मेरठ के सेंट्रल मार्केट में सुप्रीम कोर्ट का 'हथौड़ा': रातोंरात 21 दुकानें खाली करने के नोटिस चस्पा, व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

 आवासीय भवन में चल रहे अवैध कॉम्प्लेक्स पर SC का सख्त रुख, रिव्यू याचिका खारिज; आवास एवं विकास परिषद की ताबड़तोड़ कार्रवाई से मचा हड़कंप
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Central Market MEERUT
मेरठ: सेंट्रल मार्केट स्थित एक आवासीय भवन में अवैध रूप से बनाए गए व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद, आवास एवं विकास परिषद ने व्यापारियों पर अपनी कार्रवाई का 'हथौड़ा' चला दिया है। परिषद ने भवन संख्या 661/6 में संचालित हो रहीं सभी 21 दुकानों के संचालकों को तत्काल प्रभाव से दुकानें खाली करने के नोटिस चस्पा कर दिए हैं। परिषद की इस अचानक और सख्त कार्रवाई से सेंट्रल मार्केट के व्यापारियों में भारी हड़कंप और अनिश्चितता का माहौल बन गया है।READ ALSO:-बिजनौर: धामपुर में जयकारों और अखाड़ों के दमखम के साथ निकली 25वीं भव्य भगवान परशुराम शोभायात्रा, भक्ति और उत्साह का संगम

 

प्रत्येक दुकानदार के शटर पर चिपकाए गए इन नोटिसों में आवास एवं विकास परिषद ने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दुकानें तुरंत खाली कर दी जाएं, अन्यथा इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा और परिषद बिना किसी देरी के जबरन खाली कराने सहित कठोर कानूनी कार्रवाई करेगी। इस नोटिस के मिलते ही 21 परिवारों की रोजी-रोटी चलाने वाले व्यापारियों की बेचैनी चरम पर पहुंच गई है।

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यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक महत्वपूर्ण मुकदमे का सीधा परिणाम है, जिसमें जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने 19 नवंबर 2024 को इस संवेदनशील मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए आवास एवं विकास परिषद को जिले के 499 ऐसे भवनों की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिनमें आवासीय उपयोग के स्थान पर व्यावसायिक गतिविधियां चल रही थीं। परिषद ने निर्धारित समय में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत कर दी थी।

 

कोर्ट ने इस रिपोर्ट और मामले की सुनवाई के बाद 17 दिसंबर 2024 को एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया। इस आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए कि आवासीय क्षेत्रों में भू-उपयोग का परिवर्तन कर बनाए गए सभी अवैध व्यावसायिक निर्माणों को तत्काल प्रभाव से ध्वस्त किया जाए। यह आदेश उन सभी अवैध कब्जों और निर्माणों पर सीधा प्रहार था, जिन्होंने शहर के नियोजित विकास को बाधित किया था।

 

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में, बीते मंगलवार को, इसी कड़ी में सेंट्रल मार्केट के भवन संख्या 661/6 में चल रही 21 दुकानों को विशेष रूप से ध्वस्त करने का आदेश दिया। इस आदेश के सामने आने के बाद, प्रभावित व्यापारियों ने कानूनी राहत पाने के लिए अंतिम प्रयास किए। उन्होंने कोर्ट से दुकानें खाली करने के लिए कुछ और समय देने की गुहार लगाई और साथ ही सुप्रीम कोर्ट के ध्वस्तीकरण के आदेश के खिलाफ एक रिव्यू याचिका (पुनर्विचार याचिका) भी दाखिल की।

 

हालांकि, व्यापारियों की इन उम्मीदों को शुक्रवार को उस समय गहरा झटका लगा, जब जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. माधवन की उसी खंडपीठ ने राजीव गुप्ता एवं अन्य बनाम उप्र आवास एवं विकास परिषद और अन्य की रिव्यू याचिका पर सुनवाई की और उसे सिरे से खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट से रिव्यू याचिका खारिज होना, इस मामले में व्यापारियों के लिए अंतिम कानूनी विकल्प का समाप्त होना था।

 

रिव्यू याचिका खारिज होने के तुरंत बाद, आवास एवं विकास परिषद ने बिना किसी विलंब के शनिवार को भवन संख्या 661/6 पर पहुंचकर सभी 21 दुकानों पर 'तत्काल दुकान खाली करने' के नोटिस चस्पा कर दिए। इस ताबड़तोड़ कार्रवाई ने व्यापारियों को सकते में डाल दिया है।

 

यह मामला केवल 21 दुकानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। गौरतलब है कि अकेले शास्त्रीनगर क्षेत्र में ही ऐसे 1473 से अधिक आवासीय निर्माण हैं, जिनमें नियमों का उल्लंघन कर व्यावसायिक गतिविधियां धड़ल्ले से चल रही हैं। सेंट्रल मार्केट की इन 21 दुकानों पर हुई कार्रवाई को इस बड़े अभियान की एक महत्वपूर्ण कड़ी और अन्य अवैध व्यावसायिक गतिविधियों के खिलाफ भविष्य में होने वाली कार्रवाई का संकेत माना जा रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख, रिव्यू याचिका की खारिज और परिषद की त्वरित कार्रवाई ने इन 21 दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे इतनी जल्दी अपनी दुकानें कैसे खाली करेंगे और अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस घटना ने उन सभी लोगों की चिंता बढ़ा दी है, जिन्होंने आवासीय क्षेत्रों में व्यावसायिक निर्माण किए हैं।
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