RBI का मास्टरस्ट्रोक: AEPS से धोखाधड़ी रोकने को नए 'कवच', 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे कड़े नियम!
बैंकों को ऑपरेटर्स की करनी होगी 'जांच', 3 महीने निष्क्रिय रहने पर KYC अनिवार्य; अंगूठा लगाकर पैसे निकालने वालों की सुरक्षा अब अभेद्य
Jun 29, 2025, 00:55 IST
|

डिजिटल इंडिया को सुरक्षित बनाने की दिशा में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) के जरिए होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम कसने और करोड़ों ग्राहकों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए RBI ने शुक्रवार को नए और बेहद कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये नियम अगले साल 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे, जिसके बाद अंगूठा लगाकर पैसे निकालने की प्रक्रिया और भी सुरक्षित हो जाएगी।READ ALSO:-मेरठ में सड़क सुरक्षा पर DM सख्त: बिना हेलमेट पेट्रोल बेचने वालों पर गिरेगी गाज, ₹25 हजार का इनाम भी!
अब ऑपरेटर्स की होगी 'कड़ी परीक्षा'
RBI ने अधिग्रहण करने वाले बैंकों (Acquiring Banks) को साफ निर्देश दिए हैं कि वे AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर्स (ATO) को अपने साथ जोड़ने से पहले उनकी पुख्ता और सख्त जांच-पड़ताल करें। यह जांच ठीक वैसी ही होगी जैसी बैंक अपने नए ग्राहकों को जोड़ते समय करते हैं। यदि किसी ATO की उचित जांच-पड़ताल पहले ही एक व्यवसाय उप-एजेंट (Business Sub-Agent) के रूप में की जा चुकी है, तो बैंक उसे अपने साथ जोड़ सकता है। यह कदम फर्जी या संदिग्ध ऑपरेटर्स को सिस्टम में आने से रोकेगा।
RBI ने अधिग्रहण करने वाले बैंकों (Acquiring Banks) को साफ निर्देश दिए हैं कि वे AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर्स (ATO) को अपने साथ जोड़ने से पहले उनकी पुख्ता और सख्त जांच-पड़ताल करें। यह जांच ठीक वैसी ही होगी जैसी बैंक अपने नए ग्राहकों को जोड़ते समय करते हैं। यदि किसी ATO की उचित जांच-पड़ताल पहले ही एक व्यवसाय उप-एजेंट (Business Sub-Agent) के रूप में की जा चुकी है, तो बैंक उसे अपने साथ जोड़ सकता है। यह कदम फर्जी या संदिग्ध ऑपरेटर्स को सिस्टम में आने से रोकेगा।
'निष्क्रिय' ऑपरेटर्स का फिर होगा KYC
नए दिशानिर्देशों का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यदि कोई ATO लगातार तीन महीने तक निष्क्रिय रहता है, तो अधिग्रहण करने वाले बैंक को उसे आगे लेनदेन करने की अनुमति देने से पहले उसका KYC (अपने ग्राहक को जानें) सत्यापन दोबारा करना होगा। यह नियम निष्क्रिय खातों के दुरुपयोग और संभावित पहचान चोरी से होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम लगाने में बेहद प्रभावी साबित होगा।
क्यों जरूरी था यह 'सुरक्षा कवच'?
RBI ने अपनी आधिकारिक अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि हाल के दिनों में पहचान की चोरी (Identity Theft) या ग्राहक पहचान के साथ समझौता (Compromising Customer Identity) जैसे मामलों के कारण AEPS के जरिए धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आई थीं। इन धोखाधड़ी से बैंक ग्राहकों को बचाने और इस डिजिटल भुगतान प्रणाली में उनके भरोसे को बनाए रखने के लिए AEPS की सुरक्षा को मजबूत करना बेहद जरूरी था।
RBI ने अपनी आधिकारिक अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि हाल के दिनों में पहचान की चोरी (Identity Theft) या ग्राहक पहचान के साथ समझौता (Compromising Customer Identity) जैसे मामलों के कारण AEPS के जरिए धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आई थीं। इन धोखाधड़ी से बैंक ग्राहकों को बचाने और इस डिजिटल भुगतान प्रणाली में उनके भरोसे को बनाए रखने के लिए AEPS की सुरक्षा को मजबूत करना बेहद जरूरी था।
RBI ने यह भी बताया कि ये निर्देश भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 10(2) के साथ धारा 18 के तहत जारी किए गए हैं। बैंकिंग नियामक ने यह भी आश्वस्त किया है कि ATO के संबंध में परिचालन मापदंडों की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी ताकि AEPS प्रणाली की सुरक्षा लगातार बनी रहे और यह भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सके। ये नए नियम डिजिटल इंडिया को और भी सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होंगे।
