लोक अदालत में वादी का ना कोई वकील का खर्च और ना फीस, मुआवजा-जुर्माना भी तुरंत मिलता है

सुभारती विधि संस्थान (Subharti Law College Meerut) के बीएएलएलबी के छात्रों ने शनिवार को जिला न्यायालय मेरठ द्वारा आयोजित लोक अदालत (Lok adalat) का शैक्षणिक भ्रमण किया। छात्राओं ने वहां की कार्यप्रणाली, गतिविधियों का अध्ययन किया।
 | 
subharti law college meerut
यूपी के मेरठ में स्थित स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय (Swami Vivekananda Subharti University Meerut) के सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान के बीएएलएलबी के छात्रों ने शनिवार को जिला न्यायालय मेरठ द्वारा आयोजित लोक अदालत (Lok adalat) का शैक्षणिक भ्रमण किया। छात्राओं ने वहां की कार्यप्रणाली, गतिविधियों का अध्ययन किया। इस दौरान सुभारती लॉ कॉलेज के निदेशक राजेश चन्द्रा (पूर्व न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय,प्रयागराज) के मार्गदर्शन व लॉ विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) वैभव गोयल भारतीय के निर्देशन में छात्रों ने लोक अदालत को समझा

 

पूर्व न्यायमूर्ति राजेश चंद्रा ने कहा कि लोक अदालत की प्रक्रिया को समझना विधि के छात्रों के लिए अत्यधिक आवश्यक है। लोक अदालतें विभिन्न प्रकार के छोटे–बड़े विवादों को त्वरित रूप से निर्णायक स्थिति तक पहुँचानें का कार्य करती है। इसलिए लोक अदालत की कार्यप्रणाली को करीब से जानना चाहिए।  विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) वैभव गोयल भारतीय ने छात्रों को लोक अदालत के महत्व के विषय में बताते हुए कहा कि लोक अदालत के माध्यम से वादकारी अपने विवादों को कम समय में शीघ्रता से सुलझा सकते हैं, और न्यायालयों पर काम के बढ़ते हुए बोझ को कम किया जा सकता है।  लोक अदालत वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रिया का ही एक माध्यम है, जो कि प्राचीन समय में भारतीय ग्रामीण परिवेश में पंचायत व्यवस्था के रूप में प्रचलित थी।

 

 1982 से लोक अदालत की शुरूआत गुजरात से हुई

लोक अदालत को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत सिविल कार्यवाही की शक्तियां प्राप्त है। इसके साथ ही दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code 1973) की धारा 195 व अध्याय 6 के लिए की गई कार्यवाही भी सिविल कार्यवाही होती है। वर्ष 1976 में 42 वें संविधान संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 39 (क) संविधान में जोड़ा गया। 1980 में केन्द्र सरकार के निर्देश पर सारे देश में कानूनी सहायता बोर्ड स्थापित किए गए। भारत में लोक अदालतों की शुरूआत सन् 1982 में गुजरात में हुई। सन् 1987 के विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (legal services authority act) से लोक अदालत को वैधानिक मान्यता प्रदान की गई।  यह भी पढ़ें - 11 सितंबर 1893 : स्वामी विवेकानंद का सिकागो में वह भाषण, जिसने पूरब को पश्चिम से मिलाया।

subharti law college

लोक अदालत में ना वकील की फीस ना कोई खर्चा

 

उन्होनें बताया कि लोक अदालत द्वारा पारित अवार्ड एक सिविल न्यायालय द्वारा पारित डिक्री के जैसा होता है और इसका निष्पादन सिविल न्यायालय द्वारा पारित डिक्री की तरह से कराया जा सकता है। लोक अदालत द्वारा मुकदमों के निपटारे से वादकारी का वकील पर खर्चा नही होता और कोई फीस नही लगती है, पुराने मुकदमों की कोर्ट फीस वापस हो जाती है, मुआवजा व हर्जाना तुरन्त मिल जाता है, सभी को आसानी से न्याय मिल जाता है ।  Read ALso : UP Engineering College: अब यूपी के इंजीनियरिंग कॉलेजों में लागू होगा रैकिंग फ्रेमवर्क ।

 

शैक्षणिक गतिविधियाँ आपके कैरियर के लिए अतिआवश्यक : डीजे

 

उद्धबोधन में जिला न्यायाधीश दिनेश चन्द्र शर्मा (Meerut District Judge Dinesh Chandra Sharma) ने कहा कि इस तरह की शैक्षणिक गतिविधियाँ आपके कैरियर के लिए अतिआवश्यक हैं, लोक अदालत की कार्यप्रणाली को करीब से जानने का आज आपको मौका मिल रहा है। उन्होनें छात्र-छात्राओं से वार्तालाप भी किया। शैक्षणिक भ्रमण के इस कार्यक्रम में विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला न्यायालय मेरठ की सचिव अंजु काम्बोज का विशेष सहयोग रहा। छात्रों ने उनसे लोक अदालत की प्रक्रिया और कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास किया। छात्रों ने बैंक लोन व बैंक से सम्बन्धित अन्य मामलों व परिवार न्यायालय की प्रक्रिया भी जानी। परिवार न्यायालय के न्यायाधीश इरफान कमर द्वारा परिवार न्यायालय के क्षेत्राधिकार व परिवार से सम्बन्धित विभिन्न वादों का निपटारा किस प्रकार से किया जाता है इसकी विस्तृत जानकारी छात्रों के दल को दी। read also : लोकतंत्र को जगाने का काम करती है कलम : रामवीर श्रेष्ठ।

 

सुभारती लॉ कॉलेज (subharti law college Meerut) के शिक्षक डॉ. सारिका त्यागी, डॉ. सरताज अहमद व अंजुम जहां के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं का यह दल लोक अदालत की प्रक्रिया को समझने के लिए गया। इस मौके पर आशुतोष, भावनी, विधि, सृष्टि, नेहा, तनुप्रिया, रिया, ऋषभ, कृष्णा, सौरभ, शेवांग, जुआला, टाडर, अदनान, देवराज, समीर, उषभ आदि छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें अब पाएं अपने WHATSAPP पर, क्लिक करें। Khabreelal के Facebookपेज से जुड़ें, Twitter पर फॉलो करें। इसके साथ ही आप खबरीलाल को Google News पर भी फॉलो कर अपडेट प्राप्त कर सकते है। हमारे Telegram चैनल को ज्वाइन कर भी आप खबरें अपने मोबाइल में प्राप्त कर सकते है।