लखनऊ: कर्ज से परेशान कपड़ा कारोबारी ने पत्नी और बेटी संग की आत्महत्या, सुसाइड नोट में बयां किया दर्द
छोटी बेटी ने किया खुलासा, जेठानी बोलीं- 'कोई परेशानी नहीं बताई, बुधवार को घूमने जाने की बात कर रही थी शुचिता'
Jun 30, 2025, 11:49 IST
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लखनऊ, [30 June 2025]: लखनऊ के चौक इलाके के अशरफाबाद क्षेत्र में सोमवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। कर्ज के बोझ से दबे एक कपड़ा कारोबारी ने अपनी पत्नी और 16 वर्षीय बेटी के साथ जहर खाकर अपनी जान दे दी। सुबह फ्लैट में तीनों बेहोश पाए गए, जिनके मुंह से झाग निकल रहा था। उनकी चीखें सुनकर बगल में सो रही छोटी बेटी जाग गई और उसने तुरंत अपनी बड़ी मां को फोन कर घटना की जानकारी दी।Read also:-मेरठ जलमग्न: मानसून की पहली बारिश ने खोली नगर निगम के दावों की पोल! लालकुर्ती, दिल्ली रोड, ब्रह्मपुरी, सेंट्रल मार्केट समेत 15 से अधिक क्षेत्र जलमग्न
जानकारी मिलते ही बच्ची के बड़े पिता ने पुलिस को सूचना दी। तत्काल मौके पर पहुंची पुलिस ने तीनों को ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतकों की पहचान 48 वर्षीय शोभित रस्तोगी, उनकी पत्नी 45 वर्षीय शुचिता और 16 वर्षीय बेटी ख्याति के रूप में हुई है। शोभित रस्तोगी की राजाजीपुरम में "जुगल फैशन पॉइंट" के नाम से कपड़े की दुकान थी।
सुसाइड नोट और टूटी चूड़ियां बरामद: 'जान देने के अलावा कोई रास्ता नहीं'
पुलिस को फ्लैट से एक सुसाइड नोट और टूटी हुई चूड़ियां मिली हैं। सुसाइड नोट में लिखा है, "हम कर्ज से परेशान हैं। बैंक से लोन लिया था, जिसे चुका नहीं पा रहे। लोन बढ़ता ही जा रहा। हमारे पास जान देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।" यह सुसाइड नोट परिवार की गहन पीड़ा और निराशा को दर्शाता है।
पुलिस को फ्लैट से एक सुसाइड नोट और टूटी हुई चूड़ियां मिली हैं। सुसाइड नोट में लिखा है, "हम कर्ज से परेशान हैं। बैंक से लोन लिया था, जिसे चुका नहीं पा रहे। लोन बढ़ता ही जा रहा। हमारे पास जान देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।" यह सुसाइड नोट परिवार की गहन पीड़ा और निराशा को दर्शाता है।
छोटी बेटी ने चाचा को दी सूचना, पुलिस को संदेह- पहले पति, फिर पत्नी-बेटी ने पिया जहर
डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि मृतक शोभित के बड़े भाई शेखर ने सुबह 5 बजे पुलिस को फोन किया। शेखर ने बताया कि उनके छोटे भाई की बेटी ने उनकी पत्नी तृप्ति को फोन कर बताया था कि मम्मी-पापा की तबीयत ठीक नहीं है और उन्हें जल्दी आने को कहा था। शेखर ने पुलिस को आशंका जताई कि तीनों ने कुछ खा लिया है। इसके बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और तीनों को बेहोश पाया, जिन्हें अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया।
डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि मृतक शोभित के बड़े भाई शेखर ने सुबह 5 बजे पुलिस को फोन किया। शेखर ने बताया कि उनके छोटे भाई की बेटी ने उनकी पत्नी तृप्ति को फोन कर बताया था कि मम्मी-पापा की तबीयत ठीक नहीं है और उन्हें जल्दी आने को कहा था। शेखर ने पुलिस को आशंका जताई कि तीनों ने कुछ खा लिया है। इसके बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और तीनों को बेहोश पाया, जिन्हें अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया।
थाना चौक क्षेत्रान्तर्गत आत्महत्या किये जाने के सम्बन्ध में पुलिस उपायुक्त पश्चिमी द्वारा दी गयी बाइट। @Uppolice pic.twitter.com/BIsN7DlBD5
— LUCKNOW POLICE (@lkopolice) June 30, 2025
पुलिस और फोरेंसिक टीम को घर से ताजा खोली हुई कोल्ड ड्रिंक की बोतल मिली है, जिसे टीम ने कब्जे में ले लिया है। पुलिस को संदेह है कि कारोबारी शोभित ने परिवार के साथ कोल्ड ड्रिंक में जहर मिलाकर पिया। पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, पहले कारोबारी ने जहर पिया, फिर पत्नी ने। मां-बाप की हालत बिगड़ने के बाद दहशत में आई नाबालिग बेटी ने भी जहर मिली कोल्ड ड्रिंक पी ली।
जेठानी तृप्ति हैरान: 'कभी कोई परेशानी नहीं बताई'
शुचिता की जेठानी तृप्ति ने बताया कि न तो देवरानी शुचिता और न ही देवर शोभित ने कभी उन्हें किसी परेशानी के बारे में बताया। तृप्ति ने बताया कि बुधवार को उनकी शुचिता से फोन पर बात हुई थी और शुचिता उनसे भीमशाह दर्शन के लिए जाने के लिए कह रही थी।
शुचिता की जेठानी तृप्ति ने बताया कि न तो देवरानी शुचिता और न ही देवर शोभित ने कभी उन्हें किसी परेशानी के बारे में बताया। तृप्ति ने बताया कि बुधवार को उनकी शुचिता से फोन पर बात हुई थी और शुचिता उनसे भीमशाह दर्शन के लिए जाने के लिए कह रही थी।
तृप्ति ने बताया, "मेरी बेटी के 7 जुलाई से पेपर होने की वजह से मैंने कहा आप लोग घूम आओ। अभी हम नहीं जा पाएंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि गुरुवार को वे देवर की दुकान पर भी गए थे और उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी का आभास नहीं हुआ। तृप्ति ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अगर कोई भी परेशानी होती तो उन्हें उनसे बताना चाहिए था।
यह घटना परिवार के भीतर संवाद की कमी और अनकही परेशानियों के गंभीर परिणामों की ओर इशारा करती है। क्या परिवार के बीच बेहतर संवाद इस त्रासदी को टाल सकता था?
