लखनऊ में मानवता शर्मसार: ढाई साल की मासूम के साथ दर्दनाक दुष्कर्म, दरिंदा मुठभेड़ में ढेर, फिर भी उठे गहरे सवाल!
रात के अँधेरे में आरोपी के तीन चक्कर और लिफ्ट का असफल प्रयास - सीसीटीवी फुटेज ने खोली हैवानियत की परतें। नशे के दलदल और लापरवाही के आरोपों के बीच मासूम की ज़िंदगी बचाने के लिए डॉक्टर्स का संघर्ष जारी।
Jun 7, 2025, 13:33 IST
|

लखनऊ, उत्तर प्रदेश: आलमबाग में ढाई साल की एक मासूम बच्ची के साथ हुई जघन्य दुष्कर्म की वारदात ने एक बार फिर पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। इस अमानवीय कृत्य को अंजाम देने वाला आरोपी दीपक पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया है, लेकिन इस दर्दनाक घटना ने कई अनसुलझे सवाल छोड़ दिए हैं, जो समाज में बढ़ते अपराध, नशे के कारोबार और सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करते हैं। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में ज़िंदगी और मौत से जूझ रही मासूम के लिए पूरा शहर दुआ कर रहा है।READ ALSO:-🕊️यूपी में बकरीद: ड्रोन की आंख, केक पर बकरा और योगी का सख्त आदेश-त्योहार अमन और शांति का, उपद्रवियों को कोई जगह नहीं!
रात के अँधेरे में दरिंदे के नापाक इरादे: सीसीटीवी फुटेज का भयावह सच
घटनास्थल से बरामद 4 मिनट से अधिक के एक सीसीटीवी वीडियो ने दरिंदे की हैवानियत की पूरी कहानी बयां कर दी है। इंस्पेक्टर आलमबाग सुभाष चंद्र ने बताया कि फुटेज में साफ दिख रहा है कि आरोपी ने इस जघन्य वारदात को अंजाम देने से पहले बच्ची के सो रहे परिजनों के पास तीन चक्कर लगाए। वह यह सुनिश्चित कर रहा था कि परिवार के लोग गहरी नींद में हैं या नहीं।
वीडियो में आरोपी लिफ्ट के पास जाकर अंगड़ाई लेता और लिफ्ट खोलने के लिए बटन दबाता भी दिख रहा है। पुलिस का मानना है कि दीपक पहले लिफ्ट के भीतर ही अपनी घिनौनी हरकत को अंजाम देना चाहता था, लेकिन लिफ्ट नहीं खुली। इसके बाद वह बच्ची को उठाकर तेज़ी से लिफ्ट के पास पहुंच जाता है। पुलिस की जांच से यह पुख्ता होता है कि आरोपी ने इस मासूम को पहले से ही अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए निशाना बनाया था। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद भी आरोपी दो से तीन घंटे तक उसी इलाके में अपनी स्कूटी पर घूमता रहा, मानो उसे किसी का कोई डर न हो।
नशे का दलदल: आरोपी का आपराधिक इतिहास और समाज की चुप्पी
पुलिस के अनुसार, मुठभेड़ में मारा गया आरोपी दीपक गांजे और स्मैक जैसे मादक पदार्थों का आदी था। नशे की लत के कारण वह अक्सर रात भर घर से बाहर रहता था। पुलिस ने यह भी खुलासा किया है कि दीपक पहले भी विभिन्न कार्यक्रमों में झांकी लगाने के दौरान छोटी बच्चियों के साथ अश्लील हरकतें कर चुका था। चौंकाने वाली बात यह है कि उन बच्चियों के परिजनों ने 'लोक-लाज' के डर से पुलिस में कभी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। यह तथ्य समाज के उस हिस्से पर सवाल उठाता है, जो ऐसी घटनाओं को छुपाकर अपराधियों को और बेलगाम होने का मौका देता है। यदि पहले ही शिकायत दर्ज हुई होती, तो शायद इस मासूम की जिंदगी बच सकती थी।
आलमबाग: अपराध का गढ़ और नशे के कारोबार की खुली पोल
यह आलमबाग क्षेत्र में इस तरह की पहली घटना नहीं है। कुछ ही महीने पहले, वाराणसी से आलमबाग बस अड्डे पर आई एक महिला के साथ भी इसी तरह की वीभत्स वारदात हुई थी। ऑटो ड्राइवर और उसके साथियों ने महिला का अपहरण कर उससे बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी। महिला इंटरव्यू देकर अपने भाई के घर चिनहट जा रही थी। इस घटना ने भी आलमबाग बस अड्डे और चारबाग रेलवे स्टेशन के आसपास के क्षेत्रों में खुलेआम चल रहे नशे के कारोबार की पोल खोली थी। पुलिस का कहना है कि आलमबाग में कई स्थानों पर गांजा आसानी से उपलब्ध है, और नशेड़ियों को यह आसानी से मिल जाता है। पुलिस ने पहले भी कई बार कार्रवाई कर नशे के सौदागरों को जेल भेजा है, लेकिन यह काला धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप ऐसी जघन्य वारदातें सामने आ रही हैं।
मासूम की ज़िंदगी बचाने की जंग: KGMU में डॉक्टरों का अथक प्रयास
ढाई वर्षीय पीड़िता का इलाज किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में चल रहा है। शुक्रवार देर रात पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की विशेषज्ञ टीम ने बच्ची के पेट से शौच का वैकल्पिक रास्ता (कोलोस्टॉमी) बनाया है, ताकि शरीर में संक्रमण फैलने से रोका जा सके। विश्वविद्यालय द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन में बताया गया है कि निजी अंगों में गहरे और गंभीर जख्म होने के कारण फिलहाल वहां सर्जरी संभव नहीं है। डॉक्टरों की टीम बच्ची की स्थिति पर लगातार बारीकी से नज़र रखे हुए है।
KGMU के पीडियाट्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जेड रावत की निगरानी में बच्ची का इलाज चल रहा है। डॉ. रावत ने बताया कि बच्ची को संक्रमण से बचाना उनकी पहली प्राथमिकता है। निजी अंगों पर ड्रेसिंग करने के साथ ही उसे उच्च-शक्ति की एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं। बच्ची को कम से कम एक हफ्ते तक गहन निगरानी में रखा जाएगा, और दूसरा बड़ा ऑपरेशन दो से तीन महीने बाद ही संभव हो पाएगा। हालांकि, बच्ची की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन उसकी पूरी तरह से रिकवरी के लिए अभी लंबा समय लगेगा।
यह घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि समाज के लिए एक वेक-अप कॉल है। नशे के कारोबार पर नकेल कसने, सीसीटीवी निगरानी बढ़ाने और खासकर मासूमों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारों, पुलिस और समाज को मिलकर काम करना होगा, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
