मेरठ : मेडिकल कॉलेज में राष्ट्र सेविका समिति ने भगनि निवेदिता जयंती मनाई, पढ़ें कौन थी निवेदिता

राष्ट्र सेविका समिति (Rastriya sevika sameti) महानगर तरुणी विभाग द्वारा भगनि निवेदिता जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज की छात्राएं उपस्थित हुईं। उन्हें वक्ताओं ने भगनि निवेदिता के बारे में बताया कि उनका योगदान भारत के लिए कितना रहा है।
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medical college meerut
यूपी के मेरठ मेडिकल कॉलेज (Meerut Medical College) में शनिवार को राष्ट्र सेविका समिति (Rastriya sevika sameti) महानगर तरुणी विभाग द्वारा भगनि निवेदिता जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज की छात्राएं उपस्थित हुईं। उन्हें वक्ताओं ने भगनि निवेदिता के बारे में बताया कि उनका योगदान भारत के लिए कितना रहा है।

 

भगनि निवेदिता जयंती (Sister Nivedita Jayanti) कार्यक्रम की अध्यक्षता मेरठ महानपगर संचालिका पुष्पा सचदेवा, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. ललीता रहीं।। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वेदप्रभा ने किया। इस दौरान मुख्य वक्ता डॉ. ललिता (Dr. Lalita) ने छात्राओं को बताया कि भगनि निवेदिता का वास्तविक नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल (Margaret Elizabeth Nobull) था। उनका जन्म 28 अक्टूबर 1867 में आयरलैंड में हुआ था। वह अंग्रेज-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता के साथ लेखिका व महान शिक्षिका थीं। भारत के प्रति उनका लगाव काफी रहा। 

 

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मुख्य वक्ता ने बताया कि नवंबर 1895 में जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका (Swami Vivekananda in America) से भारत लौटते समय लंदन में 3 महीने के प्रवास पर थे उस दौरान मार्गरेट नोबुल स्वामी विवेकानंद से मिलीं थी। जिस समय स्वामी से मुलाकात हुई, स्वामी उस वक्त वहां मौजूद लोगों को वेदांत दर्शन समझा रहे थे। मार्गरेट ने स्वामी विवेकानंद से काफी प्रश्न किए, वह स्वामी से बेहद प्रभावित हुई और उन्होंने स्वामी विवेकानंद और गौतम बुद्ध के बारे में विस्तार से अध्ययन किया। यह भी पढ़ें - Meerut : खोलना है अपना ब्यूटी पार्लर और बुटीक तो इस संस्थान से निशुल्क मिल रहा प्रशिक्षण

 

मार्गरेट का ऐसे पड़ा निवेदिता नाम

आयरलैण्ड निवासी मार्गरेट नोबुल ने अपना जीवन भारत की सेवा में लगाया। प्रारंभिक शिक्षा लन्दन के चर्च बोर्डिंग स्कूल से पूरी की  स्वामी विवेकानंद से मिलने के बाद उन्हाेंने भारत आने का फैसला किया। 11 मार्च, साल 1898 में एक सभा में विवेकानंद ने कोलकाता वासियों का परिचय मार्गेट से करवाया। इसके बाद 25 मार्च 1898 को मार्गरेट नोबल ने स्वामी विवेकानंद के सामने ‘ब्रह्मचर्य’ अपनाया था, तभी स्वामी विवेकानंद ने उन्हें ‘निवेदिता’ नाम दिया था। इस तरह भगिनी निवेदिता किसी भी भारतीय पंथ को अपनाने वाली पहली पश्चिमी महिला बनीं थी। अपने अनुभवों का जिक्र अपनी किताब ‘द मास्टर ऐज आई सॉ हिम’ में किया था।  Read ALso : हाईटेक चुनाव प्रचार के नाम पर राजनीतिक दलों के लिए चोरी हो रहा आपका पर्सनल डाटा, सोशल मीडिया पर घूम रहे फर्जी लिंक्स

 

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ये रहे उपस्थित 

मेडिकल कॉलेज में हुए कार्यक्रम में राष्ट्र सेविका समिति मेरठ महानगर तरुणी विभाग से कार्यक्रम नियोजन  गीता पुंडीर, महानगर शारीरिक प्रमुख मालविका, महानगर संपर्क प्रमुख वर्षा गौतम, पारूल, अलका, उमा गर्ग सहित छात्राएं उपस्थित रहीं।।

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