बच्चों के मासूम सवालों ने छुआ दिल: जब अंतरिक्ष यात्री ने लखनऊ में खोले सितारों के राज!

 "स्पेस में हवा होती है?" - सीएमएस ऑडिटोरियम में भविष्य के वैज्ञानिकों से सीधा संवाद, सपनों को मिली उड़ान
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CMS-LKO
लखनऊ, उत्तर प्रदेश: क्या अंतरिक्ष में हवा होती है? अंतरिक्ष में कैसे सोते हैं? हमें वहाँ जाने के लिए कितनी पढ़ाई करनी होगी? ऐसे मासूम मगर गहरे सवाल जब लखनऊ के बच्चों ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुधांशु शुक्ला से किए, तो कानपुर रोड स्थित सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) ऑडिटोरियम कुछ पलों के लिए जैसे सितारों की दुनिया में खो गया। यह किसी आम विज्ञान कार्यक्रम जैसा नहीं था; यह बच्चों के सपनों और कल्पनाओं से सीधा संवाद का मंच था। लगभग 300 चुने हुए छात्रों को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की एक जीवंत झलक को करीब से महसूस करने का यह अनूठा अवसर मिला।READ ALSO:-वर्दी और दफ्तर की आड़ में 'शौक' का अपराध! मेरठ में पुलिस कांस्टेबल और DM ऑफ‍िस में कर्मचारी के बेटे निकले लुटेरे

 

आँखों में दिखी चमक, जीवन भर का अनमोल अनुभव
कार्यक्रम से बाहर निकले 12वीं कक्षा के छात्र अमित, सोहेल, अनुज और प्रियंका की आँखों में एक अलग ही चमक थी। उन्होंने बताया, "हमने कभी सोचा भी नहीं था कि किसी अंतरिक्ष यात्री से आमने-सामने बात कर पाएंगे। आज का दिन हमारी जिंदगी के सबसे खास दिनों में से एक बन गया।" उन्होंने इसे जीवनभर साथ रहने वाला एक प्रेरक अनुभव बताया। बच्चों ने कहा कि यह केवल संवाद कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह ऐसा लाइफटाइम अनुभव था, जो शायद किसी छात्र के भीतर वैज्ञानिक बनने का सपना जगाएगा। भारत के अंतरिक्ष मिशन से जोड़ने का यह पल, नई पीढ़ी को अंतरिक्ष की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करने वाला बन गया।

 


रोचक सवालों का सिलसिला: कैसे फिट रहते हैं, क्या खाते हैं अंतरिक्ष में?
संवाद के दौरान छात्रों ने अंतरिक्ष यात्री सुधांशु शुक्ला से कई रोचक सवाल पूछे। एक छात्र ने पूछा कि अंतरिक्ष में खुद को कैसे फिट रखते हैं? इस पर उन्होंने बताया कि योग और एक्सरसाइज के जरिए वह खुद को फिट रख पा रहे हैं। उन्होंने यह भी समझाया कि इसके लिए वे लगातार लंबे समय से अभ्यास कर रहे थे, जिसकी बदौलत वह खुद को इस माहौल में ढाल पा रहे हैं।

 स्टूडेंट्स ने हाथ उठाकर एस्ट्रोनॉट को चीयर किया।

बातचीत के दौरान छात्रों ने यह भी पूछा कि स्पेस में खाना-पीना कैसे करते हैं और वहाँ वे क्या-क्या करते हैं? कुछ छात्रों ने यह भी जानना चाहा कि अंतरिक्ष से हमारा ग्रह पृथ्वी कैसा दिखता है और अपना देश भारत कैसा नजर आता है? सुधांशु शुक्ला ने इन सभी सवालों का बड़े ही धैर्य और उत्साह से जवाब दिया। सेशन के बाद छात्रों ने बताया कि इंटरेक्शन के दौरान शुभांशु अपने हाथ में एक बॉल लिए हुए थे, जिसका इस्तेमाल वह अंतरिक्ष के अनुभवों को समझाने के लिए कर रहे थे। उन्होंने हर छात्र के सवाल का जवाब दिया।

 OMEGA

क्यों गोपनीय रखा गया था यह कार्यक्रम?
इस कार्यक्रम की एक खास बात यह रही कि इसे पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। न मीडिया को आमंत्रण मिला था और न ही बच्चों के चयन की कोई पूर्व सूचना दी गई थी। प्रतिभागियों के अभिभावकों को भी स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि वे इस आयोजन की जानकारी सार्वजनिक न करें। इस गोपनीयता का उद्देश्य बच्चों को बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के अंतरिक्ष यात्री से खुलकर संवाद करने का मौका देना था, ताकि वे इस अनुभव को पूरी तरह से जी सकें।

 

यह कार्यक्रम निश्चित रूप से इन बच्चों के मन में विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति गहरी रुचि पैदा करेगा, और शायद इनमें से ही कोई भविष्य में भारत का अगला अंतरिक्ष यात्री बने।
SONU

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