मेरठ के शास्त्री नगर में 'दुकाने' बचाने को सड़क पर उतरे व्यापारी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मचा हड़कंप, करोड़ों का व्यापार दांव पर!

 सेंट्रल मार्केट और जागृति विहार के व्यापारियों ने बंद की दुकानें, मुख्यमंत्री से लगाई मदद की गुहार; आवास विकास परिषद ने जारी किया ध्वस्तिकरण का टेंडर
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CENTRAL MARKET MRT
मेरठ, [मंगलवार, 20 मई 2025]: मेरठ के शास्त्री नगर स्थित सेंट्रल मार्केट में व्यापारियों पर इन दिनों बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, आवास विकास परिषद द्वारा अवैध बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण की तैयारी शुरू हो गई है, जिसके खिलाफ व्यापारियों ने जोरदार विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। आज सेंट्रल मार्केट और जागृति विहार के सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखकर एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें संयुक्त व्यापार संघ के साथ अन्य व्यापार संघों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। व्यापारियों का कहना है कि यह केवल अवैध निर्माण का मामला नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी और उनका भविष्य है जो अब दांव पर लगा है।READ ALSO:- सेंट्रल मार्केट पर 'संकट के बादल': सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ आज बंद रहेंगे बाजार, व्यापारियों की अहम बैठक

 

क्या है पूरा मामला?
यह पूरा विवाद कॉम्प्लेक्स 661/6 से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2024 को इस कॉम्प्लेक्स को तीन महीने के भीतर खाली करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद, आवास विकास परिषद ने तुरंत हरकत में आते हुए सभी 20 दुकानदारों को उनकी दुकानें खाली करने का नोटिस जारी कर दिया। कोर्ट ने परिषद को दो सप्ताह के भीतर इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का भी निर्देश दिया था, जिसके बाद से व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है।

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व्यापारियों का दर्द और उनकी दलील:
व्यापारियों का तर्क है कि वे सभी कानून का पालन करते हैं और नियमित रूप से जीएसटी भरकर अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। उनका कहना है कि अगर निर्माण में कोई त्रुटि हुई है, तो उसका समाधान निकाला जा सकता है, न कि सीधे ध्वस्तिकरण का रास्ता अपनाया जाए। व्यापारियों ने इस संबंध में कोर्ट में कई बार अर्जी लगाई, लेकिन उनका आरोप है कि आवास विकास के अधिकारियों की मजबूत पैरवी के चलते उनकी बात अनसुनी कर दी गई। उनका मानना है कि इस मामले में मानवीय पहलू पर विचार नहीं किया जा रहा है।

 

राजनैतिक हस्तक्षेप और कानूनी अड़चनें:
अपनी समस्या को लेकर व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला है और उनसे इस मामले में हस्तक्षेप कर मदद की गुहार लगाई है। हालांकि, कानूनी मोर्चे पर व्यापारियों को लगातार झटके लग रहे हैं। 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने समय सीमा बढ़ाने की उनकी अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद 2 मई को भी इसी तरह की एक अन्य याचिका निरस्त हो गई, जिससे व्यापारियों की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं।

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ध्वस्तीकरण की तैयारी तेज, करोड़ों का टेंडर जारी:
एक तरफ जहां व्यापारी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आवास विकास परिषद ने अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। परिषद ने इस कार्य के लिए 1.67 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत का टेंडर भी जारी कर दिया है। यह कदम दर्शाता है कि आवास विकास परिषद सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए दृढ़ है।

 

अब देखना यह होगा कि व्यापारियों का यह विरोध-प्रदर्शन और राजनैतिक हस्तक्षेप उन्हें ध्वस्तिकरण से बचा पाता है या नहीं। यह मामला मेरठ के सैकड़ों व्यापारियों के भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
SONU

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