अब सेटेलाइट से कटेगा टोल: जल्द खत्म होगा फास्टैग सिस्टम, GNSS टेक्नोलॉजी से बदलेगा सफर का अनुभव

टोल बूथ पर रुकने की झंझट होगी खत्म, उतना ही टोल देना होगा जितना हाईवे पर सफर किया, जानिए कैसे काम करेगा नया GNSS सिस्टम
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Toll Plaza
भारत में टोल प्लाजा पर अक्सर लगने वाली लंबी कतारों से जल्द ही मुक्ति मिलने वाली है। केंद्र सरकार एक क्रांतिकारी तकनीक को लागू करने की तैयारी में है, जिसके तहत वाहनों से टोल टैक्स सैटेलाइट के माध्यम से काटा जाएगा। इस नई टेक्नोलॉजी को ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) कहा जाता है, जो मौजूदा फास्टैग सिस्टम को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है। सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस नई प्रणाली के कार्यान्वयन को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा की है।READ ALSO:-मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मिली बड़ी सौगात, स्वीकृत हुई SPRIHA IPR चेयर, छात्रों और शोधार्थियों को होगा सीधा लाभ

 

इस महीने के अंत तक शुरू हो जाएगी GNSS आधारित टोल कलेक्शन:
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि सड़क एवं परिवहन मंत्रालय (MoRTH) इस महीने के अंत तक यानी अप्रैल 2025 के अंत तक GNSS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को शुरू कर देगा। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय अगले 15 दिनों में इस नई तकनीक को लॉन्च करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।

 

फास्टैग से भी बेहतर और कारगर साबित होगी यह तकनीक:
GNSS तकनीक को देश भर में लागू करना फास्टैग सिस्टम की तुलना में एक बहुत बड़ी सफलता साबित हो सकती है। फास्टैग को टोल बूथों पर वाहनों की लंबी कतारों को कम करने के लिए लाया गया था, और इसने निश्चित रूप से कुछ हद तक मदद भी की है। हालांकि, इस सिस्टम में अभी भी कुछ कमियां मौजूद हैं। नई GNSS-आधारित प्रणाली को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि टोल बूथों पर वाहनों को रुकने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होगी, जिससे यात्रा और भी अधिक तेज, सुगम और समय बचाने वाली बन जाएगी।

 

पहले क्यों टाला गया था यह प्लान?
गौरतलब है कि पहले इस तकनीक को 1 अप्रैल 2025 से लागू करने की योजना थी, लेकिन कुछ कारणों से इसमें देरी हुई। केंद्र सरकार ने GNSS हाईवे टोल कलेक्टिंग सिस्टम को शुरू करने का फैसला कुछ समय के लिए टाल दिया था। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, इसका मुख्य कारण यह था कि अधिकारी एक अधिक सटीक और विश्वसनीय प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए भारत के अपने नेविगेशन उपग्रहों के समूह के पूरी तरह से सक्रिय होने का इंतजार कर रहे थे।

 

GNSS सिस्टम से क्या होंगे बड़े फायदे?
GNSS तकनीक कई तरह से फायदेमंद साबित होगी:

 

  • सैटेलाइट से वाहनों की ट्रैकिंग: यह सिस्टम सैटेलाइट की मदद से हाईवे पर चल रहे वाहनों को ट्रैक करेगा।
  • जितनी दूरी, उतना टोल: सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वाहन मालिकों को केवल उतनी ही टोल राशि का भुगतान करना होगा जितनी दूरी उन्होंने हाईवे पर तय की है। वर्तमान में, टोल बूथों पर एक निश्चित शुल्क देना होता है, भले ही वाहन ने टोल प्लाजा के बीच कम दूरी तय की हो। GNSS इस मामले में अधिक न्यायसंगत और लचीला विकल्प प्रदान करेगा।
  • टोल चोरी पर नियंत्रण: यह तकनीक टोल चोरी को रोकने में सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार साबित होगी।
  • संभावित रूप से कम लागत: उम्मीद है कि लंबी अवधि में यह टोल शुल्क की लागत को कम करने में भी मदद कर सकता है, जिससे वाहन मालिकों को आर्थिक राहत मिलेगी।

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कैसे होगा इस नई तकनीक का कार्यान्वयन?
शुरुआत में, यह नई प्रणाली मौजूदा फास्टैग सिस्टम के साथ मिलकर काम करेगी। इसके लिए, कुछ चुनिंदा टोल लेन में नई तकनीक के अनुसार आवश्यक बदलाव किए जाएंगे। जैसे-जैसे यह तकनीक अधिक से अधिक लोगों द्वारा अपनाई जाएगी, पूरे टोल प्लाजा को धीरे-धीरे GNSS-आधारित प्रणाली के अनुरूप अपग्रेड कर दिया जाएगा। वर्तमान में, इस नई तकनीक का परीक्षण देश के कई अलग-अलग शहरों में किया जा रहा है, ताकि इसके सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके।

 

संक्षेप में, GNSS तकनीक भारतीय राजमार्गों पर टोल कलेक्शन के तरीके में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है, जिससे यात्रियों को टोल प्लाजा पर लगने वाले अनावश्यक समय और परेशानी से मुक्ति मिलेगी, साथ ही उन्हें अपनी यात्रा की वास्तविक दूरी के अनुसार ही टोल का भुगतान करना होगा। यह निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य कदम है।
SONU

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