अब चलेगा बुलडोजर? मेरठ के "शास्त्रीनगर कॉम्प्लेक्स पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, समय सीमा बढ़ाने की याचिका खारिज"

सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों की समय बढ़ाने की याचिका खारिज की; जस्टिस पारदीवाला और महादेवन की बेंच ने पूर्व आदेश पर तुरंत अमल की बात कही, 22 व्यापारियों को मायूसी
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CENTRAL MARKET MRT
मेरठ: मेरठ शहर के शास्त्रीनगर सेक्टर छह स्थित सेंट्रल मार्केट में बने कॉम्प्लेक्स संख्या 661/6 के मामले में सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को आया फैसला यहां के व्यापारियों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस महादेवन की दो जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कॉम्प्लेक्स के व्यापारियाें द्वारा दायर की गई उस याचिका को सीधे तौर पर खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी दुकानों और प्रतिष्ठानों को खाली करने के लिए अदालत से और अधिक समय दिए जाने की मांग की थी।Read also:-अयोध्या के राम मंदिर शिखर पर स्थापित हुआ धर्म का प्रतीक: 42 फीट ऊंचे ध्वजदंड ने बढ़ाई शोभा

 

यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर 2024 को दिए गए उस मूल आदेश से जुड़ा है, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि शास्त्रीनगर 661/6 पर बने इस कॉम्प्लेक्स को तीन माह के भीतर पूरी तरह खाली किया जाए। इसके बाद, खाली होने के अगले दो सप्ताह के अंदर आवास विकास परिषद द्वारा इस कॉम्प्लेक्स को ध्वस्त किया जाए।

 

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ही कॉम्प्लेक्स के 22 व्यापारियों ने अदालत का रुख किया था और खाली करने के लिए निर्धारित समय सीमा से अधिक मोहलत दिए जाने की गुहार लगाते हुए एक याचिका दायर की थी। व्यापारियों के लिए मूल रूप से कॉम्प्लेक्स खाली करने की अंतिम तारीख 17 मार्च निर्धारित थी। उसी दिन, सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्काल समय सीमा बढ़ाने पर कोई अंतिम निर्णय नहीं सुनाया था, बल्कि यह कहा था कि इस संबंध में निर्णय तीन सप्ताह बाद लिया जाएगा। साथ ही, कोर्ट ने तब तक के लिए आवास विकास परिषद को कॉम्प्लेक्स को खाली कराने के लिए किसी भी तरह का बल प्रयोग करने से अंतरिम रोक लगा दी थी। हालांकि, तीन सप्ताह बाद 15 अप्रैल को और फिर 21 अप्रैल को भी यह मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने के बावजूद कुछ कारणों से आगे नहीं बढ़ पाया था।

 

सोमवार को जब यह मामला जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस महादेवन की बेंच के समक्ष दोबारा सुनवाई के लिए आया, तो अदालत ने व्यापारियों की याचिका को अंतिम रूप से निरस्त कर दिया। सुनवाई के समय अदालत कक्ष में मौजूद व्यापारी किशोर वाधवा ने बताया कि कोर्ट ने समय देने से साफ इनकार कर दिया है। सूत्रों और मौजूद अधिवक्ताओं के अनुसार, कोर्ट ने मौखिक रूप से अपने पूर्व के आदेश (17 दिसंबर 2024) के निर्देशों पर तुरंत क्रियान्वयन की बात कही है। इस निर्णय से कॉम्प्लेक्स के सभी 22 व्यापारियों को गहरी निराशा हाथ लगी है, क्योंकि अब उन पर कॉम्प्लेक्स खाली करने का दबाव बढ़ गया है।

 

सुप्रीम कोर्ट का सोमवार की सुनवाई का विस्तृत लिखित आदेश अभी तक अदालत की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ है। हालांकि, सुनवाई के दौरान उपस्थित अधिवक्ताओं ने निर्णय की पुष्टि कर दी है। आवास विकास परिषद के अधिकारियों का कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट के औपचारिक और लिखित आदेश की प्रति प्राप्त होने का इंतजार कर रहे हैं और आदेश मिलने के बाद ही इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे, जिसमें ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया भी शामिल हो सकती है।

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यह भी याद दिलाना महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को अपने उसी ऐतिहासिक आदेश में केवल इसी कॉम्प्लेक्स को नहीं, बल्कि आवासीय भूखंडों पर बने ऐसे अन्य सभी अवैध निर्माणों को भी चिन्हित कर ध्वस्त करने का व्यापक निर्देश दिया था। आवास विकास परिषद ने इस आदेश के अनुपालन में पूरे जिले में ढ़ाई हजार से अधिक ऐसे अवैध निर्माणों को चिन्हित किया है। इन सभी निर्माणों के मालिकों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया जारी है और अब तक 1700 से अधिक अवैध निर्माणों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट का शास्त्रीनगर कॉम्प्लेक्स पर आया यह ताजा फैसला अन्य अवैध निर्माणों पर भी आगामी कार्रवाई का स्पष्ट संकेत है।
SONU

 

 

 

 

 

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