'बच्चों को माँओं से क्यों जुदा कर रहे हैं?' - अटारी बॉर्डर पर बिलख पड़ी मेरठ की सना, पाकिस्तानी बच्चों को भेजना पड़ा वापस
भारतीय नागरिक माँ और पाकिस्तानी नागरिक बच्चे: वीजा अवधि खत्म होने और डिपोर्टेशन के बीच छूटा माँ का आँचल
May 5, 2025, 16:21 IST
|

माँ और बच्चे का रिश्ता दुनिया का सबसे पवित्र और मजबूत रिश्ता माना जाता है, लेकिन कभी-कभी परिस्थितियाँ इतनी मजबूर कर देती हैं कि इसी रिश्ते की डोर टूट जाती है। ऐसा ही एक हृदय विदारक दृश्य भारत-पाकिस्तान सीमा पर अटारी बॉर्डर पर देखने को मिला, जहाँ मेरठ के सरधना के घोसियान की रहने वाली सना को अपने दो मासूम बच्चों को खुद से अलग कर पाकिस्तान भेजना पड़ा।READ ALSO:-राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा - हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं
अटारी बॉर्डर पर माँ का दर्द
सना अपने तीन साल के बेटे और एक साल की दुधमुंही बेटी को लेकर अटारी बॉर्डर पहुँचीं। यहाँ उन्हें एक ऐसी अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा, जहाँ मजबूरन अपने कलेजे के टुकड़ों को अपने आँचल से दूर करना पड़ा। बॉर्डर पर खड़ी सना की आँखों से आँसू रुक नहीं रहे थे, और उनके चेहरे पर माँ के बिछड़ने का दर्द साफ झलक रहा था।
Amritsar, Punjab: Meerut’s Sana, married in Pakistan, pleads at Attari border to stay with her two children. Authorities seek to send her kids back to Pakistan
— IANS (@ians_india) May 5, 2025
She says, "I’m now going to leave the children... We’re being forced to send them. Everyone, including me, is appealing… pic.twitter.com/OhlRQbp6gk
क्या है पूरा मामला?
यह मामला भारत और पाकिस्तान के बीच के जटिल रिश्तों और वीजा नियमों का एक दुखद परिणाम है। सना मूल रूप से भारतीय नागरिक हैं और उनकी शादी पाकिस्तान के कराची में रहने वाले डॉ. बिलाल से हुई है। सना के बच्चे पाकिस्तानी नागरिक हैं और वे 45 दिन के वीजा पर अपनी माँ के साथ मेरठ आए थे।
वीजा अवधि बनी मजबूरी
बच्चों के 45 दिन के वीजा की अवधि अब समाप्त हो चुकी थी। इसके अलावा, हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानियों को वापस डिपोर्ट (भेजे) जाने की कार्रवाई भी चल रही है। इन दोनों कारणों से सना के बच्चों का भारत में रहना अब संभव नहीं था। सना के पास भारतीय नागरिकता है, इसलिए वह पाकिस्तान नहीं जा सकतीं, जबकि उनके बच्चे पाकिस्तानी नागरिक होने के नाते भारत में और नहीं रुक सकते थे।
माँ की मार्मिक अपील
अटारी बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुए सना ने अपनी पीड़ा खुलकर बयां की। उन्होंने कहा, "मैं बच्चों को पाकिस्तान भेजने के लिए जा रही हूँ। बच्चों को माँओं से जुदा क्यों कर रहे हैं। इसमें हमारी क्या गलती है, हमारा क्या गुनाह है।" उनकी आवाज़ में दर्द साफ था जब उन्होंने अपनी एक साल की बेटी और तीन साल के बेटे का जिक्र करते हुए कहा, "हम कैसे बच्चों के बिना रह पाएंगे। मैं सरकार से कहना चाहूँगी कि सरकार माँओं पर ये जुल्म न करे।"
सना ने बताया कि उनके पति डॉ. बिलाल बच्चों को लेने के लिए बॉर्डर पर आ रहे हैं। वहीं से बच्चों को उनके पिता के साथ पाकिस्तान जाना होगा। यह घटना दिखाती है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय सीमाएं और नियम कई बार मानवीय रिश्तों पर भारी पड़ जाते हैं और बेगुनाह बच्चों और माँओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
