भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन: बिना धुएं के, सिर्फ पानी की बूंदें छोड़ती हुई दौड़ेगी पटरियों पर
जून 2025 के बाद शुरू हो सकती है देश की सबसे शक्तिशाली और पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन ट्रेन, स्वदेशी तकनीक से चेन्नई में हो रहा है निर्माण
Mar 27, 2025, 10:25 IST
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भारत बहुत जल्द एक ऐसी तकनीकी उपलब्धि हासिल करने वाला है जो न केवल देश को आधुनिकता की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। भारतीय रेलवे अपनी पहली और सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेन को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह ट्रेन बिना किसी धुएं के, बिना पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाए, केवल हवा में पानी की बूंदें छोड़ते हुए पटरियों पर दौड़ेगी। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि जल्द ही भारत की हकीकत बनने वाली है।READ ALSO:-नोएडा: शराब के शौकीनों की लगी लॉटरी, एक बोतल पर एक मुफ्त का ऑफर, दुकानों पर उमड़ी भीड़
जून 2025 के बाद पटरियों पर दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेन:
भारतीय रेलवे मंत्रालय इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने में जुटा है और उम्मीद है कि यह हाइड्रोजन ट्रेन जून 2025 के बाद पटरियों पर दौड़ना शुरू कर देगी। पहले इस ट्रेन को जून 2024 से पहले लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन परीक्षण के दौरान आई कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण इसकी तारीख को आगे बढ़ाना पड़ा। वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में इस ट्रेन को दिसंबर 2024 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया था। हाइड्रोजन ईंधन पर चलने वाली यह ट्रेन ग्रीन एनर्जी के एक नए युग की शुरुआत करेगी, जिससे पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा।
Indian Railways is working on an exciting project to develop India's first hydrogen-powered train. This cutting-edge train will be one of the longest and most powerful hydrogen trains in the world.#IndianRailways #HydrogenTrain #CleanEnergy #GreenTransport #SustainableFuture pic.twitter.com/KI12VlCby6
— Tech Explorers (@techexplorersz) March 8, 2025
पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनेगी हाइड्रोजन ट्रेन:
भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया जा रहा है। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जिसका डिजाइन और निर्माण भारत में ही हुआ है। हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेनों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इनसे बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं होता है। इस ट्रेन में एक विशेष तकनीक का उपयोग करके हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाया जाएगा, जिससे बिजली उत्पन्न होगी और ट्रेन चलेगी। इस प्रक्रिया में केवल पानी की भाप निकलेगी, जिसका अर्थ है कि यह ट्रेन पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होगी और हवा को भी स्वच्छ रखेगी। इसके साथ ही, डीजल और पेट्रोल जैसे पारंपरिक ईंधनों पर देश की निर्भरता भी कम होगी।
दुनिया की सबसे लंबी और सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन:
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, भारत की यह हाइड्रोजन ट्रेन न केवल देश के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी (जिसमें 10 कोच होंगे) और सबसे शक्तिशाली (जिसकी क्षमता 2400 किलोवाट होगी) हाइड्रोजन ट्रेन होगी। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का नेतृत्व भारतीय रेलवे कर रहा है, और इस ट्रेन की तकनीक और डिजाइन को रिसर्च, डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा तैयार किया गया है। भारत की इस पहली हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण उत्तर रेलवे का दिल्ली डिवीजन कर रहा है, और इसे हरियाणा में 89 किलोमीटर लंबे जींद-सोनीपत रूट पर चलाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, हाइड्रोजन ईंधन को सुरक्षित रूप से स्टोर करने और ट्रेन में भरने के लिए एक नया रिफ्यूलिंग सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है।
2,800 करोड़ रुपये का बजट:
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को साकार करने के लिए रेलवे मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2,800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। इस धनराशि का उपयोग 35 हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों के निर्माण में किया जाएगा। इस पहल से भारत में स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल ट्रेनों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे रेलवे क्षेत्र में प्रदूषण कम होगा और भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अधिक आत्मनिर्भर बन सकेगा। यह नई तकनीक न केवल भारत की पहचान को वैश्विक स्तर पर और मजबूत करेगी, बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देगी।