बढ़ रहे हैं?
डॉ. अजीत कुमार इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण बताते हैं:
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मौसम में बदलाव: इस समय मौसम में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है - उमस, बारिश और तापमान में गिरावट। यह मौसमी बदलाव वायरल संक्रमणों (जैसे सामान्य फ्लू) के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाता है।
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फ्लू का सह-संक्रमण: जब फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है, तो आसपास मौजूद अन्य वायरस (जैसे कोविड) का भी ट्रांसमिशन बढ़ जाता है, क्योंकि कोविड पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और वेरिएंट्स में बदलाव हो रहा है।
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इम्यूनिटी में गिरावट: डॉ. अजीत कुमार का मानना है कि समय के साथ लोगों में कोविड-19 के खिलाफ विकसित हुई इम्यूनिटी कम हुई है। साथ ही, वैक्सीन की प्रभावशीलता भी कुछ समय बाद घट सकती है। यह 'इम्यूनिटी गैप' वायरस को फिर से संक्रमित करने का मौका दे रहा है।
क्या वायरस फिर से 'ताकतवर' हो गया है? एक्सपर्ट की 'राहत' भरी बात
इस बार के बढ़ते मामलों को लेकर महामारी विशेषज्ञ डॉ. जुगल किशोर ने लोगों को आश्वस्त किया है। वे कहते हैं, "2020 जैसा खतरा बिलकुल नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि कोविड फिर से बहुत खतरनाक बन गया है।" डॉ. किशोर के अनुसार, अब यह वायरस एक सामान्य फ्लू की तरह ही व्यवहार कर रहा है, और इससे संक्रमित मरीजों में गंभीर लक्षण या अस्पताल में भर्ती होने की दर में कोई खास बढ़ोतरी नहीं देखी गई है।
हालांकि, कमजोर वर्ग को अभी भी सावधानी बरतनी होगी: डॉ. किशोर यह भी आगाह करते हैं कि बुजुर्ग व्यक्ति, मधुमेह (डायबिटीज), अस्थमा, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग अभी भी उच्च जोखिम वाले समूह में आते हैं। ऐसे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सख्त जरूरत है।
घबराएं नहीं, बस इन 'सावधानियों' को अपनाएं:
डॉक्टरों ने लोगों से अनावश्यक रूप से घबराने की बजाय समझदारी से काम लेने और कुछ सामान्य सावधानियों का पालन करने की अपील की है:
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मास्क पहनें: भीड़भाड़ वाली जगहों पर और बंद वातावरण में मास्क का उपयोग करें।
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सफाई का ध्यान रखें: नियमित रूप से हाथ धोते रहें और खांसी-छींकते समय मुँह और नाक को ढकें।
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फ्लू को कोविड न समझें: यदि आपको सर्दी, खांसी या बुखार जैसे फ्लू के लक्षण हैं, तो उसे सामान्य फ्लू समझें और घबराएं नहीं। डॉक्टर की सलाह लेकर सही दवा लें।
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अनावश्यक टेस्ट से बचें: डॉ. खन्ना ने बताया है कि बेवजह कोविड टेस्ट करवाने से बचें, क्योंकि इससे सिर्फ डर और भ्रम फैलता है। उन्होंने हाल के दिनों में एक भी कोविड टेस्ट नहीं लिखा है और जो भी पॉजिटिव मामले आए हैं, वे आकस्मिक थे।
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टीकाकरण को समझें: इन्फ्लुएंजा (फ्लू) जैसी बीमारियों को वैक्सीन से रोका जा सकता है। अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें।
यह खबर हमें अफवाहों से बचने, विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी लेने और अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए समझदारी से काम लेने का संदेश देती है।
