BS7 नॉर्म्स की दस्तक: क्या भारत से 'खत्म' हो जाएगी डीजल गाड़ियां? जानिए पूरा सच और आपकी जेब पर क्या होगा असर!

 2026-27 से लागू होंगे नए नियम, डीजल इंजन होंगे 'पेट्रोल' जितने साफ; ₹2.5 लाख तक बढ़ सकती है कीमत, पर बैन नहीं!
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28 मई 2025: भारत में वाहन प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। देश में जल्द ही BS7 उत्सर्जन मानक लागू होंगे, जिस पर तेजी से काम चल रहा है। इन नए नियमों को लेकर अफवाहें उड़ रही हैं कि क्या इससे डीजल गाड़ियों का युग समाप्त हो जाएगा? आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि BS7 क्या है, इसका वाहनों और प्रदूषण पर क्या असर पड़ेगा, और डीजल गाड़ियों का भविष्य क्या है।READ ALSO:-ITR भरने वालों के लिए बंपर ऑफर! सरकार ने दिया 'गोल्डन चांस', जानिए क्यों मिली 15 सितंबर तक की मोहलत?

 

BS7: डीजल गाड़ियों के लिए 'क्लीन' चुनौती
वर्तमान में देश में सभी नई गाड़ियां BS6 उत्सर्जन मानकों पर आधारित हैं, जिन्हें प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू किया गया था। अब सरकार आगे की सोच रही है और भारत स्टेज-7 (BS7) नॉर्म्स को लाने की तैयारी में है। उम्मीद है कि ये नियम 2026-27 से वाहनों में लागू हो सकते हैं।

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BS7 के तहत, कार कंपनियों को अपने मौजूदा डीजल इंजनों को लगभग पेट्रोल इंजनों जितना 'क्लीन' बनाना होगा। इसके लिए गाड़ियों में कुछ अतिरिक्त और महंगी तकनीकें लगानी होंगी:

 

  • सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन (SCR): यह तकनीक नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्सर्जन को कम करती है।
  • डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर (DPF): यह डीजल इंजनों से निकलने वाले सूक्ष्म कणों (पार्टिकुलेट मैटर) को फिल्टर करता है।
  • एडब्लू डोजिंग डिवाइस (AdBlue Dosing Device): NOx को और कम करने के लिए AdBlue नामक एक तरल पदार्थ का उपयोग किया जाएगा।

 

इन डिवाइसेस की मदद से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) के उत्सर्जन को 60 mg/km तक लाना पड़ेगा, ताकि प्रदूषण न के बराबर हो।

 

आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर?
इन अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों को लगाने से निश्चित रूप से वाहनों की लागत बढ़ेगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, BS7 नॉर्म्स लागू होने के बाद डीजल गाड़ियों की कीमत में ₹2 लाख से ₹2.50 लाख तक का इजाफा हो सकता है। यह बढ़ोतरी डीजल गाड़ियों को पेट्रोल और इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में और महंगा बना सकती है।

 

डीजल गाड़ियों पर 'बैन' की अफवाहें, पर सच्चाई कुछ और है
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या BS7 के आने से डीजल गाड़ियों का उत्पादन पूरी तरह बंद हो जाएगा? रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा नहीं होगा। सरकार की तरफ से अभी तक कोई ऐसा आधिकारिक बयान नहीं आया है जिसमें डीजल बैन की बात कही हो।

 

  • कमर्शियल वाहन: अच्छी खबर यह है कि BS7 नॉर्म्स के दायरे में फिलहाल कॉमर्शियल वाहन (बस, ट्रैक्टर, ट्रक और निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाले भारी वाहन) नहीं आते। इन पर तुरंत कोई असर नहीं पड़ेगा।
  • निर्यात (Export): महिंद्रा और टाटा जैसी कई भारतीय कंपनियां अभी भी अपने डीजल वाहनों का निर्यात करती हैं, और वैश्विक बाजार में इनकी मांग बनी रहेगी।
  • ग्रामीण भारत और ट्रांसपोर्ट: फिलहाल देश के कई ग्रामीण इलाकों में बिजली की सप्लाई भी पूरी तरह से नहीं है, ऐसे में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर निर्भर होना संभव नहीं है। कृषि और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में डीजल की मौजूदगी बनी रहेगी, और सरकार की तरफ से इन क्षेत्रों में डीजल पर टैक्स और सब्सिडी अभी भी जारी है।

 

हालांकि, सरकार डीजल वाहनों की संख्या कम करके इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को ज्यादा बढ़ावा देने पर जोर दे रही है।

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क्लीन डीजल के लिए एथेनॉल और अन्य विकल्प
सरकार इस समय एथेनॉल फ्यूल को बढ़ावा देने पर भी जोर दे रही है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है। विदेशों में कई कंपनियां हाइब्रिड डीजल, बायो-डीजल (20% मिश्रण) और सिंथेटिक फ्यूल्स पर तेजी से काम कर रही हैं, ताकि डीजल को और अधिक स्वच्छ बनाया जा सके। यह भविष्य में क्लीन डीजल के लिए नए रास्ते खोल सकता है।

 

कुल मिलाकर, BS7 नॉर्म्स डीजल गाड़ियों को और साफ बनाने के लिए आ रहे हैं, जिससे उनकी कीमत बढ़ेगी, लेकिन तत्काल प्रभाव से उनके बंद होने की कोई संभावना नहीं है। सरकार पर्यावरण और ऊर्जा सुरक्षा दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है।
SONU

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