मेरठ में 47 करोड़ की 'ग्रीन रोड' योजना पर हंगामा: मास्टर प्लान 2031 बनाम ज़मीनी हकीकत, व्यापारियों का गुस्सा सातवें आसमान पर!
गांधी आश्रम से तेजगढ़ी तक सड़क चौड़ीकरण, लेकिन महायोजना से नौ मीटर का अंतर; क्या टूटेगीं दुकानें?
Jul 3, 2025, 00:10 IST
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मेरठ में मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (CM GRID योजना) के तहत गांधी आश्रम से तेजगढ़ी चौराहे तक ₹47 करोड़ की लागत से चल रहा सड़क चौड़ीकरण का काम एक बड़े विवाद का केंद्र बन गया है। जहां एक ओर यह परियोजना शहर को आधुनिक बनाने का वादा करती है, वहीं दूसरी ओर मेरठ महायोजना 2031 में सड़क की प्रस्तावित चौड़ाई और मौके पर मौजूद चौड़ाई के बीच का भारी अंतर व्यापारियों के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर रहा है।READ ALSO:-बिजनौर: नाबालिग से दुष्कर्म और जबरन शादी का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, पुलिस ने कसा शिकंजा!
क्या है पूरा मामला?
CM GRID योजना के अंतर्गत गांधी आश्रम से तेजगढ़ी चौराहे तक 36 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में बिजली की केबल भूमिगत होंगी, नाले-नालियों को ढककर फुटपाथ बनाए जाएंगे, बेंच और पार्किंग की व्यवस्था होगी, साथ ही अतिक्रमण रोकने के लिए रेलिंग और डिवाइडर पर पौधे लगाए जाएंगे। यह सब शहरी सौंदर्य और सुविधा के लिए किया जा रहा है।
CM GRID योजना के अंतर्गत गांधी आश्रम से तेजगढ़ी चौराहे तक 36 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में बिजली की केबल भूमिगत होंगी, नाले-नालियों को ढककर फुटपाथ बनाए जाएंगे, बेंच और पार्किंग की व्यवस्था होगी, साथ ही अतिक्रमण रोकने के लिए रेलिंग और डिवाइडर पर पौधे लगाए जाएंगे। यह सब शहरी सौंदर्य और सुविधा के लिए किया जा रहा है।
लेकिन, असली पेंच तब आता है जब हम मेरठ महायोजना 2031 को देखते हैं। करीब एक साल पहले लागू हुई इस महायोजना में इसी सड़क को 45 मीटर चौड़ा दर्शाया गया है। यानी, कागजों पर सड़क 45 मीटर की है, जबकि असल में 36 मीटर पर ही काम हो रहा है। नौ मीटर का यह बड़ा अंतर ही विवाद की जड़ है।
व्यापारियों की धड़कनें तेज: "क्या हमारी दुकानें टूटेंगी?"
यह विसंगति व्यापारियों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है। मेरठ विवाह मंडप एसोसिएशन के महामंत्री विपुल सिंघल ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि महायोजना के अनुसार सड़क को 45 मीटर चौड़ा माना जाता है, तो सड़क के दोनों ओर साढ़े चार-साढ़े चार मीटर निजी जमीन को खाली कराना होगा। इस जमीन पर सदियों से दुकानें, शोरूम और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बने हुए हैं। सिंघल सवाल करते हैं, "क्या प्राधिकरण इन भूखंड स्वामियों से जमीन खरीदेगा? हमने कई बार अधिकारियों से यह सवाल किया है, पर जवाब नहीं मिला।"
यह विसंगति व्यापारियों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है। मेरठ विवाह मंडप एसोसिएशन के महामंत्री विपुल सिंघल ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि महायोजना के अनुसार सड़क को 45 मीटर चौड़ा माना जाता है, तो सड़क के दोनों ओर साढ़े चार-साढ़े चार मीटर निजी जमीन को खाली कराना होगा। इस जमीन पर सदियों से दुकानें, शोरूम और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बने हुए हैं। सिंघल सवाल करते हैं, "क्या प्राधिकरण इन भूखंड स्वामियों से जमीन खरीदेगा? हमने कई बार अधिकारियों से यह सवाल किया है, पर जवाब नहीं मिला।"
यह सिर्फ विपुल सिंघल की चिंता नहीं है। उप्र आर्किटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अंकित अग्रवाल ने भी इस कमी को प्राधिकरण अधिकारियों के समक्ष कई बार उठाया है, लेकिन इसे दूर नहीं किया गया। व्यापारियों को डर है कि भविष्य में 45 मीटर की चौड़ाई हासिल करने के लिए उनकी दुकानों पर बुलडोजर चल सकता है।
अधिकारी क्या कहते हैं?
इस विवाद पर अधिकारियों का अपना तर्क है। नगर आयुक्त सौरभ गंगवार का कहना है कि CM GRID योजना के तहत गांधी आश्रम से तेजगढ़ी चौराहे मार्ग का निर्माण लोक निर्माण विभाग (PWD) के मानचित्र के अनुसार किया जा रहा है और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। PWD के अधिशासी अभियंता सत्येंद्र सिंह भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनके मानचित्र के अनुसार इस सड़क की चौड़ाई औसतन 36 मीटर है।
इस विवाद पर अधिकारियों का अपना तर्क है। नगर आयुक्त सौरभ गंगवार का कहना है कि CM GRID योजना के तहत गांधी आश्रम से तेजगढ़ी चौराहे मार्ग का निर्माण लोक निर्माण विभाग (PWD) के मानचित्र के अनुसार किया जा रहा है और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। PWD के अधिशासी अभियंता सत्येंद्र सिंह भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनके मानचित्र के अनुसार इस सड़क की चौड़ाई औसतन 36 मीटर है।
वहीं, मेडा उपाध्यक्ष संजय कुमार मीना ने इस मामले पर गौर करने का आश्वासन दिया है। उनका कहना है कि मेरठ महायोजना उनके आने से पहले तैयार की गई थी और सड़क भी काफी पहले से बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि "45 मीटर चौड़ाई की बात आई है तो इसकी पड़ताल कराएंगे।"
सवाल अनुत्तरित: किसकी गलती, कौन भरेगा हर्जाना?
यह पूरा मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है:
- जब लोक निर्माण विभाग के पास सड़क की चौड़ाई 36 मीटर दर्ज है, तो मेरठ विकास प्राधिकरण ने महायोजना 2031 में इसे 45 मीटर कैसे दर्शा दिया? क्या महायोजना बनाने से पहले मौका मुआयना नहीं किया गया था?
- यदि भविष्य में 45 मीटर की चौड़ाई लागू करने का निर्णय लिया जाता है, तो निजी संपत्ति का अधिग्रहण कैसे होगा? क्या व्यापारियों को उचित मुआवजा मिलेगा, और इस प्रक्रिया में उनकी आजीविका का क्या होगा?
- क्या यह नियोजन में बड़ी चूक है, जिसका खामियाजा अब आम जनता को भुगतना पड़ सकता है?
फिलहाल, गांधी आश्रम से तेजगढ़ी चौराहे तक सड़क चौड़ीकरण का काम जारी है, लेकिन व्यापारियों की तलवार अब भी सिर पर लटकी हुई है। मेडा उपाध्यक्ष की "पड़ताल" कब तक पूरी होगी और उसका क्या नतीजा निकलेगा, यह देखने वाली बात होगी। क्या शहर के विकास की यह महत्वाकांक्षी योजना व्यापारियों के लिए एक नया संकट बन जाएगी?
