उपद्रवियों की खैर नहीं! मेरठ पुलिस ने परखी दंगा नियंत्रण की तैयारी
🔥 पथराव, आगजनी और उग्र भीड़ के बीच ‘संकट की सच्चाई’ को परखा गया — पुलिस ने दिखाई दमदार रणनीतिक ताक़त
Updated: May 19, 2025, 18:01 IST
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मेरठ: जिले में अमन-चैन और कानून का राज बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, मेरठ पुलिस ने बीते सोमवार को एक वृहद दंगा नियंत्रण मॉक ड्रिल का आयोजन किया। यह अभ्यास जिले के चप्पे-चप्पे में किया गया, जिसमें विशेष रूप से उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई जो पूर्व में या वर्तमान में संवेदनशील माने जाते हैं। इस कवायद का सीधा मकसद किसी भी अप्रत्याशित आपात स्थिति, खासकर दंगे या बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए पुलिस बल की मुस्तैदी और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना था।READ ALSO:-📡"हर गांव से जुड़ेगा भारत, हर हाथ में होगा इंटरनेट!" — सरकार की नई दूरसंचार नीति 2030 तक लाएगी डिजिटल क्रांति
दंगा नियंत्रण का महाभ्यास
यह मॉक ड्रिल केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह पुलिसकर्मियों के लिए एक वास्तविक परीक्षा थी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और अन्य उच्चाधिकारियों की उपस्थिति में, पूरे जिले के थानों से आए पुलिसकर्मियों को अलग-अलग टोलियों में बांटा गया। इन टोलियों को विशेष रूप से दंगा नियंत्रण के लिए डिजाइन किए गए उपकरणों - जैसे कि हेलमेट, बॉडी आर्मर, लाठी, फाइबर शील्ड, आंसू गैस डिस्पेंसर और रबर बुलेट गन - के सही और प्रभावी उपयोग का गहन प्रशिक्षण दिया गया। अधिकारियों ने एक-एक उपकरण की कार्यप्रणाली की जांच की और जवानों को सिखाया कि दबाव की स्थिति में धैर्य के साथ इनका प्रयोग कैसे करना है। उन्हें कानूनी सीमाओं और बल के समुचित प्रयोग (minimum force) के सिद्धांत के बारे में भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।
मॉक ड्रिल में वास्तविक चुनौतियाँ
अभ्यास के दौरान, संभावित दंगा स्थितियों का यथार्थवादी अनुकरण किया गया। पुलिसकर्मियों ने उग्र भीड़ को नियंत्रित करने की तकनीकें सीखीं, जिसमें संवाद स्थापित करने से लेकर चेतावनी देने तक के तरीके शामिल थे। उन्हें अचानक होने वाले पथराव से अपनी और दूसरों की सुरक्षा करने, और स्थिति बिगड़ने पर नियंत्रित तरीके से जवाब देने का प्रशिक्षण दिया गया। आगजनी की घटनाओं से निपटना, भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोलों का सही दिशा और दूरी से प्रयोग करना, और अंतिम उपाय के तौर पर न्यूनतम बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज करने का भी सघन अभ्यास कराया गया। इस दौरान, विभिन्न इकाइयों के बीच आपसी समन्वय और उच्च अधिकारियों से त्वरित संचार बनाए रखने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
संवेदनशील نقاط पर विशेष चौकसी
चूंकि मेरठ एक संवेदनशील जिला माना जाता है, इसलिए इस मॉक ड्रिल में संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया। ड्रिल से काफी पहले ही सभी थाना प्रभारियों को विस्तृत दिशानिर्देश भेज दिए गए थे, जिसमें उन्हें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के संवेदनशील نقاط की पहचान करने और वहां अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया था। मॉक ड्रिल के दौरान, इन क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई और उन्हें किसी भी गड़बड़ी की आशंका पर तुरंत एक्शन लेने के लिए तैयार रहने के विशेष आदेश दिए गए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि अगर कहीं से भी अशांति की चिंगारी भड़कती है, तो उसे तत्काल नियंत्रित किया जा सके और उसे फैलने से रोका जा सके।
शांति व्यवस्था बनाए रखने की प्रतिज्ञा
यह मॉक ड्रिल मेरठ पुलिस की प्रो-एक्टिव सोच और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए उसकी उच्च स्तरीय तैयारी का प्रमाण है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऐसे अभ्यास नियमित रूप से आयोजित किए जाते रहेंगे ताकि बल हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहे और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहे। यह ड्रिल जनता को यह संदेश भी देती है कि मेरठ पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और किसी भी परिस्थिति में जिले की शांति और सद्भाव को भंग नहीं होने दिया जाएगा। यह अभ्यास आपातकालीन परिस्थितियों में शांति व्यवस्था बनाए रखने की पुलिस की अटूट प्रतिज्ञा का हिस्सा था।
