प्यार की कीमत मौत, ऑनर किलिंग का भयावह सच: मेरठ में बेटी का सिर धड़ से अलग! लाश के साथ 13 घंटे रहे मां-भाई
⚰️ मेरठ में ऑनर किलिंग का क्रूरतम चेहरा: मां-बेटे ने मिलकर की 17 साल की आस्था की हत्या, सिर काटकर अलग-अलग नहरों में फेंका, 13 घंटे तक लाश के पास बैठे रहे
Updated: Jun 7, 2025, 10:25 IST
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मेरठ, 7 जून, 2025 – प्रेम प्रसंग के नाम पर एक और ऑनर किलिंग ने मेरठ को दहला दिया है। एक 17 साल की लड़की, आस्था, को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि वह अपनी पसंद के लड़के अमन से शादी करना चाहती थी। इस दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम देने वाले कोई और नहीं, बल्कि उसकी अपनी माँ और 14 साल का भाई थे। हत्या के बाद लाश को ठिकाने लगाने के लिए जो खौफनाक साज़िश रची गई, उसे जानकर हर किसी की रूह कांप उठेगी।Read also:-PNB धोखाधड़ी: मेरठ में 14 लाख रुपये गायब, बैंक मैनेजर की FIR से खुली जांच; क्या है 'मिलते-जुलते हस्ताक्षर' का राज़?
एक प्रेम कहानी का खूनी अंत: घर में छिड़ी बहस और खौफनाक गला घोंटना
यह भयावह घटना बुधवार, 4 जून की सुबह करीब 9:30 बजे की है। आस्था उर्फ तनिष्का और उसकी माँ राकेश देवी के बीच अमन से शादी को लेकर गर्मागर्म बहस चल रही थी। आस्था शादी जल्दी कराने की ज़िद पर अड़ी थी, लेकिन माँ ने समझाया कि पिता घर पर नहीं हैं और यह अभी संभव नहीं है। बहस बढ़ती गई और आस्था ने अपनी माँ को गाली दे डाली।
घर में बैठे आस्था के छोटे भाई ने यह सब सुना और बाहर आकर आस्था को डांटने लगा। इससे आस्था भड़क गई और उसने अपने भाई की पिटाई कर दी। यह देखते ही माँ राकेश देवी का गुस्सा बेकाबू हो गया। अपने कबूलनामे में उन्होंने बताया, "गुस्से में आकर बेटे ने आस्था के हाथ पकड़े और मैंने गला…। हमने यह नहीं सोचा था कि उसकी सांस रुक जाएगी। हम तो बस डराना चाहते थे।" लेकिन दो मिनट के अंदर ही आस्था का शरीर ठंडा पड़ गया। माँ-बेटे यह देखकर डर गए और एक-दूसरे से कहने लगे कि अब क्या करेंगे।
मामा का 'फुलप्रूफ' प्लान: टुकड़ों में बांटकर लाश को मिटाने की साज़िश
बेटी की हत्या के बाद, राकेश देवी ने तुरंत छत्तीसगढ़ में तैनात अपने पति रमेश को फ़ोन किया और उन्हें इस भयानक गुनाह के बारे में बताया। पति की सलाह पर, राकेश देवी ने अपने भाई कमल और समर को भी बुलाया। परिवार ने मिलकर आस्था की लाश को ठिकाने लगाने का एक 'फुलप्रूफ' प्लान बनाया, ताकि हत्या का कोई सबूत न बचे और वे कानून की गिरफ्त से बच सकें।
रात 11 बजे, कमल का बेटा मंजीत उर्फ मोनू और मौसेरा भाई गौरव कार लेकर उनके घर पहुँचे। आस्था की लाश को एक चादर में लपेटकर कार में रखा गया और वे 13 किलोमीटर दूर महरौली के जंगल में स्थित अपने खेत पर पहुँचे। वहां पहले से मौजूद मामा कमल और समर ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए दरांती (हंसिया) से आस्था की गर्दन को उसके धड़ से अलग कर दिया।
धड़ को उसी चादर में लपेटकर कार की डिग्गी में रखा गया और पास की छोटी नहर में फेंक दिया गया। वहीं, आस्था के सिर को प्लास्टिक की बोरी में भरकर 10 किलोमीटर दूर जानी नहर में फेंक दिया गया। उनका मानना था कि गंगा नहर का बहाव तेज़ होने के कारण सिर कभी नहीं मिलेगा और पुलिस को गुमराह किया जा सकेगा। उनकी यह भी योजना थी कि अगर आस्था के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है, तो शक सीधा उसके प्रेमी अमन पर जाएगा।
सिर्फ 20 रुपये की पर्ची ने खोल दिया राज़: पुलिस की पैनी नज़र और अमन की पहचान
परिवार ने लाश को ठिकाने लगाने के लिए हर संभव कोशिश की थी, लेकिन एक छोटी सी पर्ची ने उनकी सारी प्लानिंग पर पानी फेर दिया। गुरुवार की सुबह, परतापुर के बहादुरपुर गांव के पास एक छोटी नहर में कपड़े में बंधी एक सिर कटी लाश मिली। पुलिस मौके पर पहुँची और जाँच शुरू की। लाश की सलवार की जेब से 20-20 रुपये के तीन नोटों के बीच एक कागज़ की पर्ची मिली। इस पर्ची पर दो मोबाइल नंबर लिखे थे।
पुलिस ने पहले नंबर पर कॉल किया, तो कोई जानकारी नहीं मिली। लेकिन दूसरे नंबर पर फ़ोन करने पर दौराला के नंगली गाँव का अमन मिला। अमन ने बताया कि वह दादरी गाँव की आस्था से प्यार करता था। पुलिस ने जब उसे लाश की तस्वीर भेजी, तो उसने तुरंत पहचान लिया कि यह आस्था की ही लाश है।
इसके बाद पुलिस आस्था के घर पहुँची। पहले तो उसकी माँ राकेश देवी ने अपनी बेटी की लाश होने से इनकार कर दिया, लेकिन पुलिस की कड़ाई से पूछताछ करने पर उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उनकी निशानदेही पर आस्था के मामा कमल और उनके बेटे मंजीत को हिरासत में लिया गया, जिससे इस खौफनाक हत्याकांड का पूरा राज़ खुल गया। शुक्रवार को पुलिस ने आस्था के दूसरे मामा समर को भी इस मामले में नामजद किया।
आंसुओं में डूबा अमन, न्याय की गुहार और पुलिस की कार्रवाई
लगभग नौ महीने पहले आस्था और अमन की दोस्ती स्नैपचैट पर शुरू हुई थी। आस्था 12वीं की छात्रा थी, जबकि अमन बीए का छात्र था। दोनों एक ही गुर्जर बिरादरी से थे, लेकिन उनका प्यार उनके परिवार को मंजूर नहीं था। थाने में पुलिस के सामने अमन फूट-फूट कर रोया और कहा, "इन लोगों को इनके किए की सज़ा मिलनी चाहिए।" परतापुर थाने पहुँचे लोग भी इस घटना से स्तब्ध थे और दबी जुबान में कह रहे थे कि अगर दोनों की शादी हो जाती, तो आज इतने घर बर्बाद नहीं होते।
एसएसपी विपिन ताडा ने बताया कि इस मामले में आस्था की माँ राकेश देवी और उनके 14 साल के नाबालिग बेटे पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है। वहीं, मामा कमल, समर, ममेरे भाई मोनू उर्फ मंजीत और मौसेरे भाई गौरव के खिलाफ साज़िश रचने और सबूत मिटाने का मामला दर्ज हुआ है। पुलिस गौरव की तलाश में लगातार दबिश दे रही है, जबकि बाकी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर दिया गया है। चार आरोपियों को जेल भेज दिया गया है, और नाबालिग किशोर को बाल सुधार गृह भेजा गया है। एसएसपी ने यह भी बताया कि गंगा नहर में आस्था के कटे हुए सिर की तलाश जारी है और पुलिस ठोस सबूतों के साथ चार्जशीट दाखिल करेगी।
यह घटना एक बार फिर समाज में ऑनर किलिंग की बढ़ती समस्या और प्रेम विवाह के प्रति परिवारों की संकीर्ण मानसिकता को उजागर करती है। समाज को इस बर्बरता के खिलाफ खड़ा होना होगा, ताकि कोई और आस्था इस तरह के खूनी अंत का शिकार न बने।
