अब हर नई बाइक-स्कूटर में एंटी-लॉक ब्रैकिंग सिस्टम अनिवार्य, अचानक ब्रेक लगाने पर गाड़ी नहीं फिसलती, सुरक्षा बढ़ी पर कीमतें भी ₹10,000 तक बढ़ेंगी
एंट्री लेवल बाइक और स्कूटर भी होंगे हाई-सेफ्टी टेक्नोलॉजी से लैस, दुर्घटनाओं में आएगी भारी गिरावट
Jul 2, 2025, 00:15 IST
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मुख्य बातें:
- नया नियम: 1 जनवरी से भारत में बनने वाले सभी एंट्री-लेवल टू-व्हीलर (इलेक्ट्रिक सहित) में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) लगाना अनिवार्य।
- बढ़ेगी कीमत: इस सेफ्टी फीचर को जोड़ने से 125cc से कम क्षमता वाली बाइक्स और स्कूटर्स की लागत ₹3,000 से ₹10,000 तक बढ़ सकती है।
- हेलमेट भी जरूरी: हर नए दोपहिया वाहन के साथ डीलरों को अब दो BIS-प्रमाणित हेलमेट भी देने होंगे।
- बड़ी कंपनियों पर असर: इस नियम का सबसे ज्यादा असर हीरो मोटोकॉर्प, होंडा और TVS जैसी कंपनियों पर पड़ेगा, जिनका राजस्व काफी हद तक एंट्री-लेवल सेगमेंट पर निर्भर है।
केंद्र सरकार ने दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक अधिसूचना जारी कर 1 जनवरी से भारत में बनने वाले सभी L2 कैटेगरी (एंट्री-लेवल) के दोपहिया वाहनों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) को अनिवार्य कर दिया है। इस दायरे में इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटर भी शामिल हैं।READ ALSO:-मेरठ: "मैं जिंदा हूँ साहब!" 11 साल की शादी का खौफनाक अंत, प्रेमी संग मिलकर पत्नी ने पति को कागजों में 'मारा', फिर बेच दिया घर
पहले यह नियम केवल 125cc और उससे अधिक क्षमता वाले इंजन के वाहनों के लिए था, लेकिन अब लगभग हर नए दोपहिया वाहन को इस जीवन-रक्षक तकनीक से लैस करना होगा। इसका सीधा उद्देश्य देश में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मौतों को कम करना है।
क्या है ABS और यह क्यों है इतना ज़रूरी?
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) एक सेफ्टी तकनीक है जो अचानक या तेज ब्रेक लगाने पर वाहन के पहियों को जाम (लॉक) होने से रोकती है।
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) एक सेफ्टी तकनीक है जो अचानक या तेज ब्रेक लगाने पर वाहन के पहियों को जाम (लॉक) होने से रोकती है।
अक्सर जब कोई राइडर तेज गति में अचानक ब्रेक लगाता है, तो बिना ABS वाली बाइक के पहिए लॉक हो जाते हैं, जिससे वाहन फिसल जाता है और गंभीर हादसा हो सकता है। ABS इस स्थिति में सेकंड में कई बार ब्रेक लगाता और छोड़ता है (पंपिंग एक्शन), जिससे पहिए घूमते रहते हैं और राइडर वाहन पर अपना नियंत्रण नहीं खोता। अध्ययनों के अनुसार, ABS से लैस बाइकें हादसों की संभावना को 35% से 45% तक कम कर सकती हैं, खासकर गीली और फिसलन भरी सड़कों पर यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है।
अब तक, 100cc-125cc जैसी छोटी बाइक्स में कॉम्बी-ब्रेकिंग सिस्टम (CBS) दिया जाता था, जो दोनों पहियों में एक साथ ब्रेक लगाता है, लेकिन यह ABS जितना प्रभावी नहीं है।
आम आदमी की जेब पर कितना पड़ेगा असर?
सुरक्षा की यह गारंटी एक कीमत के साथ आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियम के लागू होने से 125cc से कम इंजन क्षमता वाले वाहनों की लागत में ₹3,000 से ₹10,000 तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
सुरक्षा की यह गारंटी एक कीमत के साथ आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियम के लागू होने से 125cc से कम इंजन क्षमता वाले वाहनों की लागत में ₹3,000 से ₹10,000 तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
कीमत बढ़ने के मुख्य कारण:
- पार्ट्स का बदलाव: कंपनियों को पारंपरिक ड्रम ब्रेक की जगह डिस्क ब्रेक लगाने होंगे, जो महंगे होते हैं।
- मैन्युफैक्चरिंग में बदलाव: ABS किट को लगाने के लिए कंपनियों को अपनी असेंबली लाइन और टूलिंग को अपडेट करना होगा।
- टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन: नए डिजाइन को फिर से टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें अतिरिक्त लागत आएगी।
प्राइस वाटरहाउस कूपर्स (PwC) की पार्टनर फर्म 'प्राइमस पार्टनर्स' के उपाध्यक्ष निखिल ढाका के अनुसार, इस बदलाव से वाहनों की कीमत ₹10,000 तक बढ़ सकती है। वहीं, ब्रोकरेज फर्म नोमुरा इंडिया का अनुमान है कि कीमतें बढ़ने के कारण एंट्री-लेवल सेगमेंट की मांग में 2% से 4% तक की गिरावट आ सकती है।
बाजार और बड़ी कंपनियों पर प्रभाव
यह नियम उस सेगमेंट को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा जो भारतीय टू-व्हीलर बाजार की रीढ़ है। भारत में बिकने वाले कुल 1.96 करोड़ दोपहिया वाहनों में से लगभग 78% वाहन 125cc या उससे कम क्षमता वाले होते हैं।
यह नियम उस सेगमेंट को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा जो भारतीय टू-व्हीलर बाजार की रीढ़ है। भारत में बिकने वाले कुल 1.96 करोड़ दोपहिया वाहनों में से लगभग 78% वाहन 125cc या उससे कम क्षमता वाले होते हैं।
- हीरो मोटोकॉर्प (Hero MotoCorp): कंपनी पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका है, क्योंकि उसके घरेलू राजस्व का लगभग 77% हिस्सा नॉन-ABS मॉडलों से आता है।
- होंडा (Honda): होंडा का 70% राजस्व इसी सेगमेंट पर निर्भर है।
- TVS: TVS का 52% राजस्व नॉन-ABS वाहनों से आता है, लेकिन कंपनी को अपने 30% एक्सपोर्ट रेवेन्यू से कुछ राहत मिल सकती है।
इन सभी बड़ी कंपनियों को अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक्स जैसे स्प्लेंडर, एक्टिवा, रेडर आदि को नए नियमों के अनुसार फिर से डिजाइन करना होगा।
