वर्दी और दफ्तर की आड़ में 'शौक' का अपराध! मेरठ में पुलिस कांस्टेबल और DM ऑफ‍िस में कर्मचारी के बेटे निकले लुटेरे

 शौक पूरे करने को बना डाला लूट का रास्ता, दिन में पढ़ाई और डिलीवरी, रात में अपराध!
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मेरठ, उत्तर प्रदेश: वो कहते हैं ना, 'चिराग तले अँधेरा!' मेरठ में कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ खुद अपराधियों को काबू करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस के एक हेड कांस्टेबल का बेटा और जिले के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी, जिलाधिकारी (DM) कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी का बेटा ही लूट की वारदातों को अंजाम देते पाए गए हैं। पुलिस ने इन स्नातक पास तीन लुटेरों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने अपने महंगे शौक पूरे करने के लिए अपराध का रास्ता चुना।READ ALSO:-मेरठ के CCSU में छात्रों द्वारा 'हंगामा और मारपीट मामले में' पुलिस का 'ऑपरेशन क्लीन': 25 छात्रों को ₹1 लाख के मुचलके पर नोटिस!

 

दोहरी ज़िंदगी: कोचिंग टीचर, डिलीवरी बॉय और फिर खूंखार लुटेरे!
इन पढ़े-लिखे लुटेरों की दोहरी ज़िंदगी जानकर पुलिस भी दंग रह गई। दिन में इनमें से एक आरोपी कोचिंग में पढ़ाता था, तो दूसरा डिलीवरी बॉय का काम करता था। लेकिन रात होते ही, ये तीनों बाइक लूटने वाले शातिर अपराधी बन जाते थे। पुलिस ने इनकी निशानदेही पर लूटी गई दो बाइकें और वह स्कूटी भी बरामद कर ली है, जिसका इस्तेमाल वे लूट की वारदातों को अंजाम देने के लिए करते थे। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे ये सब सिर्फ अपने महंगे शौक पूरे करने के लिए कर रहे थे।

 

कैसे हुआ खुलासा? खूनी वारदात और पुलिस का शिकंजा
मामला तब सामने आया जब 28 जून की रात मनोज कुमार नाम का एक डिलीवरी बॉय खाना डिलीवर करके लौट रहा था। छावनी क्षेत्र में इन बदमाशों ने उसे घेर लिया और उसकी बाइक लूट ली। जब मनोज ने विरोध किया, तो उन्होंने लोहे की रॉड से उसके सिर पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। उसी रात, एक और वारदात हुई जहाँ नहर किनारे सचिन कुमार को रोका गया और उनकी बाइक भी लूट ली गई।

 

इन लगातार हो रही लूट की घटनाओं से पुलिस पर दबाव बढ़ रहा था। पुलिस और स्वाट टीम ने फुटेज खंगालनी शुरू की और मुखबिरों को सक्रिय किया। आखिरकार, गुरुवार को पुलिस ने चेकिंग के दौरान तीन संदिग्धों को धर दबोचा। पूछताछ में उनकी पहचान आयुष मलिक, तुषार चौहान और विशाल के रूप में हुई।

 

'संस्कारी' परिवारों से आए अपराधी: हैरान कर देने वाले खुलासे
कंकरखेड़ा थाने के इंस्पेक्टर विनय कुमार ने इस सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पकड़ा गया आयुष मलिक, यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल संदीप मलिक का बेटा है, जबकि तुषार चौहान के पिता सुमेश मेरठ DM कार्यालय में कार्यरत हैं। तीसरे आरोपी विशाल के पिता विनोद प्राइवेट नौकरी करते हैं।

 

पढ़े-लिखे 'क्रिमिनल माइंड': शौक ने पहुंचाया हवालात
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे सिर्फ अपने शौक पूरे करने के लिए लूट की वारदातों को अंजाम देते थे। दिन में सामान्य जीवन जीते हुए, किसी को शक भी नहीं होता था कि ये रात में लुटेरे बन जाते हैं। पुलिस अब इन तीनों के आपराधिक इतिहास और अन्य साथियों के बारे में भी जानकारी जुटा रही है। इस घटना ने समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर पढ़े-लिखे और संपन्न परिवारों के युवा क्यों अपराध की राह पर भटक रहे हैं।

 

यह घटना समाज में एक गहरा सवाल खड़ा करती है: आखिर अच्छे परिवारों से आने वाले और शिक्षित युवा क्यों इतनी आसानी से अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं? क्या यह सिर्फ महंगे शौक पूरे करने की चाहत है या इसके पीछे कोई गहरी सामाजिक समस्या है?

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